ट्रम्प ने फिर से मचाया बवाल! नई टैरिफ नीति से दुनिया में हड़कंप
अरे भई, डोनाल्ड ट्रम्प फिर से अपने पुराने तरीकों पर लौट आए हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने नई टैरिफ नीति की घोषणा करके वैश्विक बाजारों को हिला कर रख दिया है। सच कहूं तो, यह कोई नई बात नहीं – ट्रम्प और विवाद तो जैसे एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन इस बार उन्होंने ताइवान, कनाडा जैसे देशों को निशाना बनाया है। है न दिलचस्प? 2024 के चुनाव से पहले “अमेरिका फर्स्ट” का नारा फिर से गूंज रहा है। पर सवाल यह है कि क्या यह सच में अमेरिका के हित में है, या फिर सिर्फ राजनीतिक दिखावा?
टैरिफ युद्ध: ट्रम्प का पुराना शगल
याद है 2017-2021 का वक्त? ट्रम्प ने तब चीन और EU के खिलाफ जो टैरिफ युद्ध छेड़ा था, उससे पूरी दुनिया का सिर चकरा गया था। उनका तर्क हमेशा एक जैसा रहा – “अमेरिकी उद्योगों को बचाना जरूरी है”। मगर असल में, अर्थशास्त्रियों ने तब भी चेतावनी दी थी कि यह supply chain के लिए खतरनाक हो सकता है। अब फिर वही राग… पर क्या इस बार नतीजे अलग होंगे? मुझे तो संदेह है।
नई नीति: किसको कितना झटका?
इस बार ट्रम्प ने बड़े चुन-चुनकर निशाने लगाए हैं। सबसे बड़ा वार ताइवान पर – सेमीकंडक्टर्स पर 20% अतिरिक्त टैरिफ! अब भला यह कैसी बात हुई? जबकि पूरी दुनिया जानती है कि ताइवान semiconductor industry का दिल है। कनाडा भी पीछे नहीं – उनकी लकड़ी और एल्युमिनियम पर 15% ज्यादा शुल्क। और हां, EU की कारें और wine भी निशाने पर। देखा जाए तो ट्रम्प ने एक साथ कई मोर्चे खोल दिए हैं। विरोध तो होगा ही ना?
दुनिया की प्रतिक्रिया: गुस्सा, नाराजगी और चिंता
अब सुनिए मजा – ताइवान तो बोल ही रहा है कि यह उनके आर्थिक रिश्तों को नुकसान पहुंचाएगा। कनाडा का PM तो बिल्कुल खफा है – कह रहे हैं “हम अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकते”। सच कहूं तो, सबसे दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका के अपने उद्योगपति भी चिंतित हैं। उनका कहना है कि “यह short term में फायदेमंद लग सकता है, पर long term में महंगाई और supply chain की मुसीबतें बढ़ाएगा”। तो फिर सवाल यह है कि आखिर ट्रम्प यह सब क्यों कर रहे हैं? चुनावी रणनीति या कुछ और?
आगे क्या? चिंताएं और आशंकाएं
अब सोचिए, क्या होगा आगे? पहला तो यह कि प्रभावित देश जवाबी कार्रवाई करेंगे ही। दूसरा, supply chain फिर से बिगड़ सकती है – खासकर सेमीकंडक्टर्स जैसे संवेदनशील सेक्टर में। तीसरा, currency markets में उथल-पुथल। और सबसे बड़ी बात – अगर 2024 में ट्रम्प फिर से जीत गए, तो यह सब और भी बढ़ सकता है। डर लगता है ना?
अंत में बस इतना कहूंगा – यह नीति सिर्फ अर्थव्यवस्था को ही नहीं, राजनीतिक रिश्तों को भी प्रभावित करेगी। आने वाले दिनों में तनाव और बढ़ेगा, यह तो तय है। देखना यह है कि दुनिया इससे कैसे निपटती है। आपको क्या लगता है – क्या ट्रम्प का यह कदम सही है? कमेंट में बताइएगा जरूर!
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ट्रम्प की नई टैरिफ नीति – क्या यह सच में अमेरिका को फायदा पहुंचाएगी?
1. ट्रम्प की ये नई टैरिफ नीति आखिर है क्या?
तो देखिए, डोनाल्ड ट्रम्प फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने चीन और यूरोपीय देशों पर नए import duties लगाने का ऐलान किया है। सीधे शब्दों में कहें तो, अमेरिका को जो सामान इन देशों से आता है, उस पर अब ज्यादा टैक्स लगेगा। क्यों? उनका दावा है कि इससे अमेरिकी उद्योगों को फायदा होगा और trade deficit कम होगा। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा? ये तो वक्त ही बताएगा।
2. ये नीति दुनिया की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगी?
असल में, ये मामला सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। देखा जाए तो पूरी दुनिया के व्यापार पर इसका असर पड़ सकता है। कई देश पहले ही जवाबी कार्रवाई की धमकी दे चुके हैं। और अगर ऐसा हुआ तो? global supply chain तो प्रभावित होगी ही, साथ ही साथ आम आदमी की जेब पर भी असर पड़ेगा। महंगाई बढ़ने की आशंका तो है ही। एक तरफ तो अमेरिका अपने उद्योगों को बचाना चाहता है, लेकिन दूसरी तरफ पूरी दुनिया के लिए नई मुसीबत खड़ी हो सकती है।
3. भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
अब सवाल यह उठता है कि हम भारतीयों के लिए इसका क्या असर होगा? ईमानदारी से कहूं तो, हमारे exports और imports दोनों पर इसका असर पड़ सकता है। खासकर अगर अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर भी टैरिफ बढ़ा दिया तो? हमारे IT और manufacturing sectors को नुकसान हो सकता है। यानी, जो कंपनियां अमेरिका को सामान भेजती हैं, उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। परेशानी की बात तो ये है कि हमारी अर्थव्यवस्था पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
4. क्या यह 2018 के ट्रेड वॉर का दोबारा दोहराव है?
हालांकि, ये कोई नई बात नहीं है। 2018 में भी हमने US-China trade war देखा था। लेकिन इस बार ट्रम्प ने अपना निशाना और बड़ा कर लिया है। ज्यादा देश, ज्यादा टैरिफ, ज्यादा तनाव। और जाहिर है, वैश्विक बाजारों में volatility तो बढ़ेगी ही। एकदम रोलरकोस्टर जैसा। सच में।
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com