PAK फौज की असली कहानी: सैनिक या सिर्फ कहानीकार? भारत क्यों नहीं फंसता इनके जाल में?
एक बार फिर वही पुरानी कहानी! वजीरिस्तान में हुए आत्मघाती हमले के बाद पाकिस्तान ने बिना किसी सबूत के भारत पर आरोपों की बौछार कर दी। है न मजेदार? असल में देखा जाए तो यह कोई नई बात नहीं – जब भी पाकिस्तान को अपनी नाकामियों को छुपाना होता है, भारत ही आसान टारगेट बन जाता है। MEA ने इन आरोपों को खारिज करते हुए साफ कहा – “अपने घर का झाड़ू पहले लगाओ!” सच कहूं तो यह घटना साबित करती है कि PAK की सेना में सैनिकों से ज्यादा कहानीकार बैठे हैं, जिनका काम बस नए-नए बहाने गढ़ना है।
वजीरिस्तान: जहां आतंकवाद को मिलता है ‘घर जैसा’ आशियाना
अब बात करते हैं वजीरिस्तान की। ये पाकिस्तान का वो उत्तरी इलाका है जहां आतंकी गुटों को ऐसा आराम मिलता है जैसे किसी फाइव स्टार होटल में मिलता हो! सालों से यह इलाका न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बना हुआ है। और सबसे दिलचस्प बात? PAK की सेना और सरकार पर लगातार आतंकियों को पालने-पोसने के आरोप लगते रहे हैं। 26/11 जैसे हमले हो या फिर अन्य घटनाएं – पैटर्न तो एक ही है। लेकिन सवाल यह है कि कब तक चलेगा यह खेल?
बिना सबूत के आरोप: PAK का पसंदीदा शगल
इस बार भी वही हुआ – हमला हुआ और तुरंत भारत पर उंगली उठा दी गई। पर सबूत? वो तो कहीं नजर नहीं आया! MEA ने इन आरोपों को ‘प्रोपेगैंडा’ बताकर ठुकरा दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी किसी ने इन दावों को सपोर्ट नहीं किया। और तो और, PAK के अपने मीडिया में भी मतभेद साफ दिखे। कुछ चैनल तो बिना सोचे-समझे भारत को कोसने लगे, जबकि कुछ ने सरकार से पूछा – “भाई सबूत कहाँ है?” रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ अपनी गलतियों को छुपाने का तरीका है। एक तरह से देखें तो भारत को ‘स्केपगोट’ बना दिया जाता है।
भारत का स्टैंड: ‘ना’ में ही है भलाई
भारत ने इस बार साफ इनकार कर दिया है कि वह इन झूठे आरोपों में उलझेगा। MEA का स्टेटमेंट तो एकदम क्लियर था – “अपने घर का कचरा साफ करो पहले!” यह भारत की उसी स्मार्ट स्ट्रैटजी का हिस्सा है जहां वह PAK के प्रोपेगैंडा को इग्नोर करके असली मुद्दों पर फोकस करता है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत लगातार PAK की असलियत उजागर कर रहा है। और इस बार भी यही होगा। सच तो यह है कि अब भारत इन खेलों में पड़ना ही नहीं चाहता।
आगे क्या? टेंशन बढ़ने के आसार
इस घटना से भारत-पाक रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। पर भारत ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है – “हम इन झूठे आरोपों में नहीं पड़ेंगे।” अगर PAK सबूत नहीं देता (जो कि वो कभी देता भी नहीं), तो उसकी विश्वसनीयता और गिरेगी। जो पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद कमजोर है। भविष्य में भारत आतंकवाद के मुद्दे को और स्ट्रॉंगली उठाएगा। PAK का यह रवैया साबित करता है कि वह अपनी गलतियों का ठीकरा हमेशा भारत के सिर फोड़ता है। लेकिन अब भारत ने इन खेलों से बाहर निकलने का फैसला कर लिया है।
अंत में सिर्फ इतना कहूंगा – PAK की फौज में सैनिक कम, कहानीकार ज्यादा हैं। और भारत? वो अब इनकी कहानियों पर विश्वास करने को तैयार नहीं। असली मुद्दों पर फोकस करना ही समझदारी है। है न?
यह भी पढ़ें:
PAK फौज की सच्चाई – कुछ ऐसे सवाल जो हर किसी के दिमाग में आते हैं
1. सच बताऊं? क्या PAK फौज सिर्फ दिखावा है या असल में दम है इनमें?
देखिए, एक तरफ तो PAK फौज के पास tanks, missiles और soldiers हैं – ये तो सच है। लेकिन अगर हम भारतीय media की बात करें, तो इनकी ताकत को थोड़ा…बहुत ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। असलियत? इनकी economy तो पहले ही डूबी हुई है, फिर modern weapons का खर्चा कहाँ से उठाएंगे? सोचने वाली बात है ना?
2. भारत इन्हें हल्के में क्यों नहीं लेता? समझदारी या डर?
अरे भई, कोई भी समझदार देश दुश्मन को कम नहीं आंकता – चाहे वो कितना भी कमजोर क्यों न हो। ये तो वैसा ही है जैसे आप किसी छोटे से सांप को भी हाथ नहीं लगाते। हालांकि…सच कहूं तो हमारी army और intelligence इनसे कई गुना आगे है। पर फिर भी, overconfidence तो खतरनाक चीज होती है ना?
3. PAK फौज को लेकर कौन-कौनसे झूठ फैले हुए हैं? सच जानकर हैरान रह जाओगे!
असल में तो कई मिथक चल रहे हैं – जैसे कि “दुनिया की सबसे बहादुर फौज” वाली बात…हंसी आती है ना? या फिर ये कि इनके पास India से भी ज्यादा modern हथियार हैं। सच्चाई? इनके ज्यादातर equipment चीन के पुराने मॉडल्स हैं, और training…उस पर बात भी न करें तो बेहतर!
4. क्या PAK फौज और ISI एक ही सिक्के के दो पहलू हैं?
तकनीकी तौर पर अलग जरूर हैं, लेकिन…यार ये लोग तो जैसे एक ही body के left और right hand हैं! ISI तो खुल्लमखुल्ला anti-India operations में लगी रहती है। बताऊं? कभी-कभी तो लगता है कि PAK फौज से ज्यादा खतरनाक यही ISI ही है।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com