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धर्मस्थल में जमीन उगलने का रहस्य! सरकार का 20 लाख रुपये प्रतिदिन का खर्च

धर्मस्थल में जमीन उगलने का रहस्य! और सरकार का 20 लाख रुपये रोज का पागलपन

अरे भाई, कर्नाटक के धर्मस्थल गाँव में तो हालात ऐसे हो गए हैं जैसे कोई बॉलीवुड थ्रिलर चल रहा हो। ‘स्पॉट नंबर 13’ नाम की ये जगह अचानक से क्यों इतनी मशहूर हो गई? असल में, SIT वाले यहाँ GPR तकनीक से जमीन को स्कैन कर रहे हैं – वो भी 20 लाख रुपये रोज के खर्च पर! सच कहूँ तो मेरा तो महीने का grocery बजट भी इतना नहीं होता।

कहानी कुछ यूँ शुरू हुई…

पिछले कुछ महीनों से यहाँ शव दफनाने की अजीबोगरीब खबरें आ रही थीं। है ना डरावना? और तो और, कई लाशों की पहचान तक नहीं हो पाई। मामला तब और गरमा गया जब ‘स्पॉट नंबर 13’ वाली जगह से कुछ संदिग्ध चीजें मिलीं। स्थानीय लोग तो यहाँ तक कह रहे हैं कि पूरा का पूरा इलाका ही कब्रिस्तान बन चुका है। और सबसे हैरानी की बात? इतने सारे दफन होने के बावजूद प्रशासन को पता ही नहीं चला। क्या सच में नहीं चला, या जानबूझकर अनदेखा किया गया?

GPR वाली टेक्नोलॉजी: क्या ये सच में काम करती है?

तो अब SIT ने GPR तकनीक लगा दी है। ये वो मशीन है जो जमीन के अंदर तक देख सकती है। टेक्नोलॉजी तो अच्छी है, पर 20 लाख रुपये रोज? भई साहब! मतलब एक महीने में 6 करोड़! इस पैसे से तो पूरा गाँव ही बसाया जा सकता था। पर जब तक सच सामने नहीं आता, तब तक ये खर्चा जारी रहेगा। क्या आपको नहीं लगता कि ये पैसा कहीं और बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो सकता था?

लोग क्या कह रहे हैं? और राजनीति कहाँ घुस गई?

एक स्थानीय आदमी ने तो मुझे बताया – “यहाँ तो भूत-प्रेत वगैरह भी डर के भाग जाएँ।” वहीं दूसरी तरफ SIT वाले बड़े गंभीर होकर बोल रहे हैं – “हम तकनीक की मदद से सच उजागर करेंगे।” और हाँ, राजनीति तो हर मुसीबत में घुस ही जाती है ना? विपक्ष वाले तो मानो ईद का चाँद देख लिया हो – “सरकार फेल! स्वतंत्र जांच चाहिए!” अरे भाई, जांच तो चल ही रही है ना?

आगे क्या होगा? कुछ अंदाजा?

GPR के रिजल्ट आने के बाद शायद और गिरफ्तारियाँ होंगी। पर सवाल ये है कि क्या सच में कुछ बड़ा मिलेगा? या फिर ये सब एक बड़ा ‘ड्रामा’ साबित होगा? एक तरफ तो ये केस कर्नाटक की राजनीति को हिला सकता है, वहीं दूसरी तरफ ये पूरी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देता है। ईमानदारी से कहूँ तो, मुझे तो लगता है अभी और बम्ब फटने वाले हैं।

तो क्या सीख मिली?

धर्मस्थल वाला ये केस साबित करता है कि भारत में आज भी कितने राज दबे पड़े हैं। सरकार पैसा पानी की तरह बहा रही है, विपक्ष मौका पाकर हमला कर रहा है, और आम जनता? वो तो बस ये सब देखकर सिर पीट रही है। एक बात तो तय है – अगर यहाँ वाकई बड़े पैमाने पर अवैध दफनाएँ हुई हैं, तो ये केस देश भर में तहलका मचा देगा। और हाँ, अगर कुछ नहीं मिला तो? तो फिर 20 लाख रुपये रोज के खर्च का हिसाब कौन देगा? सोचने वाली बात है…

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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