“मणिशंकर अय्यर का बयान: कांग्रेस दफ्तर का चपरासी चाय नहीं पूछता, क्यों उठती है सीने में टीस?”

मणिशंकर अय्यर का बयान: कांग्रेस दफ्तर का चपरासी चाय नहीं पूछता, क्यों उठती है सीने में टीस?

अरे भई, कांग्रेस के बुजुर्ग नेता और पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर ने तो आग लगा दी है! उनका ताजा बयान सुनकर लगता है जैसे पार्टी के अंदर का सारा गुस्सा फिर से सतह पर आ गया हो। सच कहूं तो उनकी बात सुनकर दिल दुखता है – भला कोई इतना बड़ा नेता हो और पार्टी ऑफिस का चपरासी तक उससे चाय पूछना बंद कर दे? ये सिर्फ एक नेता की व्यक्तिगत तकलीफ नहीं, बल्कि कांग्रेस के अंदर की उस खाई को दिखाता है जो दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही है।

एक दिग्गज नेता की पीड़ा

देखिए, मणिशंकर अय्यर कोई नौसिखिया नेता तो हैं नहीं। इन्होंने तो कांग्रेस और सरकार में कितने ही अहम पद संभाले हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इनकी भूमिका धीरे-धीरे कम होती गई है। वैसे तो 2017 में ही उनका वो ‘नीचा दिखाऊंगा’ वाला बयान आ चुका था जिससे साफ था कि नेतृत्व से तनाव है। असल में कांग्रेस की युवाओं को आगे लाने की नीति ने कई वरिष्ठों को पीछे धकेल दिया है। और अफसोस, अय्यर साहब भी इसी का शिकार लगते हैं।

“चपरासी तक नहीं पूछता चाय”

अय्यर जी ने हाल के इंटरव्यू में कहा – “अब तो कांग्रेस दफ्तर का चपरासी भी मुझसे चाय नहीं पूछता। दर्द होता है यार।” सुनकर हैरानी होती है न? उनका कहना है कि अब पार्टी में उनकी कोई सुनवाई नहीं। ये बयान सिर्फ एक नेता की तकलीफ नहीं दिखाता, बल्कि एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – क्या कांग्रेस अपने पुराने घोड़ों को भूल रही है? वैसे अभी तक पार्टी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। शायद सोच रहे होंगे कि क्या बोलें!

राजनीतिक गलियारों में प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस के कुछ नेताओं ने (बिना नाम बताए तो) कहा कि ये तो बस असंतोष है, लेकिन पार्टी सबकी सुनती है। वहीं दूसरी तरफ BJP वालों ने तो मौका ही पकड़ लिया – “देखो, कांग्रेस में कैसा बवाल है!” राजनीति के जानकारों का कहना है कि ये पुराने और नए नेतृत्व के बीच की दूरी को दिखाता है। और ये तो किसी से छुपा नहीं कि ये कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

आगे की राह क्या होगी?

अब सवाल ये है कि कांग्रेस इस पर क्या करेगी? क्या वो अपने वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने का तरीका बदलेगी? अय्यर जी के बयान के बाद तो और भी नेताओं के मुंह खुलने का डर है। खासकर उनका जो खुद को अनदेखा महसूस कर रहे हैं। ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है दोस्तों। ये तो कांग्रेस के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकती है।

आखिर में क्या कहें… मणिशंकर अय्यर का ये बयान तो बस शुरुआत है। ये कांग्रेस के अंदर की उस लड़ाई को दिखाता है जो शायद अब खुलकर सामने आ रही है। अगले कुछ दिनों में और भी कुछ सुनने को मिल सकता है। और हां, ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस आग को कैसे बुझाती है। वैसे मेरी निजी राय? बिना अपने अनुभवी नेताओं के, कोई पार्टी आगे नहीं बढ़ सकती। सोचने वाली बात है!

यह भी पढ़ें:

मणिशंकर अय्यर का वो बयान: चपरासी, चाय और सीने की टीस का असली मतलब क्या है?

अय्यर साहब ने आखिर क्या कहा था?

देखिए, मणिशंकर अय्यर ने तो बस इतना कहा था – “कांग्रेस दफ्तर का चपरासी चाय तक नहीं पूछता, फिर भी ये सीने में टीस क्यों उठती है?” सुनने में साधारण सा लगे, लेकिन असल में ये बयान कांग्रेस के अंदर की उस हवा को बयां कर रहा है जिसे हर कोई महसूस तो कर रहा है, पर बोल नहीं पा रहा। ऐसा नहीं कि ये पहली बार हुआ हो, पर इस बार बात ज़्यादा गहरी लगी।

पर इसका मतलब क्या निकालें?

असल बात ये है कि अय्यर साहब ने पार्टी के दो हिस्सों की तुलना कर दी। एक तरफ तो वो छोटे-मोटे कर्मचारी जो दिन-रात मेहनत करते हैं (चपरासी वाली बात सिर्फ एक उदाहरण है), और दूसरी तरफ वो नेता जिन्हें हर छोटी-बड़ी बात में तकलीफ होती है। ये सुनकर आपको भी लगा ना कि शायद पार्टी के अंदर कुछ तो गड़बड़ है? ठीक वही बात!

क्या सच में इतना बड़ा विवाद होना चाहिए?

सच कहूं तो हम भारतीयों को तो विवाद पसंद ही है! पर इस बार बात सिर्फ विवाद से आगे की है। अय्यर के इन शब्दों ने पार्टी के उस दर्द को छू दिया है जिसे वो लंबे समय से छुपा रही थी। कुछ लोग कह रहे हैं कि ये पार्टी की छवि के लिए ठीक नहीं, पर सवाल ये है कि क्या सच्चाई छुपाने से वो बदल जाएगी? Food for thought!

ये सब किस माहौल में कहा गया?

देखिए, जब कोई बड़ा नेता ऐसी बात कहता है तो वो बिना कारण के नहीं होता। कांग्रेस में पिछले कुछ समय से जो अंदरूनी खींचतान चल रही है, ये बयान उसी की एक कड़ी है। अय्यर ने जानबूझकर या अनजाने में, पार्टी के उस अंतर्विरोध को उजागर कर दिया जहां ग्राउंड लेवल के कार्यकर्ता और टॉप लीडरशिप के बीच की खाई दिखने लगी है। और ये खाई सिर्फ चाय-पानी की बात नहीं रह गई है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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