SCO मीटिंग: भारत ने संयुक्त बयान पर साइन क्यों नहीं किया? जयशंकर ने खोली पूरी पोल!
अरे भाई, SCO की हालिया मीटिंग में तो भारत ने बड़ा दिलचस्प मूव किया! संयुक्त बयान पर साइन करने से साफ इनकार – और अब पूरे कूटनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा हो रही है। विदेश मंत्री जयशंकर ने तो साफ-साफ कह दिया – “हमारी चिंताओं को ignore करके कोई दस्तावेज़ पास नहीं होगा।” सच कहूँ तो, यह भारत का वो स्टैंड है जो हमें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग पहचान देता है।
पूरा माजरा क्या है?
देखिए, SCO (यानी शंघाई सहयोग संगठन) में भारत, चीन, रूस जैसे बड़े देश शामिल हैं। 2017 से हमारी full membership है और हमने हमेशा सक्रिय भूमिका निभाई है। लेकिन इस बार? बयान में कुछ ऐसे पॉइंट्स थे जो सीधे-सीधे हमारी सुरक्षा और हितों के खिलाफ थे। खासकर आतंकवाद को लेकर जो भाषा थी, वो तो मानो पाकिस्तान के हिसाब से लिखी गई हो!
एक तरफ तो कजाकिस्तान जैसे देशों ने हमारी बात समझने की कोशिश की… पर अंत में? कोई बदलाव नहीं। तो फिर क्या करते? साइन करके अपने सिद्धांतों से समझौता करते? नहीं न!
जयशंकर ने क्या कहा?
हमारे विदेश मंत्री ने तो बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कहा – “हमारी sovereignty और security से समझौता नहीं।” सच बात तो ये है कि बयान में चीन-पाकिस्तान का नज़रिया ज्यादा झलक रहा था। और हम? हमें तो वो मंच चाहिए जहाँ हमारी आवाज़ सुनी जाए।
अब सवाल यह उठता है – क्या QUAD या G20 जैसे अन्य मंच भारत के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं? शायद। पर ये तो वक्त ही बताएगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
चीन-पाकिस्तान निराश हैं – ये तो स्वाभाविक है। रूस ने बीच का रास्ता अपनाया। हमारे देश के अंदर? सरकार इसे राष्ट्रीय हितों की रक्षा बता रही है। विपक्ष कुछ सवाल उठा रहा है – पर याद रखिए, जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो तो पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।
कुछ एक्सपर्ट्स तो यहाँ तक कह रहे हैं कि SCO के भीतर के गहरे मतभेद अब सामने आ रहे हैं। और हाँ, ये सिर्फ भारत की बात नहीं – कई और देश भी चुपचाप असहमत हैं।
आगे की राह
असल में, यह घटना दो बातें साफ करती है:
1. भारत अब वो देश नहीं जो दबाव में आकर समझौता कर ले
2. बहुपक्षीय मंचों में हमारी भागीदारी जारी रहेगी – पर हमारी शर्तों पर
तो क्या SCO भविष्य में हमारी चिंताओं को गंभीरता से लेगा? या फिर हमें नए रास्ते तलाशने होंगे? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। पर एक बात तय है – जयशंकर और मोदी सरकार ने ये साबित कर दिया है कि भारत की विदेश नीति अब पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट और सिद्धांत-आधारित है।
क्या आपको नहीं लगता कि यह एक साहसिक कदम था? कमेंट में बताइए!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
SCO मीटिंग में भारत ने joint statement पर दस्तख़त क्यों नहीं किया? असल में बात क्या है?
देखिए, मामला सीधा-साधा है। भारत ने SCO के संयुक्त बयान पर इसलिए साइन नहीं किया क्योंकि उसमें CPEC जैसे मुद्दे शामिल थे – और ये तो आप जानते ही हैं कि चीन-पाकिस्तान का यह इकोनॉमिक कॉरिडोर हमारे कश्मीर से होकर गुज़रता है। साफ शब्दों में कहें तो, यह हमारी संप्रभुता पर सीधा हमला है। और भारत ऐसा कैसे बर्दाश्त कर सकता था?
जयशंकर ने इस पूरे मामले को कैसे समझाया? उनकी बात में दम था!
हमारे विदेश मंत्री जयशंकर जी ने तो बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कह दिया – “हम किसी भी ऐसे दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे जो भारत के हितों के खिलाफ जाए।” और सच कहूँ तो, उन्होंने बिल्कुल सही किया। Territorial integrity की बात आते ही भारत कभी समझौता नहीं करता। एकदम साफगोई से कह दिया न!
क्या यह फैसला सीधे तौर पर चीन और पाकिस्तान को मैसेज देने के लिए था?
अरे भाई, बिल्कुल! यह कोई छुपी हुई बात तो है नहीं। CPEC तो वैसे भी PoK से होकर गुज़रता है, जो कि हमारा हिस्सा है। तो सवाल ही क्या उठता है? SCO में हमने अपना पक्ष रख दिया – साफ, स्पष्ट और बिना लाग-लपेट के। चीन और पाकिस्तान को यह मैसेज गया हो न गया हो, लेकिन दुनिया ने तो समझ लिया कि भारत अपने मुद्दों पर कितना सख़्त है।
क्या इससे SCO की एकता टूटेगी? या फिर सब ठीक-ठाक चलेगा?
नहीं यार, ऐसा कुछ नहीं होने वाला। भारत का यह कदम SCO को कमज़ोर करने वाला नहीं है – बल्कि यह तो…
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com