पति की आंखों में मिर्ची पाउडर डालकर गला दबाया! सोनम-मुस्कान जैसी क्रूर निकली सुमंगला

पति की आंखों में मिर्ची डालकर गला दबाया? सच में, सुमंगला सोनम-मुस्कान से कम नहीं निकली!

बुलंदशहर का ये केस सुनकर तो मेरा दिमाग ही सुन्न हो गया। सच कहूं तो ऐसी घटनाएं सुनकर इंसानियत पर से यकीन उठने लगता है। कल्पना कीजिए – आपके साथ रहने वाला इंसान ही आपकी जान लेने पर उतारू हो जाए? सुमंगला और उसके साथियों ने जो किया, वो तो किसी डरावनी फिल्म की स्क्रिप्ट लगती है। पहले मिर्ची पाउडर से आंखें जलाईं, फिर बेरहमी से गला दबाया… और अंत में शव को कुएं में फेंक दिया? ये तो वाकई सोनम-मुस्कान वाले केस की याद दिला देता है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी?

पीछे की कहानी जानते हैं?

35 साल के रामकिशन की कहानी सुनकर दिल दहल जाता है। गांव वाले बताते हैं कि पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े तो आम बात थी। पर क्या किसी ने सोचा था कि ये इतना भयानक रूप ले लेगा? स्थानीय लोगों की मानें तो सुमंगला का स्वभाव हमेशा से ही चिड़चिड़ा था। हालांकि, किसी ने ये उम्मीद नहीं की थी कि वो हद ही पार कर देगी। पुलिस को तब शक हुआ जब कुएं से शव मिला… और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने सबकुछ साफ कर दिया।

ताजा अपडेट क्या है?

अच्छी खबर ये है कि पुलिस ने सुमंगला समेत तीनों आरोपियों को पकड़ लिया है। जांच में पता चला कि उन्होंने पहले मिर्ची पाउडर का हथियार इस्तेमाल किया – ताकि रामकिशन बचाव न कर सके। सच में, ये तो बिल्कुल फिल्मी स्टाइल की प्लानिंग लगती है! शव को बोरी में बंद करके कुएं में फेंकना… क्या ये कोई प्रोफेशनल अपराधी कर रहा था? सबसे दिलचस्प? सुमंगला के mobile से मिले chats और call records ने पुलिस के हाथ मजबूत कर दिए। अब देखना ये है कि ये सबूत कोर्ट में कैसे पेश होते हैं।

लोग क्या कह रहे हैं?

पीड़ित के परिवार वालों का कहना है कि सुमंगला लंबे समय से नाराज़ थी। पर सवाल ये उठता है – क्या नाराज़गी का ये कोई हल है? स्थानीय नेताओं ने तो इसे ‘घिनौना’ तक कह दिया है। और सही भी है न? पुलिस वाले अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं लगता है। पूछताछ चल रही है, नए सबूत जुटाए जा रहे हैं… पर क्या ये केस सिर्फ एक पारिवारिक झगड़े तक सीमित है? या इसमें कुछ और भी है?

अब आगे क्या?

पुलिस तो कार्रवाई करेगी ही – आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा। लेकिन असली सवाल ये है कि क्या इससे ऐसी घटनाएं रुक पाएंगी? देखा जाए तो ये केस सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं, बल्कि हमारे समाज के टूटते रिश्तों का आईना है। क्या हम इंसानियत भूलते जा रहे हैं? या फिर ये सिर्फ कुछ अलग-थलग मामले हैं? सच तो ये है कि जब तक हम घरों में शांति और प्यार नहीं बढ़ाएंगे, ऐसी खबरें आती रहेंगी। कड़वा सच, पर सच तो है!

यह भी पढ़ें:

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

More From Author

विंड वेकर प्रशंसकों के लिए यह लीजेंड ऑफ ज़ेल्डा वॉल आर्ट है बेस्ट गिफ्ट आइडिया!

“29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस: ‘डाटा बाबा’ प्रसाद चंद्र महालनोबिस की अनकही कहानी और आंकड़ों की दुनिया”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments

Archives