“सत्ता साझा करने पर विवाद: कांग्रेस कार्यक्रम में DK शिवकुमार का बयान हुआ वायरल!”

सत्ता साझा करने पर फिर भड़की बहस: DK शिवकुमार का बयान क्यों है सुर्खियों में?

अरे भई, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री DK शिवकुमार ने तो हाल ही में एक कार्यक्रम में ऐसा बयान दे दिया कि पूरे राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया! असल में बात यह हुई कि उन्होंने साफ-साफ कह दिया, “कांग्रेस ने देश को एकजुट रखा और गांधी परिवार ने पार्टी को।” सुनने में तो यह सामान्य सा statement लगता है, लेकिन माजरा कुछ और ही है। दरअसल, यह बयान ऐसे वक्त आया है जब पार्टी के अंदर सत्ता बंटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। और तो और, अब तो social media पर भी यह मुद्दा जंगल की आग की तरह फैल गया है।

पार्टी के अंदर की कहानी: क्या सच में है ‘वंशवाद’ का सवाल?

देखिए, कांग्रेस में यह बहस कोई नई नहीं है। सच कहूं तो यह तो जैसे पुराना रिकॉर्ड है जो बार-बार बजाया जाता रहा है। एक तरफ तो गांधी परिवार को पार्टी की रीढ़ मानने वाले हैं, तो दूसरी ओर वे नेता हैं जो नए चेहरों को आगे लाने की बात करते हैं। मजे की बात यह कि कर्नाटक में तो कांग्रेस की सरकार है ही, साथ ही 2024 के elections की तैयारी भी जोरों पर है। ऐसे में शिवकुमार का यह बयान ऐसा है जैसे तेल में आग घोल दी हो!

क्या कहा शिवकुमार ने? जानिए पूरा मामला

अब सुनिए इस बयान के कुछ मसालेदार पहलू। शिवकुमार ने तो साफ-साफ कह दिया कि “गांधी परिवार के बिना कांग्रेस अधूरी है”। भई साहब, यह तो सीधे-सीधे विवाद को न्यौता देने जैसा था! नतीजा? BJP वाले तो मानो इसी की ताक में बैठे थे – उन्होंने तुरंत इसे ‘परिवारवाद’ का उदाहरण बताकर हमला बोल दिया। और social media? वहां तो यह ट्रेंड करने लगा जैसे कोई viral meme हो। सच कहूं तो पार्टी के भीतर यह नई बहस का कारण बन सकता है।

राजनीतिक गलियारे में क्या है प्रतिक्रिया?

इस मामले में प्रतिक्रियाएं बिल्कुल मिली-जुली रहीं। कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने शिवकुमार का पक्ष लिया, तो वहीं BJP ने इसे अपने प्रचार का हथियार बना लिया। एक BJP spokesperson ने तो बड़ी चुभती हुई बात कही – “यह पार्टी democracy नहीं, dynasty को promote करती है।” ओफ्फ! political analysts की राय? वे मानते हैं कि यह 2024 से पहले कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है। पर सच तो यह है कि यह बहस अभी और गरमा सकती है।

आगे क्या होगा? कुछ अहम सवाल

अब सवाल यह उठता है कि आगे क्या? पहली बात तो यह कि पार्टी के युवा नेता इस पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं – जो लंबे समय से internal democracy की मांग करते आए हैं। दूसरा, गांधी परिवार की भूमिका पर फिर से बहस छिड़ सकती है। और सबसे बड़ी बात – 2024 elections से पहले कांग्रेस को अपनी एकता साबित करनी होगी, नहीं तो विपक्ष इसे weakness के तौर पर पेश करेगा। सच कहूं तो यह मामला अभी और पानी पी सकता है।

अंत में एक बात साफ है – यह विवाद फिर से उन सवालों को उठा रहा है जिनसे कांग्रेस लंबे समय से जूझ रही है: leadership, internal democracy और future vision। अब देखना यह है कि पार्टी इस चुनौती को कैसे handle करती है। क्या यह संकट को अवसर में बदल पाएगी? वक्त ही बताएगा। पर एक बात तय है – राजनीति का यह मौसम बड़ा दिलचस्प होने वाला है!

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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