अहमदाबाद प्लेन क्रैश: वो 12 मिनट जिन्होंने 260 जिंदगियाँ लील लीं
12 जून 2023 की सुबह… वो सुबह जिसे अहमदाबाद के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। सोचिए, एक विमान जो बिल्कुल नॉर्मल टेकऑफ करता है, और अचानक – बस कुछ ही मिनटों में – आसमान से जमीन पर आ गिरता है। एयर इंडिया का वो बोइंग 787-8 (फ्लाइट AI 171) जो लंदन जाने वाला था, अचानक दोनों इंजन फेल होने से बेकाबू हो गया। असल में देखा जाए तो पायलट्स के पास रिएक्ट करने तक का टाइम नहीं था। और फिर? वो भयानक टक्कर… एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से। 260 लोगों की जान चली गई। और हैरानी की बात? सिर्फ एक शख्स बच पाया। किसी चमत्कार से कम नहीं!
नया विमान, पुरानी गलतियाँ?
अब सवाल यह उठता है – आखिर हुआ क्या था? दिलचस्प बात ये है कि ये विमान कोई पुराना जर्जर नहीं था। बल्कि 2018 में ही एयर इंडिया को मिला था। मतलब सिर्फ 5 साल पुराना! मौसम भी उस दिन एकदम क्लियर था। कोई बादल नहीं, कोई तूफान नहीं। फिर भी? हालाँकि… एक बात गौर करने वाली है। 2022 में ही इसी मॉडल के विमानों में इंजन की दिक्कतों को लेकर अलर्ट जारी हुआ था। पर किसने सुनी ये बातें? शायद कोई नहीं। और नतीजा? सामने है।
ब्लैक बॉक्स ने खोले राज
जाँच शुरू हुई तो एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे होने लगे। सबसे पहले तो – विमान के इंजनों में तेल लीक! ये कोई छोटी-मोटी गड़बड़ी नहीं थी। इतनी बड़ी कि पूरा सिस्टम फेल हो गया। ATC ने तुरंत विमान को वापस बुलाने की कोशिश की, मगर कम्युनिकेशन सिस्टम भी धराशायी हो चुका था। और सबसे डरावनी बात? ब्लैक बॉक्स से पता चला कि विमान का सॉफ्टवेयर… वो भी फेल! मतलब इंजन फेल होने पर ऑटो-रिकवरी सिस्टम एक्टिवेट ही नहीं हुआ। क्या ये टेक्नोलॉजी पर ज्यादा भरोसा करने की कीमत थी?
दोषी कौन? – सबके अपने-अपने जवाब
हादसे के बाद तो हर कोई एक-दूसरे पर उँगली उठाने लगा। एयर इंडिया वाले बोले – “हम पीड़ित परिवारों के साथ हैं”। सरकार ने कहा – “कड़ी कार्रवाई होगी”। मगर जिन परिवारों ने अपनों को खोया, उनका गुस्सा देखने लायक था। एक शोक संतप्त पिता का सवाल मुझे आज भी याद है – “क्या मेरे बेटे की जान की कीमत सिर्फ कुछ लाख रुपये है?” सच कहूँ तो, ऐसे सवालों के जवाब किसके पास हैं?
आगे क्या? – सवाल बड़े, जवाब छोटे
अब सबसे बड़ा सवाल – भविष्य में क्या बदलेगा? एयर इंडिया को न सिर्फ करोड़ों का मुआवजा देना होगा, बल्कि अपने पूरे बेड़े की सेफ्टी चेक करनी होगी। सरकार शायद बोइंग 787-8 की जाँच का आदेश दे। पर क्या ये काफी है? मेरा मानना है कि पूरी दुनिया को अब सोचना होगा – क्या हम टेक्नोलॉजी पर जरूरत से ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं? ये हादसा सिर्फ एक विमान दुर्घटना नहीं, बल्कि हमारी सोच पर एक बड़ा सवाल है।
एक बात तो तय है – अहमदाबाद की ये त्रासदी भारतीय एविएशन के इतिहास में काले अक्षरों से लिखी जाएगी। और हम? हम सिर्फ यही उम्मीद कर सकते हैं कि ऐसी गलतियाँ दोबारा न हों। पर क्या सिर्फ उम्मीद करना काफी है? शायद नहीं।
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अहमदाबाद प्लेन क्रैश – वो सवाल जो आप पूछना चाहते हैं (FAQs)
1. अहमदाबाद प्लेन क्रैश में आखिर हुआ क्या था?
देखिए, ये केस थोड़ा कॉम्प्लेक्स है। एयर इंडिया के विमान ने टेकऑफ तो ठीक से कर लिया, लेकिन फिर क्या? दोनों इंजन एक साथ फेल हो गए! सच कहूं तो ये सुनकर ही रूह कांप जाती है। जांच में पता चला कि तकनीकी गड़बड़ी थी, पर सवाल ये है कि ऐसी गलतियां होनी ही क्यों चाहिए?
2. इसकी जांच कौन कर रहा है? क्या हमें सच पता चलेगा?
अभी DGCA और एयर इंडिया की संयुक्त टीम जांच कर रही है। ब्लैक बॉक्स डेटा तो मिल गया है, पर असली सवाल ये है कि क्या वो पूरी कहानी बताएगा? हम भारतीयों को तो याद है कि ऐसे मामलों में अक्सर ‘टेक्निकल इश्यू’ बताकर बात खत्म कर दी जाती है। लेकिन उम्मीद करते हैं कि इस बार सच सामने आएगा।
3. क्या ऐसे हादसों को रोका जा सकता है? या ये भाग्य का खेल है?
भाग्य का खेल? बिल्कुल नहीं! असल में ये लापरवाही का खेल है। मेरा मानना है कि अगर मेनटेनेंस पर थोड़ा और पैसा और वक्त लगाया जाए, पायलट ट्रेनिंग को और स्ट्रिक्ट बनाया जाए, तो 90% एक्सीडेंट रोके जा सकते हैं। पर सवाल वही है न – क्या एयरलाइंस इतना खर्च करने को तैयार हैं?
4. एयर इंडिया ने क्या कदम उठाए? या सिर्फ दिखावा है?
ऑफिशियली तो बहुत कुछ किया है – इमरजेंसी ऑडिट, नए मेनटेनेंस प्रोटोकॉल, मुआवजा वगैरह। लेकिन हम जानते हैं न कि अक्सर ये सब कागजों तक ही रह जाता है। असली टेस्ट तो अब है – क्या ये नए नियम असल में लागू होंगे? या फिर कुछ महीनों बाद सब भूल जायेंगे? वक्त बताएगा।
एक बात और – क्या आपने गौर किया कि हर बार एक्सीडेंट के बाद ही एक्शन लिया जाता है? प्रिवेंटिव मेजर्स की बात क्यों नहीं होती? सोचने वाली बात है…
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