बाइडेन के दोस्त माइक डोनिलन का बयान – क्या डेमोक्रेट्स ने बहस को लेकर बहुत ज्यादा हाय-तौबा मचा दिया?
अब ये कहानी दिलचस्प हो गई है। बाइडेन के पुराने साथी और चुनावी रणनीतिकार माइक डोनिलन ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने डेमोक्रेट्स के बीच नई बहस छेड़ दी। उनका कहना है कि पार्टी ने बाइडेन के हालिया presidential debate परफॉरमेंस को लेकर बिल्कुल ओवररिएक्ट किया। लेकिन यहाँ ट्विस्ट ये है कि पता चला है कि डोनिलन की कंसल्टिंग फर्म को बाइडेन के 2024 कैंपेन से पूरे 4 मिलियन डॉलर मिले हैं। अब आप ही बताइए, क्या ये सिर्फ एक सलाहकार की राय है या फिर पैसे का खेल?
बहस के बाद क्यों भड़की आग?
जून की वो बहस याद है न? जब बाइडेन और ट्रम्प आमने-सामने हुए थे। देखा जाए तो बाइडेन का परफॉरमेंस… ठीक वैसा नहीं था जैसा उनके समर्थक चाहते थे। बात-बात में उलझना, कुछ जवाब अधूरे छोड़ देना – ये सब देखकर तो रिपब्लिकन्स ही नहीं, डेमोक्रेट्स भी परेशान हो गए। सीनियर नेताओं ने सीधे सवाल उठा दिया – क्या 81 साल के बाइडेन अभी भी चुनाव लड़ने लायक हैं? कुछ तो उन्हें स्टेप डाउन तक कहने लगे।
और फिर इसी गर्मागर्म माहौल में माइक डोनिलन आगे आते हैं। उनका कहना है कि ये सारी प्रतिक्रिया बिल्कुल ओवर द टॉप है। “एक बुरी बहस पूरे कैंपेन का अंत नहीं होती” – ये उनका मुख्य तर्क है। पर सच कहूँ तो, जब आपको कैंपेन से 4 मिलियन डॉलर मिल रहे हों, तो ऐसा बयान देना थोड़ा सस्पीशियस लगता है न?
पैसा बोलता है… या फिर सच?
यहाँ आकर कहानी और रोचक हो जाती है। जब ये खुलासा हुआ कि डोनिलन की फर्म को इतना बड़ा पेमेंट मिला है, तो political experts की भौंहें तन गईं। कुछ का कहना है कि ये तो सीधा-सीधा conflict of interest है। वहीं दूसरी तरफ, कुछ लोग इसे पार्टी में शांति बनाए रखने की चाल बता रहे हैं। असल में क्या है? शायद दोनों ही बातें सच हों!
किसने क्या कहा – राजनीति का पुराना खेल
इस मामले पर रिएक्शन्स भी कम दिलचस्प नहीं हैं। डेमोक्रेट्स के कुछ बड़े नेताओं ने डोनिलन का साथ दिया – “एक बहस से पूरा कैंपेन खत्म नहीं हो जाता” वाली लाइन चलाई। लेकिन प्रोग्रेसिव विंग के लोगों ने इसे सच्चाई से आँखें मूंदने वाली बात कह डाली।
और रिपब्लिकन्स? वो तो मजा ले रहे हैं! ट्रम्प टीम ने इसे “डेमोक्रेट्स की फजीहत” बताया है। उनका कहना है कि बाइडेन टीम अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है – और वो भी पैसे के जोर पर।
आगे क्या? बाइडेन के लिए बड़ी चुनौतियाँ
अब सवाल ये उठता है कि आगे का रास्ता क्या होगा? पहली चुनौती तो ये कि डेमोक्रेट्स को एक साथ लाना होगा – जो बहस के बाद और मुश्किल हो गया है। दूसरा, अगर सितंबर में दूसरी बहस होती है, तो बाइडेन को अपना सब कुछ दांव पर लगाना होगा। कई experts मानते हैं कि ये उनके लिए do or die मौका होगा।
और हाँ, अगर उनकी फिटनेस को लेकर सवाल जारी रहे, तो Democratic National Convention से पहले उम्मीदवार बदलने की मांग फिर से उठ सकती है। सच कहूँ तो, डोनिलन का ये बयान सिर्फ एक राय नहीं है – ये डेमोक्रेट्स की अंदरूनी लड़ाई का नया चैप्टर है। और ये लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है!
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com