अहमदाबाद विमान हादसा: क्या सच में थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल और फ्यूल स्विच ने धोखा दिया? AAIB की रिपोर्ट से जो सामने आया…
अरे भाई, अहमदाबाद में हुआ वो एयर इंडिया का हादसा याद है ना? अब उसकी जांच रिपोर्ट में ऐसा खुलासा हुआ है कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं। AAIB (यानी एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो) की रिपोर्ट कहती है – विमान ने जमीन छोड़ी भी नहीं कि मात्र तीन सेकंड में ही फ्यूल कंट्रोल स्विच ने काम करना बंद कर दिया! सोचो जरा… टेकऑफ के वक्त ऐसी गड़बड़ी हो जाए तो? यही वजह रही कि विमान नियंत्रण से बाहर हो गया और रनवे से दूर जाकर क्रैश हो गया। सच कहूं तो ये केस सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि पूरे एविएशन सेफ्टी सिस्टम पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
क्या हुआ था उस दिन? जब अहमदाबाद एयरपोर्ट पर सब कुछ सेकंडों में बदल गया
12 जून 2023 की वो सुबह… एयर इंडिया का बोइंग 737 विमान अहमदाबाद से उड़ान भरने वाला था। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। टेकऑफ के ठीक बाद – मतलब बिल्कुल ठीक बाद – विमान ने गति खो दी और रनवे से बाहर निकलकर एक खाली प्लॉट में जा गिरा। अच्छा हुआ कि सभी यात्री और क्रू सेफ निकले, वरना… खैर, शुक्र है। पर सवाल तो उठता ही है ना – आखिर हुआ क्या था? शुरुआती जांच से पता चला कि इंजनों ने अचानक काम करना बंद कर दिया। और अब AAIB की रिपोर्ट ने पूरा माजरा साफ कर दिया है।
AAIB जांच ने क्या खोज निकाला? वो चौंकाने वाले फैक्ट्स जो आपको जानने चाहिए
देखिए, AAIB की जांच तो बहुत डीटेल में हुई है। और पता चला है कि विमान के थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल और फ्यूल स्विच में कुछ ऐसी गड़बड़ी थी कि टेकऑफ के तुरंत बाद ही दोनों इंजनों को फ्यूल सप्लाई कट गई! ये कोई छोटी-मोटी खराबी नहीं थी, बल्कि एक गंभीर टेक्निकल फेलियर। सबसे हैरानी की बात ये कि CVR (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) के अनुसार पायलट्स ने सारे प्रोटोकॉल सही फॉलो किए, लेकिन स्विच की खराबी के चलते विमान को बचाना मुमकिन नहीं रहा। अब तो बोइंग और इंजन मेकर कंपनी से जवाब मांगा जा रहा है। सच कहूं तो ये केस बहुत सारे सवाल खड़े करता है।
एक्सपर्ट्स क्या कह रहे हैं? और क्या ये सिर्फ एक इंसिडेंट था या बड़ी समस्या का संकेत?
इस घटना ने पूरे एविएशन इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। एयर इंडिया के प्रवक्ता तो फिलहाल रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन विमानन सुरक्षा एक्सपर्ट कैप्टन राहुल शर्मा का कहना है कि ये “एक दुर्लभ मगर बेहद गंभीर टेक्निकल फेलियर” था। उनका सीधा सा सवाल है – क्या थ्रॉटल कंट्रोल सिस्टम की जांच पर्याप्त सख्ती से हो रही है? और सच तो ये है कि यात्री संघ भी अब मैन्युफैक्चरिंग और मेंटेनेंस प्रोसेस पर सख्त निगरानी की मांग कर रहे हैं। क्योंकि ऐसी एक भी गलती… और फिर?
आगे क्या? क्या इस घटना के बाद एविएशन सेफ्टी में बदलाव आएंगे?
