फोर्ड की हालत खराब! ट्रंप के टैरिफ और रिकॉल ने पहुंचाया बड़ा झटका
अरे भई, अमेरिकी कारों का बादशाह फोर्ड इन दिनों बुरी तरह जूझ रहा है। सच कहूं तो हालात ऐसे हैं जैसे एक हाथ से गाड़ी चला रहे हों और दूसरे से ब्रेक लगा रहे हों! पिछले कुछ समय से ट्रंप के जमाने के टैरिफ और अपनी ही कारों के रिकॉल ने कंपनी को ऐसा नुकसान पहुंचाया कि उन्हें $3 बिलियन (करीब 22,500 करोड़ रुपये) का कर्ज लेना पड़ा। ये तो वैसा ही हुआ जैसे कोई अपनी जेब से पैसे गंवा दे और फिर दोस्तों से उधार मांगे।
असल में ये समस्या कोई नई नहीं है। 2018 से ही फोर्ड ट्रंप के स्टील-एल्युमिनियम टैरिफ की मार झेल रहा था। पर हाल में रिकॉल ने तो जैसे नींव ही हिला दी। सोचिए न, एक तरफ तो उत्पादन महंगा हो रहा है, दूसरी तरफ बनी हुई गाड़ियों को वापस बुलाना पड़ रहा है। ऐसे में घाटा तो होना ही था!
तो अब फोर्ड क्या कर रहा है? देखिए न:
– पहला कदम तो ये कि $3 बिलियन का कर्ज ले लिया। जैसे कोई घर चलाने के लिए पगार आने तक किसी से उधार ले ले।
– दूसरा, शेयर कीमतों में 30% की गिरावट… ये तो वैसा ही जैसे आपका पसंदीदा रेस्तरां अचानक खाली होने लगे।
– Experts कह रहे हैं अब इलेक्ट्रिक वाहनों पर दांव लगाने का वक्त आ गया है। पर क्या फोर्ड इतनी जल्दी पलटी मार पाएगा?
कंपनी का कहना है कि ये कर्ज उन्हें स्थिर रखेगा। लेकिन industry के जानकारों की राय अलग है। उनका मानना है कि अब तो पूरा खेल ही बदलना पड़ेगा। और हां, निवेशक? वो तो जैसे बारिश में छत टपकने का इंतज़ार कर रहे हैं!
आगे की राह? बिल्कुल टेढ़ी खीर है। एक तरफ तो खर्चे काटने होंगे, दूसरी तरफ नई टेक्नोलॉजी पर भी खर्च करना होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की दौड़ में फोर्ड पीछे तो नहीं रह जाएगा न? पर अगर टैरिफ और सप्लाई चेन की समस्याएं जारी रहीं… तो फिर कहना मुश्किल है।
एक बात तो तय है – अगले कुछ महीने फोर्ड के लिए बेहद अहम होंगे। क्या वो इस संकट से उबर पाएगा? हमारे साथ जुड़े रहिए, सबसे पहले अपडेट पाइए!
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फोर्ड पर ट्रंप टैरिफ़ और रिकॉल का असर – क्या है पूरा माजरा?
1. फोर्ड को ट्रंप टैरिफ़ से कितना नुकसान हुआ है?
देखिए, सच तो ये है कि फोर्ड को ट्रंप के उन टैरिफ़ों (आयात शुल्क) की वजह से काफी झटका लगा है। अंदाज़ा लगाइए – करोड़ों डॉलर! असल में ये शुल्क स्टील और अल्युमीनियम पर लगे थे, जो कार बनाने के लिए ज़रूरी हैं। नतीजा? फोर्ड की production cost आसमान छूने लगी। ऐसे में मुनाफ़ा कम होना तो तय था, है न?
2. फोर्ड ने कौन-कौन से वाहन रिकॉल किए हैं?
अरे भई, ये रिकॉल वाली खबर तो काफी चर्चा में रही। फोर्ड को अपने कुछ बेस्टसेलर मॉडल्स जैसे Ford Escape और Ford F-150 वापस बुलाने पड़े। कारण? Safety issues। ब्रेक सिस्टम में दिक्कत, फ्यूल लीक जैसी समस्याएं… सोचिए अगर आपकी गाड़ी में ऐसा हो तो? डरावना लगता है ना?
3. क्या फोर्ड की sales पर इसका असर पड़ा है?
सीधा सवाल, सीधा जवाब – हां, ज़रूर पड़ा है! टैरिफ़ और रिकॉल, दोनों ने मिलकर फोर्ड की sales पर बुरा असर डाला है। ग्राहकों का भरोसा थोड़ा डगमगाया है – और ये तो जानते ही हैं कि auto industry में trust सबसे बड़ी चीज़ होती है। नतीजतन, competitors को मौका मिल गया बाज़ार में आगे निकलने का।
4. फोर्ड इस स्थिति से कैसे निपट रहा है?
अब फोर्ड क्या कर रहा है? पहला, खर्चे कम करने पर ज़ोर। दूसरा, electric vehicles की तरफ shift – जो कि आजकल का ट्रेंड है। और सबसे अहम – रिकॉल वाली गाड़ियों की समस्याएं जल्द से जल्द ठीक करके ग्राहकों का भरोसा वापस जीतने की कोशिश। स्मार्ट मूव, लेकिन कामयाब होगा या नहीं? ये तो वक्त ही बताएगा।
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com