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पेंटागन ने हार्वे मिल्क के नाम वाले जहाज का नाम बदलने का आदेश दिया – जानें पूरा मामला

Pentagon ने हार्वे मिल्क के नाम वाले जहाज का नाम बदला – क्या है पूरा माजरा?

अब ये क्या हो गया? अमेरिकी रक्षा विभाग (Pentagon) ने एक ऐसा फैसला किया है जिसने सबको हैरान कर दिया। हार्वे मिल्क के नाम वाले नौसैनिक जहाज का नाम बदलने का आदेश! और सबसे मजेदार बात ये है कि ये फैसला Pride Month के दौरान आया है, जब पूरी दुनिया में LGBTQ+ समुदाय को समर्थन दिखाया जा रहा है। असल में, Pentagon इन्हीं दिनों ट्रांसजेंडर सैनिकों को सेना से हटाने की प्रक्रिया भी चला रहा है। थोड़ा अजीब लगता है न?

हार्वे मिल्क कौन थे? और क्यों इतना बड़ा मसला है ये नाम?

देखिए, हार्वे मिल्क कोई आम शख्सियत नहीं थे। सोचिए – एक तरफ तो वो US Navy के वीर सैनिक, जिन्होंने कोरियाई युद्ध में देश की सेवा की। और दूसरी तरफ, अमेरिका के पहले खुले तौर पर समलैंगिक निर्वाचित अधिकारी! 1978 में उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनकी विरासत… वो तो आज भी जिंदा है। शायद यही वजह थी कि US Navy ने अपने एक जहाज का नाम उनके नाम पर रखा था। सम्मान की बात थी।

Pentagon का फैसला – क्या कहता है पूरा मामला?

तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर Pentagon ने ये कदम क्यों उठाया? रक्षा सचिव Pete Hegseth ने नाम बदलने का आदेश दिया है, हालांकि नया नाम क्या होगा – ये अभी पता नहीं। मजे की बात ये है कि एक ही समय में दो विपरीत घटनाएं हो रही हैं। एक तरफ Pride Month का जश्न, दूसरी तरफ ट्रांसजेंडर सैनिकों को हटाने की कार्रवाई। क्या आपको भी ये विरोधाभासी नहीं लगता?

क्यों भड़क रहा है विवाद?

ईमानदारी से कहूं तो, इस फैसले ने अमेरिका में तूफान खड़ा कर दिया है। LGBTQ+ संगठन तो बिल्कुल आगबबूला हैं – उनका कहना है कि ये ऐतिहासिक विरासत को मिटाने की कोशिश है। वहीं Pentagon का कहना है कि ये “सैन्य एकता” के लिए जरूरी था। राजनीति की बात करें तो… डेमोक्रेट्स बुरा मान रहे हैं, रिपब्लिकन खुश। सामान्य सी बात है न?

अब आगे क्या होगा?

अभी तो ये मामला और लंबा खिंचने वाला है। LGBTQ+ संगठन कोर्ट का रुख कर सकते हैं। समाज में बहस और तेज होगी। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं आएंगी – खासकर उन देशों से जहां समलैंगिकता कानूनी है।

एक बात और – Pentagon ने अभी तक कोई पूरा स्पष्टीकरण नहीं दिया है। तो ये कहानी अभी जारी रहेगी। असल में, ये सिर्फ एक जहाज के नाम की बात नहीं है। ये तो अमेरिकी समाज में चल रही उस बड़ी सांस्कृतिक लड़ाई का नया अध्याय है। देखते हैं आगे क्या होता है!

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अमेरिकी नौसेना का यह जहाज़, USNS हार्वे मिल्क, अचानक सुर्खियों में आ गया है। क्यों? क्योंकि पेंटागन ने इसका नाम बदलने का फैसला किया है। और भई, यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। असल में, यह सिर्फ एक नाम का मामला नहीं, बल्कि ऐतिहासिक पहचान और आज के सामाजिक-राजनीतिक मूल्यों की टकराहट है।

तो सवाल यह है कि क्या नाम सच में इतना मायने रखते हैं? देखा जाए तो हाँ, बिल्कुल रखते हैं। यह उतना ही ज़रूरी है जितना कि किसी इमारत पर लगा नामपट्ट। वही जो उसकी कहानी बयान करता है।

अब इसके आगे क्या होगा? यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तो तय है – यह फैसला आने वाले दिनों में काफी चर्चा का विषय बना रहेगा। सच कहूँ तो, ऐसे मामले हमेशा दिलचस्प होते हैं। है न?

पेंटागन और हार्वे मिल्क जहाज का नाम बदलने का विवाद – जानिए पूरा मामला

पेंटागन ने अचानक हार्वे मिल्क जहाज का नाम क्यों बदलने का फैसला लिया?

देखिए, मामला थोड़ा पेचीदा है। असल में, हार्वे मिल्क एक LGBTQ+ एक्टिविस्ट थे – और यहीं से शुरू होती है पूरी बहस। कुछ लोगों को लगता है कि नेवी के जहाज का नाम किसी सामाजिक आंदोलन से जुड़ा हो, यह ठीक नहीं। मतलब, सेना और राजनीति को अलग रखने की बात चली। हालांकि, सच कहूं तो यह फैसला थोड़ा अजीब लगता है। क्या सच में नाम बदलने से कोई फर्क पड़ेगा?

हार्वे मिल्क कौन थे? और भला उनका नाम जहाज पर क्यों था?

अरे, यह तो दिलचस्प कहानी है! हार्वे मिल्क सिर्फ एक LGBTQ+ एक्टिविस्ट नहीं थे – वे तो सैन फ्रांसिस्को के पहले openly gay elected official थे। उनके नाम पर जहाज रखने का मकसद साफ था: समावेशन (inclusion) और LGBTQ+ समुदाय को समर्थन दिखाना। पर सवाल यह है – क्या सेना को ऐसे प्रतीकात्मक कदम उठाने चाहिए? एक तरफ तो यह प्रगतिशील लगता है, लेकिन दूसरी तरफ…खैर, बहस तो चलेगी ही।

अब क्या होगा? जहाज का नया नाम क्या होगा और कब तक?

सच बताऊं? अभी तक सब कुछ अटकलों का खेल है। पेंटागन official announcement करने वाला है, पर कोई टाइमलाइन नहीं दी गई। मेरा अनुमान? शायद अगले कुछ हफ्तों में कुछ साफ हो। पर इतना तय है – यह फैसला किसी को भी पूरी तरह खुश नहीं कर पाएगा।

लोग इस पर क्या कह रहे हैं? LGBTQ+ समुदाय की क्या प्रतिक्रिया है?

वाह! यहां तो रिएक्शन्स का पूरा मेला लगा है। LGBTQ+ समुदाय के कई लोग तो बिल्कुल खफा हैं – मानो उनके संघर्ष को ही नकार दिया गया हो। पर दूसरी तरफ, कुछ लोग कहते हैं कि सेना के उपकरणों का नाम राजनीति से दूर रहना चाहिए। सच कहूं? दोनों पक्षों में दम है। पर सवाल यह है कि क्या यह फैसला वास्तव में किसी समस्या का समाधान है, या सिर्फ एक नई बहस शुरू करने का तरीका?

एक बात तो तय है – यह मामला अभी लंबा चलेगा। और हां, social media पर तो #HarveyMilk ट्रेंड कर ही रहा है। क्या आपको नहीं लगता कि यह सिर्फ शुरुआत है?

Source: PBS Newshour | Secondary News Source: Pulsivic.com

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