“क्यों RBI ने रेपो रेट नहीं घटाया? महंगाई और आम आदमी पर गवर्नर का बड़ा बयान!”

RBI ने रेपो रेट क्यों नहीं घटाया? गवर्नर का बयान और आम आदमी की जेब पर असर!

अरे भई, RBI ने फिर से वही किया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी! नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 6.5% पर ही रखा गया है। यानी लगातार चौथी बार कोई बदलाव नहीं। सच कहूं तो मैं खुद थोड़ा हैरान हूं – क्या आप भी यही सोच रहे थे कि इस बार शायद रेट कट हो जाए? लेकिन गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ कर दिया है कि महंगाई अभी भी उनकी नींद उड़ा रही है। और हां, वैश्विक हालात भी तो देख लीजिए – क्या पता कब क्या हो जाए!

रेपो रेट समझिए आसान भाषा में

चलिए पहले बेसिक्स समझ लेते हैं। रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। सोचिए जैसे आप किसी दोस्त से पैसे उधार लेते हैं और ब्याज देते हैं – वैसे ही! अब जब यह दर बढ़ती है तो बैंक भी आपसे ज्यादा ब्याज वसूलते हैं। और घटने पर? जाहिर है, EMI का बोझ थोड़ा हल्का हो जाता है। पिछले साल फरवरी में 25 basis points की बढ़ोतरी के बाद से यह दर ठहरी हुई है। मतलब? हम सभी को और इंतजार करना पड़ेगा।

अब महंगाई की बात करें तो मार्च में CPI 4.85% रहा। RBI का टारगेट है 4% – यानी अभी तो काफी गैप है! खासकर रोटी-पेट्रोल के दाम देखकर तो लगता है RBI का डर जायज है। गवर्नर साहब ने साफ कह दिया – “जब तक महंगाई पूरी तरह काबू में नहीं आ जाती, रेट कट की कोई गुंजाइश नहीं।” सख्त, लेकिन शायद जरूरी भी।

RBI की बैठक के मुख्य फैसले

इस बार क्या-क्या हुआ? तीन बड़े पॉइंट्स:
1. रेपो रेट वही 6.5% (कोई सरप्राइज नहीं)
2. महंगाई पर नजर रखने की चेतावनी (यह तो चलता रहेगा)
3. 2024-25 के लिए GDP growth का अनुमान 7% रखा (यह अच्छी खबर है!)

गवर्नर दास का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है। पर यह भी याद दिला दिया कि दुनिया भर में अभी क्या-क्या चल रहा है, उसका असर हम पर भी पड़ सकता है। समझदारी की बात है, है न?

किसको क्या लगा इस फैसले पर?

Experts की राय मिली-जुली है। कुछ का कहना है – “बिल्कुल सही फैसला, महंगाई तो अभी भी खतरनाक लेवल पर है।” वहीं दूसरे economists चिंता जता रहे हैं कि इससे लोन लेने वालों पर दबाव बढ़ेगा। सच्चाई यह है कि दोनों ही पक्षों में सच्चाई का कोई न कोई अंश है।

उद्योग जगत? वे तो बिल्कुल नाखुश हैं! FICCI और CII जैसी संस्थाएं तो रेट कट की मांग कर रही थीं। और home loan लेने वाले? उनकी तो बस यही गुहार है कि EMI कब कम होगी। लेकिन लगता है उन्हें और इंतजार करना पड़ेगा। थोड़ा कठोर फैसला, पर शायद जरूरी भी।

आगे क्या हो सकता है?

RBI ने संकेत दिया है कि अगर महंगाई काबू में आई तो भविष्य में रेट कट की संभावना है। पर यहां एक बड़ा ‘अगर’ लगा हुआ है। वैश्विक हालात भी तो देखने होंगे – अमेरिकी Federal Reserve क्या करती है, European Central Bank की क्या पॉलिसी आती है – यह सब हमें प्रभावित करेगा।

सरकार को भी अब कुछ कदम उठाने होंगे – खासकर खाद्य पदार्थों और पेट्रोल-डीजल की कीमतों को स्थिर करने के लिए। RBI साफ कह रहा है – “हम जोखिम नहीं लेंगे, चाहे economic growth पर थोड़ा असर ही क्यों न पड़े।”

आखिर में? लगता है RBI ‘अभी थोड़ा दर्द सहो, बाद में फायदा होगा’ वाली रणनीति पर चल रहा है। महंगाई पूरी तरह कंट्रोल में आने तक रेट कट की उम्मीद करना बेमानी है। हां, यह जरूर है कि यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था के लंबे समय के हित में है। पर आम आदमी को? उसे थोड़ा और संयम बरतना होगा। क्या करें, कभी-कभी कड़वी दवा भी पीनी पड़ती है!

RBI Repo Rate और महंगाई: जानिए वो सवाल जो आप पूछना चाहते थे!

RBI ने Repo Rate में कटौती क्यों नहीं की? समझिए असली वजह

सच पूछो तो, RBI की इस बार की चाल थोड़ी हैरान करने वाली थी। सबको लग रहा था कि शायद थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। असल में, महंगाई (inflation) अभी भी उस लक्ष्य से ऊपर है जिसे RBI आराम से सोते हुए भी याद रखता है! गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ कहा – अगर rate कम कर देते, तो ये महंगाई को और हवा देने जैसा होता। समझ गए न?

EMI बढ़ी रहेगी? जानिए Repo Rate के स्थिर रहने का आप पर क्या असर पड़ेगा

तो दोस्तों, अब सीधे आपके जेब पर असर वाली बात। Repo Rate जहां का तहां रहा, इसका मतलब… घर का लोन हो या कार का, EMI में कोई कमी नहीं आने वाली। FD कराने वालों के लिए भी खबर अच्छी नहीं – ब्याज दर वही ढाक के तीन पात रहेगा। और हां, महंगाई तो जैसे थी वैसे ही है… तो रोज़ के खर्चे पर दबाव भी कम होता नहीं दिख रहा। क्या करें, मुश्किल वक्त चल रहा है!

क्या आने वाले महीनों में मिलेगी राहत? RBI के संकेतों को समझिए

अब सवाल यह उठता है कि आगे क्या? RBI गवर्नर ने थोड़ी उम्मीद जगाई है। उनका कहना है कि अगर महंगाई काबू में आई (जो कि अभी दूर की कौड़ी लगती है), तो future meetings में rate cut पर गंभीरता से सोचा जा सकता है। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो, अभी तो RBI का पूरा ध्यान “price stability” पर है। वैसे भी, जल्दबाजी में गलत फैसला लेने से अच्छा है इंतज़ार करना, है न?

महंगाई से निपटने के लिए RBI के पास और क्या तरीके हैं?

देखिए, Repo Rate तो सिर्फ एक हथियार है RBI के पास। असल में तो उनके पास पूरा एक आर्सेनल है! जैसे open market operations (OMO) के जरिए वो मार्केट में liquidity को कंट्रोल कर सकते हैं। साथ ही, बैंकों को थोड़ा टाइट रहने के लिए कह सकते हैं – lending rates पर नजर रखो भई! और हां, इसमें सरकार की भूमिका भी कम नहीं – fuel और food prices को स्थिर करने में उनकी मदद बहुत काम आ सकती है। एक तरफ तो RBI… दूसरी तरफ सरकार… देखते हैं ये टीम कब तक महंगाई को हरा पाती है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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