पीएम मोदी का 5 देशों का दौरा: NAM और BRICS के बीच भारत की चाल?
अभी तक तो आपने सुना ही होगा – मोदी जी फिर विदेशी दौरे पर निकल रहे हैं। पर ये कोई सामान्य यात्रा नहीं है, दोस्तों। 2 से 9 जुलाई के बीच घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राज़ील और नामीबिया… ये सारे देश एक साथ? सोचने वाली बात है ना? असल में, ये पूरा दौरा NAM और BRICS जैसे फोरम्स में भारत की स्थिति मजबूत करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा लगता है।
Global South के साथ पक्की दोस्ती
अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन देशों में इतनी दिलचस्पी क्यों? देखिए, पिछले कुछ सालों से भारत की फॉरेन पॉलिसी में एक बड़ा शिफ्ट आया है। हम Global South के देशों के साथ रिश्ते गढ़ने में जुटे हैं – और ये सिर्फ राजनीति नहीं है। ट्रेड से लेकर एनर्जी सिक्योरिटी तक, हर चीज में इन देशों की अहमियत बढ़ रही है। NAM और BRICS तो बस प्लेटफॉर्म हैं, असली खेल तो इकोनॉमिक्स का है।
हर स्टॉप का अपना मतलब
अब जरा इस दौरे को गहराई से समझते हैं। घाना और नामीबिया? यहां हमारी सॉफ्ट पावर दिखाने का मौका है। डिफेंस डील्स पर बातचीत तो होगी ही, साथ ही कल्चरल कनेक्शन्स भी मजबूत होंगे। त्रिनिदाद और टोबैगो… वो छोटा सा कैरिबियाई देश? अरे भाई, क्लाइमेट चेंज और डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे मुद्दों पर यहां से सीखने को बहुत कुछ है।
और अर्जेंटीना-ब्राज़ील वाले हिस्से की बात करें तो… ये पूरा BRICS और G20 के एजेंडे पर सेंटर है। ब्राज़ील में होने वाले BRICS समिट में चीन-रूस जैसे देशों के साथ बैठकें… ये तो गेम चेंजर हो सकता है। क्या पता डॉलर के विकल्प पर कोई बड़ी चर्चा हो जाए!
क्या कह रही है दुनिया?
इस दौरे को लेकर रिएक्शन्स तो मिले-जुले हैं। एक तरफ MEA इसे ‘Global South’ के लिए बड़ा कदम बता रहा है, तो विपक्ष वाले कह रहे हैं – “घर की मुसीबतें भूल गए?” पर अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स की नजर में… ये चीन के बढ़ते प्रभाव को बैलेंस करने की चाल है। और सच कहूं तो, कुछ हद तक सही भी लगता है।
आगे क्या होगा?
मेरा पर्सनल अनुमान? इस दौरे के बाद कम से कम 10-12 नए समझौते देखने को मिलेंगे। डिफेंस और ट्रेड सेक्टर में तो डील्स होनी ही हैं। BRICS में भारत की आवाज और मजबूत होगी – खासकर करेंसी स्वैप जैसे मुद्दों पर। और सबसे बड़ी बात… अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में हमारी डिप्लोमेसी का दबदबा बढ़ेगा।
तो ये थी मोदी जी की इस मल्टी-कंट्री टूर की स्टोरी। एक तरह से देखें तो, ये भारत की मल्टीलेटरल डिप्लोमेसी का गोल्डन चैप्टर साबित हो सकता है। पर सवाल ये है कि क्या ये सब घरेलू राजनीति से ध्यान भटाने का तरीका है या वाकई में बड़ी रणनीति? वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो ये कहा जा सकता है – चाल बड़ी दिलचस्प है!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com