एयर इंडिया AI171 क्रैश: जब पायलट की एक छोटी सी गलती ने बड़ा हादसा करवा दिया
12 जून की सुबह… वो 11:17 का वक्त शायद अहमदाबाद एयरपोर्ट पर मौजूद लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 – जो बस मुंबई से अहमदाबाद तक की एक रूटीन फ्लाइट थी – अचानक ही सुर्खियों में आ गई। लैंडिंग के वक्त विमान का रनवे से फिसलकर ग्रास एरिया में जा पहुंचना… सच कहूं तो ये कोई छोटी-मोटी घटना नहीं थी। खैर, राहत की बात ये रही कि सभी यात्री और क्रू सुरक्षित निकल गए। लेकिन अब AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) की रिपोर्ट ने इस पूरे मामले पर नया प्रकाश डाला है। और कहानी कुछ ऐसी है जिसे सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी।
रिपोर्ट में क्या है? असलियत जानकर दंग रह जाएंगे आप
तो AAIB की जांच ने जो खुलासे किए हैं, वो कुछ यूं हैं – मुख्य जिम्मेदारी पायलट पर ही आती है। है ना हैरान कर देने वाली बात? लैंडिंग के वक्त स्पीड कंट्रोल करने में चूक… और यही छोटी सी गलती बन गई बड़े हादसे की वजह। पर यहीं खत्म नहीं होता मामला। कॉकपिट में पायलट और को-पायलट के बीच कम्युनिकेशन गैप भी सामने आया है। मतलब साफ है – टीमवर्क में कमी। हालांकि ATC को भी कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया गया है, पर मुख्य आरोप तो पायलट पर ही लगे हैं। सोचिए, एक पल की लापरवाही और कितना बड़ा नुकसान!
घटना के बाद क्या हुआ? जानिए industry की प्रतिक्रिया
इस एक्सीडेंट ने तो पूरे एविएशन सेक्टर को हिलाकर रख दिया। एयर इंडिया वाले तो बिल्कुल पसोपेश में दिखे – उनका कहना है कि वो अब पायलट्स को एक्स्ट्रा ट्रेनिंग देंगे। पर विशेषज्ञों की राय कुछ और ही है। उनका मानना है कि ये पूरा मामला CRM (Cockpit Resource Management) की कमी को उजागर करता है। और सच कहूं तो उनकी ये बात बिल्कुल सही लगती है। जिन यात्रियों ने इस हादसे को झेला, उनके अनुभव तो और भी डरावने हैं। कुछ ने तो खुलेआम एयरलाइन्स की सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पर सवाल उठा दिए हैं।
आगे क्या? क्या सीखा हमने इस घटना से?
अब सवाल ये उठता है कि भविष्य में क्या बदलाव आएंगे? DGCA शायद पायलट ट्रेनिंग के नियमों को और सख्त बनाए। एयरलाइन्स को ATC और पायलट्स के बीच कम्युनिकेशन गैप को दूर करने के लिए नए गाइडलाइंस लाने होंगे। मेरी निजी राय? सेफ्टी ऑडिट्स की संख्या बढ़नी चाहिए। बार-बार। बिना किसी चेतावनी के। क्योंकि जान है तो जहान है।
अंत में बस इतना…
AAIB की रिपोर्ट ने तो सच सामने रख दिया है। पर असली सवाल ये है कि क्या हम सच में इस घटना से सीखेंगे? पायलट ट्रेनिंग हो या ATC प्रोटोकॉल्स – हर लेवल पर सुधार की जरूरत है। वरना… अगली बार भाग्य हमारा साथ नहीं दे सकता। और ये बात मैं नहीं, ये घटना कह रही है।
AAIB की रिपोर्ट ने तो इस दुर्घटना का मुख्य कारण पायलट की गलती बताया है। सच कहूँ तो, ये एक ऐसी ग़लती थी जिसकी कीमत बहुत भारी पड़ी। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ़ पायलट को दोष देना ही काफ़ी है? असल में, ऐसे मामलों में सुरक्षा नियमों की अनदेखी किसी भी पल बड़ी त्रासदी को न्यौता दे सकती है। ये वाकया हमें याद दिलाता है कि safety protocols को follow करना उतना ही ज़रूरी है जितना कि सड़क पर traffic rules मानना।
अब बात करते हैं आपकी। ये जानकारी सिर्फ़ आपके लिए ही नहीं, बल्कि आपके friends और family के लिए भी काम की हो सकती है। तो क्यों न इसे share करके awareness फैलाएँ? वैसे, updates के लिए हमसे जुड़े रहिएगा। क्योंकि जानकारी ही सुरक्षा की पहली सीढ़ी है, है न?
क्रैश से पहले क्या हुआ? – जानिए पूरी कहानी
AAIB रिपोर्ट के मुताबिक, पायलट की कौन-सी गलती क्रैश की वजह बनी?
देखिए, AAIB की रिपोर्ट तो काफी clear है – पायलट ने technical malfunction को हल्के में ले लिया। और यहीं से गड़बड़ शुरू हुई। सही procedure follow करने की बजाय, उन्होंने शायद सोचा “चलता है, manage हो जाएगा”। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। असल में यही overconfidence आखिरकार क्रैश का कारण बनी।
क्या इस एक्सीडेंट को रोका जा सकता था?
ईमानदारी से कहूं तो… हां! अगर पायलट ने थोड़ा सा भी समय निकालकर ATC (Air Traffic Control) को inform किया होता… emergency protocol के बारे में सोचा होता… तो शायद आज यह बातचीत न हो रही होती। पर ये तो “अगर” और “मगर” वाली बात हो गई न?
AAIB रिपोर्ट में और क्या खुलासे हुए हैं?
यहां तो और भी interesting details सामने आई हैं। जैसे कि विमान के maintenance records… उनमें कुछ ऐसी irregularities थीं जिन पर शायद नजर डाली जानी चाहिए थी। एक तरफ तो technical fault, दूसरी तरफ maintenance issues – दोनों ने मिलकर हादसे को invite किया। सच कहूं तो ये सब पढ़कर थोड़ा डर सा लगता है।
भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
अब DGCA ने airlines के साथ बहुत strict हो गया है। नए safety guidelines तो एक thing हैं, लेकिन असली change आ रहा है pilot training programs में। इन्हें और भी practical बनाया जा रहा है – real-life scenarios पर ज्यादा focus। क्योंकि theory तो ठीक है, पर practical situations में cool head रखना ही असली test है। सच कहूं तो ये सब changes बहुत जरूरी थे। देर से ही सही, पर सही दिशा में कदम तो हैं!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com