भारत का ‘स्पेस ब्वॉय’ शुभांशु शुक्ला ISS पर: क्या यह मिशन ISRO के लिए गेम-चेंजर साबित होगा?
दोस्तों, कल्पना कीजिए – एक भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष में तैर रहा है और पृथ्वी की तस्वीरें खींच रहा है। सपना जैसा लगता है न? लेकिन यह सच हो चुका है! ISRO के युवा साइंटिस्ट शुभांशु शुक्ला ने ISS पर कदम रखकर इतिहास बना दिया है। और यह कोई छोटी-मोटी उपलब्धि नहीं है। सोचिए, यह वही शुभांशु हैं जो कुछ साल पहले तक बेंगलुरु के एक छोटे से लैब में प्रयोग कर रहे थे। अब वो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर हैं – जहाँ से वो हमारे गगनयान मिशन के लिए ज़रूरी डेटा जुटा रहे हैं। क्या यह कमाल नहीं?
असल में, शुभांशु की यह यात्रा सिर्फ एक वैज्ञानिक की सफलता नहीं है। यह तो पूरे भारतीय स्पेस प्रोग्राम के लिए एक बड़ी छलांग है। हालांकि, कई लोग पूछ रहे हैं – आखिर NASA ने पहली बार किसी भारतीय वैज्ञानिक को ISS पर क्यों भेजा? मेरा मानना है कि यह ISRO की बढ़ती ताकत का नतीजा है। पिछले कुछ सालों में चंद्रयान और मंगल मिशन की सफलताओं ने हमें वैश्विक स्पेस कम्युनिटी में एक अलग पहचान दिलाई है। और अब तो NASA भी हमारी तकनीकी क्षमताओं को सलाम कर रहा है!
लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि शुभांशु वहाँ पर क्या कर रहे हैं? मैंने कुछ एक्सपर्ट्स से बात की तो पता चला – वो माइक्रोग्रैविटी में होने वाले बदलावों पर रिसर्च कर रहे हैं। यानी जब इंसान लंबे समय तक जीरो ग्रैविटी में रहता है तो उसके शरीर पर क्या असर पड़ता है। यह डेटा हमारे गगनयान मिशन के लिए सोने से कम नहीं है। सच कहूँ तो, यह वैसा ही है जैसे कोई क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप से पहले विदेशों में प्रैक्टिस मैच खेले। एकदम ज़रूरी।
ISRO के चीफ ने तो यहाँ तक कह दिया – “यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है।” और सही भी कहा। पर मैं यह जोड़ना चाहूँगा कि यह सिर्फ ISRO की नहीं, पूरे देश की सफलता है। PMO ने भी ट्वीट करके बधाई दी है। लेकिन असली सवाल तो यह है कि आगे क्या? मेरे हिसाब से तो यह सिर्फ शुरुआत है। 2027 में गगनयान मिशन आने वाला है, और उससे पहले शायद NASA के साथ और भी प्रोजेक्ट्स होंगे। एक तरफ तो यह हमारे वैज्ञानिकों के लिए गोल्डन ऑपरच्युनिटी है, दूसरी तरफ यह भारत को ग्लोबल स्पेस पावर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
तो दोस्तों, क्या आपको नहीं लगता कि शुभांशु की यह उड़ान हमारे स्पेस प्रोग्राम के लिए नई उम्मीदों का संदेश लेकर आई है? मैं तो यही कहूँगा – यह ISRO का स्टार मोमेंट है। और हाँ, अगली बार जब आप रात को आसमान देखें, तो याद रखिए – वहाँ ऊपर एक भारतीय वैज्ञानिक हमारे लिए नई संभावनाएँ तलाश रहा है। क्या बात है!
यह भी पढ़ें:
शुभांशु शुक्ला की ISS यात्रा… सुनने में ही कितना अच्छा लगता है, है न? यह सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। असल में देखा जाए तो यह ISRO और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी छलांग है – जैसे क्रिकेट में कोई शतक लगा देना!
लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं। यह ऐतिहासिक उड़ान हमारे देश की ताकत को एक नए लेवल पर ले जाएगी। सोचिए – ज्यादा research, नए innovations, और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जिंदा उदाहरण कि ‘हाँ, यह मुमकिन है!’
मजे की बात यह है कि इसका फायदा सिर्फ ISRO को ही नहीं होगा। सच कहूं तो पूरे भारत के लिए यह एक game-changer साबित हो सकता है। जैसे हमारे चंद्रयान और मंगलयान मिशनों ने दुनिया को हैरान किया था, वैसे ही…
एक तरफ तो यह हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा है, दूसरी तरफ यह साबित करता है कि भारत अब space technology में किसी से पीछे नहीं। बस, अब और आगे बढ़ने की देर है!
सच बताऊं? मुझे तो लगता है यह सिर्फ शुरुआत है। आने वाले सालों में और भी बड़े मिशन देखने को मिलेंगे। क्या आपको नहीं लगता?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com