आधार क्या सत्यापित करता है और क्या नहीं? पूरी जानकारी यहां

आधार क्या सत्यापित करता है और क्या नहीं? असलियत जानिए

अभी बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर कुछ दिलचस्प हुआ है। चुनाव आयोग मतदाता सूची अपडेट कर रहा है और लोगों के मन में आधार को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। देखिए न, कितने लोग सोच रहे हैं कि क्या आधार कार्ड से उनकी नागरिकता साबित हो जाती है? या फिर जन्म स्थान? या वोटर आईडी? मजे की बात ये है कि ये सवाल सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं – पूरे देश में लोग कन्फ्यूज हैं। तो चलिए आज इसी गड़बड़झाले को साफ करते हैं।

पूरा मामला क्या है?

यूं तो आधार कार्ड हम सबके पास है – वो नीला-पीला कार्ड जिसके बिना अब कुछ भी नहीं होता। UIDAI वालों ने इसे बनाया था मूल रूप से सरकारी योजनाओं का फायदा सही लोगों तक पहुंचाने के लिए। लेकिन अब तो हालत ये है कि बैंक खाता खोलो, नया mobile connection लो, यहां तक कि अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना हो – हर जगह आधार चाहिए। पर सच तो ये है कि हम में से ज्यादातर लोग नहीं जानते कि आधार असल में क्या साबित करता है और क्या नहीं। है न मजेदार बात?

एक तरफ तो चुनाव आयोग इसे वैध दस्तावेज मान रहा है, दूसरी तरफ UIDAI कह रहा है कि भई ये नागरिकता का प्रमाण नहीं है। तो फिर क्या है ये? चलिए टुकड़ों में समझते हैं।

आधार करता क्या है… और क्या नहीं?

क्या करता है: सबसे पहली बात – आधार सिर्फ ये बताता है कि आप भारत में रहते हैं। बस। नागरिकता नहीं, जन्मस्थान नहीं, धर्म तो बिल्कुल नहीं। पर इसका मतलब ये नहीं कि ये कमजोर दस्तावेज है। असल में तो ये हमारे फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन जैसी बायोमेट्रिक जानकारी से लिंक होने के कारण दुनिया के सबसे मजबूत पहचान प्रमाणों में से एक है। अब तो PAN कार्ड से लेकर जीवन बीमा तक – हर जगह KYC के लिए आधार चाहिए।

क्या नहीं करता: यहां थोड़ा ध्यान दीजिए। अगर आपको passport बनवाना है या वोटर ID कार्ड, तो आधार कार्ड अकेला काम नहीं आएगा। ये नागरिकता साबित नहीं करता – ये बात UIDAI ने कितनी बार दोहराई है मगर फिर भी लोग समझते क्यों नहीं? और हां, चुनाव आयोग ने इसे पते के प्रमाण के तौर पर तो स्वीकार किया है, पर वोटर ID के रूप में नहीं। समझे न फर्क?

लोग क्या कह रहे हैं?

इस पूरे मसले पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है। UIDAI वाले तो बार-बार एक ही रट लगाए हुए हैं – “आधार सिर्फ पहचान प्रमाण है, नागरिकता दस्तावेज नहीं।” चुनाव आयोग वाले कह रहे हैं कि “हां, पते के प्रमाण के लिए ठीक है, पर वोटर ID नहीं बन सकता।” और हमारे एक्टिविस्ट दोस्त? उनका कहना है कि “भई, लोगों को साफ-साफ बताया जाना चाहिए कि आधार से क्या होगा और क्या नहीं।” सच कहूं तो तीनों ही पक्ष सही लगते हैं।

आगे क्या होगा?

अब तो चुनाव आयोग अपना काम करेगा – मतदाता सूची अपडेट करेगा और आधार को पते के प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल करेगा। पर असली सवाल ये है कि क्या UIDAI लोगों को ये समझाने में कामयाब होगा कि आधार की अपनी लिमिटेशंस हैं? मेरे ख्याल से तो सरकार को एक बड़ा अवेयरनेस कैंपेन चलाना चाहिए – वो भी ऐसा जिसमें passport, जन्म प्रमाण पत्र जैसे दूसरे दस्तावेजों के साथ आधार के रोल को क्लियर किया जाए। नहीं तो ये कन्फ्यूजन तो बना ही रहेगा।

आखिर में बस इतना – आधार एक जबरदस्त पहचान प्रमाण है, मगर ये हर काम के लिए नहीं बना। जैसे हमारे घर में हर काम के लिए अलग-अलग औजार होते हैं (क्या आप कैंची से कील ठोंकेंगे?), वैसे ही हर सरकारी काम के लिए अलग दस्तावेज की जरूरत होती है। थोड़ा सा ध्यान रखिएगा, सही दस्तावेज इस्तेमाल कीजिएगा – बस फिर कोई दिक्कत नहीं होगी। है न आसान बात?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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