अब तो AAIB की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है, जिसमें ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गाइडलाइन्स होंगी। DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) शायद बोइंग 737 के फ्यूल सिस्टम के लिए नए नियम ला सकता है। और अगर जांच में कंपनी की कोई लापरवाही सामने आई तो? तब तो कानूनी कार्रवाई से लेकर मुआवजे तक की लंबी प्रक्रिया शुरू हो सकती है। सच पूछो तो ये हादसा पूरे इंडस्ट्री के लिए एक वेक-अप कॉल है – जो याद दिलाता है कि सेफ्टी प्रोटोकॉल्स में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। क्योंकि जब आसमान में होते हैं, तो हर छोटी सी चीज़ भी बहुत मायने रखती है। सच में।
यह भी पढ़ें:
- Ahmedabad Plane Crash Fuel Control Switch Failure
- Ahmedabad Plane Crash Fuel Control Switch Responsible
- Plane Crash Investigation Fuel Leak Engine Failure 270 Deaths
अहमदाबाद विमान हादसे की जांच रिपोर्ट ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। AAIB की टीम ने पाया कि थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल और फ्यूल स्विच में खराबी ने बड़ी भूमिका निभाई। अब सवाल यह है कि क्या ये समस्याएं नियमित मेनटेनेंस में पकड़ में आ सकती थीं? शायद हाँ।
ये घटना सिर्फ एक हादसा भर नहीं है, बल्कि हमारे विमानन सुरक्षा सिस्टम पर एक बड़ा सवालिया निशान है। देखा जाए तो टेक्निकल ऑडिट्स और मेनटेनेंस की अहमियत वैसी ही है जैसे कार में नियमित सर्विसिंग – इग्नोर करो तो बड़ी मुसीबत!
हालांकि, इस रिपोर्ट के सकारात्मक पहलू भी हैं। अगर इन निष्कर्षों को सही तरीके से लागू किया जाए, तो भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकता है। पर यहाँ एक बड़ी शर्त है – जांच की सिफारिशों पर वास्तव में अमल होना चाहिए। वरना, ये सब रिपोर्ट्स सिर्फ फाइलों की शोभा बढ़ाती रह जाएंगी।
सच कहूँ तो, ऐसी हर घटना हमें याद दिलाती है कि सेफ्टी प्रोटोकॉल्स को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। एकदम ज़रूरी बात।
अहमदाबाद विमान हादसा – वो सवाल जो आप पूछना चाहते हैं (FAQs)
1. थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल (TCM) ने इस हादसे में क्या भूमिका निभाई?
देखिए, AAIB की रिपोर्ट तो कहती है कि TCM में खराबी थी… लेकिन सवाल यह है कि ये खराबी इतनी बड़ी कैसे हो गई? असल में, ये मॉड्यूल विमान के इंजन को कंट्रोल करता है, और जब यही फेल हो जाए तो पायलट्स के हाथ-पैर फूल जाते हैं। Technical fault तो था ही, पर असली मसला ये था कि इसने पायलट्स की कंट्रोल करने की क्षमता को ही चैलेंज कर दिया।
2. क्या फ्यूल स्विच की खराबी भी इसका कारण बनी?
सुनिए, AAIB की जांच तो यही कहती है – हाँ, फ्यूल स्विच में दिक्कत थी। पर मजे की बात ये है कि ये कोई छोटी-मोटी गड़बड़ी नहीं थी। विमान को जरूरत भर का ईंधन ही नहीं मिल पा रहा था! आप सोचिए, गाड़ी चल रही हो और पेट्रोल ही खत्म हो जाए… कुछ वैसा ही हाल था। ये सिस्टम फेलियर हादसे का बड़ा कारण बना, इसमें कोई शक नहीं।
3. इस हादसे से एविएशन सेफ्टी को क्या सीख मिली?
अब यहाँ दिलचस्प बात ये है… DGCA और AAIB ने तुरंत एक्शन लिया। TCM और फ्यूल सिस्टम की जाँच अब और सख्त हो गई है। लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं – पायलट ट्रेनिंग में भी बड़ा बदलाव आया है। अब इमरजेंसी प्रोटोकॉल पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। एक तरह से कहें तो ये हादसा हमारी सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा बन गया।
4. क्या आगे ऐसे हादसों को रोका जा सकता है?
ईमानदारी से कहूँ तो… 100% गारंटी तो कोई नहीं दे सकता। लेकिन हाँ, AAIB के सुझावों को अगर ठीक से लागू किया जाए तो रिस्क काफी कम हो सकता है। बेहतर मेनटेनेंस, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और क्रू ट्रेनिंग – ये तीनों मिलकर बहुत बड़ा फर्क ला सकते हैं। पर याद रखिए, एविएशन में ‘जीरो रिस्क’ जैसी कोई चीज़ नहीं होती। बस रिस्क मैनेजमेंट होता है।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com