बिहार चुनाव 2025: ये 10 विधायकों का टिकट कटना तय, पर सवाल यह है कि क्यों?
अरे भाई, बिहार की राजनीति में तो हमेशा से धमाल रहा है! 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। और देखिए न, इस बार तो बड़े-बड़े दिग्गजों के टिकट कटने की बातें हो रही हैं। सूत्रों की मानें तो कम से कम 10 वरिष्ठ विधायकों को इस बार मैदान में नहीं उतरने दिया जाएगा। कारण? वही पुरानी कहानी – उम्र सीमा, कानूनी पचड़े और नई रणनीति। BJP, JDU, RJD… सभी बड़ी पार्टियों के कुछ चेहरे इसकी चपेट में आने वाले हैं। सच कहूं तो, ये सब देखकर लगता है जैसे बिहार की राजनीति का पूरा नक्शा ही बदलने वाला है!
अच्छा, पर ये सब हो क्यों रहा है?
देखिए, बिहार की राजनीति में बड़े-बड़े नामों का बोलबाला तो तीन दशक से चला आ रहा था। लेकिन अब पार्टियों को लगने लगा है कि युवाओं को मौका देना ही होगा। 2020 के चुनाव ने तो जैसे आंखें खोल दीं – बिना कुछ बड़े नेताओं के भी पार्टियां जीत गईं! और हां, कुछ नेताओं के पीछे लगे केस और उम्र की सीमा भी तो है न। ईमानदारी से कहूं तो, अब पार्टियां समझ गई हैं कि जनता नए चेहरों को भी मौका देना चाहती है।
तो फिर किस-किस का नंबर है?
चलिए, थोड़ा गपशप कर लेते हैं! सुनने में आ रहा है BJP अपने तीन बुजुर्ग विधायकों (75+ साल वालों) को बाय-बाय कहने वाली है। JDU ने तो जैसे साफ कट लगा दिया है – चार नेताओं को प्रदर्शन और उम्र के आधार पर बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। RJD वालों ने भी तीन ऐसे नेताओं को नजरअंदाज करने का फैसला किया है जिन पर केस लटके हुए हैं। छोटी पार्टियां जैसे VIP और HAM भी इसी रेस में शामिल हो गई हैं। कुल मिलाकर, इस बार तो बिहार की सियासत में बड़ा भूचाल आने वाला है!
पार्टियां क्या कह रही हैं?
BJP के एक प्रवक्ता ने तो बड़ी मजेदार बात कही – “हम युवाओं को आगे ला रहे हैं, यह हमारी नई सोच है।” वहीं JDU के एक नेता ने बताया, “नीतीश जी ने साफ कह दिया है – जिनका जनाधार कमजोर है, उन्हें बदलना होगा।” RJD के कार्यकर्ता थोड़े उदास लग रहे हैं, “कुछ पुराने साथियों को छोड़ना दुखद है, पर जीत के लिए ये कड़े फैसले जरूरी हैं।” सच कहूं तो, सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से इस बदलाव को justify करने में लगी हैं।
आगे क्या होगा?
अब यहां दो राय हो सकती हैं। एक तरफ तो ये हो सकता है कि टिकट न पाने वाले नेता विद्रोह कर दें या दूसरी पार्टियों में चले जाएं। पर दूसरी तरफ, ये बदलाव बिहार की राजनीति में ताजगी भी ला सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पार्टियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी इन बदलावों को जनता के सामने सही तरीके से पेश करना। क्योंकि अंत में तो electoral strategy ही मायने रखेगी, है न?
एक बात तो तय है – अभी से लेकर चुनाव तक बिहार की राजनीति में गर्मागर्म बहस होने वाली है। और हम सबके लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये बदलाव वाकई बिहार के राजनीतिक समीकरणों को बदल पाएंगे। क्या कहते हैं आप?
यह भी पढ़ें:
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com