AAP नेता आतिशी ने सीलमपुर में सद्भावना कांवड़ शिविर का उद्घाटन किया, कहा- “यह गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक”

AAP नेता आतिशी का बड़ा कदम: सीलमपुर में सद्भावना कांवड़ शिविर, पर क्या यह सच में ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ का प्रतीक है?

दिल्ली का सीलमपुर। जहां मोहल्ले-मोहल्ले में अलग-अलग मजहबों के लोग रहते हैं, वहां AAP के नेता आतिशी ने एक खास सद्भावना कांवड़ शिविर शुरू किया। और बात की वही पुरानी – “यह हमारी गंगा-जमुनी तहजीब को दिखाता है।” सुनने में अच्छा लगता है, है न? लेकिन असल में इसका क्या मतलब है? आतिशी के मुताबिक, यहां सभी धर्मों के लोग एक साथ आकर भाईचारे का संदेश देंगे। बात तो सही है, पर क्या ऐसा हो पाएगा? देखते हैं।

अब कांवड़ यात्रा तो आप जानते ही हैं – गंगा जल लेकर शिव मंदिर तक की पैदल यात्रा। पर सीलमपुर जैसी जगहों में, जहां हिंदू-मुस्लिम आबादी साथ-साथ रहती है, ऐसे आयोजनों का मतलब कुछ और ही होता है। AAP वैसे भी ऐसे कार्यक्रमों को लेकर चर्चा में रहती है। यह शिविर भी उसी की एक कड़ी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ दिखावा है या असल में कुछ बदलाव लाएगा?

शिविर के उद्घाटन पर आतिशी ने कुछ दिलचस्प घोषणाएं कीं। मसलन, कांवड़ यात्रियों को मुफ्त पानी, भोजन और medical facilities मिलेंगी। अच्छी बात है। पर उनका यह कहना कि यह पहल “धर्म के नाम पर फैलाए जा रहे बंटवारे को खत्म करेगी”… थोड़ा बड़ा दावा नहीं लगता? खैर, कार्यक्रम में स्थानीय लोगों के साथ-साथ कुछ धार्मिक नेताओं ने भी हिस्सा लिया। तो शुरुआत तो अच्छी हुई।

प्रतिक्रियाएं? जैसा कि हमेशा होता है – कुछ लोग तारीफ कर रहे हैं, कुछ निंदा। AAP के अपने लोग इसे “एकता की मिसाल” बता रहे हैं। स्थानीय लोगों को भी अच्छा लग रहा है। लेकिन विपक्ष? उनका तो काम ही है आलोचना करना! उन्होंने इसे “राजनीतिक दिखावा” कह दिया। AAP वालों ने जवाब दे दिया। यही चलता रहता है, है न?

अब सबसे मजेदार सवाल – आगे क्या? AAP ने कहा है कि वह दिल्ली के और इलाकों में भी ऐसे शिविर लगाएगी। दो तरह के लोग इसे दो तरह से देख रहे हैं – कुछ का कहना है कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ेगा, जबकि राजनीति के जानकार इसे 2024 के चुनावों से पहले की एक चाल मान रहे हैं। सच क्या है? शायद दोनों ही बातें सही हैं।

आखिर में क्या कहें? आतिशी की यह पहल अच्छी है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक ‘इवेंट’ बनकर रह जाएगा या फिर कुछ ठोस बदलाव लाएगी? वक्त बताएगा। फिलहाल तो यह एक सकारात्मक शुरुआत है – बस इतना ही कहा जा सकता है।

आतिशी का यह सद्भावना कांवड़ शिविर, जो सीलमपुर में चल रहा है, सच में कुछ खास है। देखिए न, हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब तो वैसे भी मशहूर है, लेकिन यहां तो बात ही कुछ और है! क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसे छोटे-छोटे प्रयास असल में कितना बड़ा असर डालते हैं?

मेरा मानना है कि यह शिविर सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जीता-जागता उदाहरण है – हमारी एकता का। और सच कहूं तो, आज के दौर में जब हर तरफ बंटवारे की बातें हो रही हैं, ऐसे प्रयास और भी ज़रूरी हो जाते हैं।

अब सवाल यह उठता है – क्या सच में ऐसे कार्यक्रम समाज को बदल सकते हैं? मेरी नज़र में तो बिल्कुल! छोटे-छोटे कदम ही तो बड़े बदलाव लाते हैं। जैसे कि… अरे, एक बूंद-एक बूंद से ही सागर भरता है न?

हालांकि, सिर्फ इतना कहकर मैं बात खत्म नहीं करूंगा। असल में ये community initiatives हमें याद दिलाते हैं कि हमारी diversity ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। और यह बात online debates से कहीं ज़्यादा ऐसे real-life examples में दिखाई देती है। सच कहूं तो – एकदम ज़बरदस्त। सच में।

AAP नेता आतिशी और सद्भावना कांवड़ शिविर – जानिए सबकुछ!

1. सद्भावना कांवड़ शिविर – एक अनोखी पहल या सिर्फ राजनीति?

देखिए, ये कोई सामान्य शिविर नहीं है। असल में, ये एक ऐसा community initiative है जहां हिंदू-मुस्लिम सब मिलकर काम कर रहे हैं। आतिशी जी ने इसे ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ कहा तो सही कहा – पर सवाल यह है कि क्या ये सिर्फ बातों तक सीमित रहेगा? अभी तक तो स्थिति अच्छी लग रही है। वैसे, कांवड़ यात्रा में ये शिविर वाकई काम आता है।

2. सीलमपुर में ही क्यों? कोई खास वजह?

अच्छा सवाल! सीलमपुर कोई random जगह नहीं चुनी गई। यहां हिंदू-मुस्लिम दोनों communities बड़ी संख्या में रहते हैं। आतिशी जी का यहां शिविर खोलना… समझदारी भरा कदम लगता है। लेकिन ये भी सच है कि ये इलाका politically भी काफी active रहा है। क्या ये सिर्फ भाईचारे की बात है? शायद। पर कम से कम कांवड़ियों को तो फायदा मिल ही रहा है।

3. क्या मिलता है इस शिविर में? सिर्फ पानी या कुछ और?

अरे नहीं भई! सिर्फ पानी पिलाकर तो कोई भी शिविर नहीं चला सकता। यहां free drinking water तो है ही, साथ ही medical facilities भी हैं – जो कांवड़ यात्रा में बहुत जरूरी है। Resting area और food arrangements की बात करें तो… बिल्कुल ठीक है। सबसे अच्छी बात? सभी धर्मों के volunteers मिलकर काम कर रहे हैं। एकदम ज़बरदस्त।

4. क्या यार, साल भर नहीं चलेगा ये शिविर?

सच कहूं तो नहीं। ये specifically कांवड़ यात्रा के लिए ही organize किया गया है। पर गलत मत समझिए – AAP की तरफ से और भी social initiatives चल रहे हैं। हालांकि… ये बात अलग है कि कांवड़ के समय ही इतनी hype क्यों? शायद इसलिए क्योंकि ये वक्त ही ऐसा होता है जब लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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