AI की भूख ने अमेरिका में बिजली के दाम आसमान पर पहुंचा दिए!
क्या आपने कभी सोचा था कि Artificial Intelligence (AI) आपके बिजली के बिल को प्रभावित करेगी? अमेरिका में यही हो रहा है – बिजली की कीमतें इतिहास के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुँच गई हैं। और हैरानी की बात यह है कि इसका एक बड़ा कारण AI की बढ़ती मांग है। PJM जैसे ग्रिड ऑपरेटर्स को तो अब 10% ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। याद है ट्रंप का वादा? “सस्ती बिजली देंगे” वाला? उसके ठीक उलट स्थिति बन रही है।
पूरी कहानी क्या है?
असल में देखा जाए तो पिछले कुछ सालों में अमेरिका में Data Centers की संख्या बेतहाशा बढ़ी है। ये डेटा सेंटर्स… भईया, बिजली के दीवाने हैं! इनकी भूख इतनी ज्यादा है कि पूरे देश में ऊर्जा की मांग आसमान छू रही है। PJM Interconnection, जो 13 राज्यों में बिजली बांटता है, ने तो साफ चेतावनी दे दी है – AI और Cloud Computing की बढ़ती भूख ग्रिड के लिए खतरा बन रही है। सच कहूँ तो पिछले 10 साल तक बिजली के दाम स्थिर थे, लेकिन अब तो पूरा गेम ही बदल गया है।
अब ताजा अपडेट क्या है?
तो PJM ने क्या किया? उन्होंने बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए 10% ज्यादा भुगतान करने का फैसला किया है। पर यहाँ सिर्फ AI ही दोषी नहीं है। Cryptocurrency Mining जैसी चीजें भी इस मांग को और हवा दे रही हैं। डर तो इस बात का है कि अगर यही हाल रहा, तो सिर्फ महंगी बिजली ही नहीं, बड़े पैमाने पर Blackout का भी खतरा पैदा हो जाएगा। सोचिए, अचानक से सब कुछ बंद हो जाए तो?
लोग क्या कह रहे हैं?
एनर्जी एक्सपर्ट्स की राय? “AI ने ऊर्जा बाजार को अचानक से चुनौती दे दी है।” सरकार को Renewable Energy Sources पर जल्दी काम करना होगा। वहीं राजनीतिक विश्लेषक ट्रंप के वादों पर सवाल उठा रहे हैं। और अच्छी खबर? कुछ बड़ी Tech Companies ने अपने Data Centers को ज्यादा Energy Efficient बनाने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। देखते हैं कितना फर्क पड़ता है।
आगे की राह क्या है?
अब अमेरिकी सरकार को दो काम करने होंगे – ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना और ग्रिड को मजबूत करना। वरना तो यह संकट और गहराएगा। AI Industry को भी Energy Efficient Technologies पर ध्यान देना होगा। नहीं तो आम आदमी के बिजली के बिल भी आसमान छूने लगेंगे। और फिर महंगाई? उसका तो पता ही है!
अभी यह मामला विकसित हो रहा है। पर एक बात तो साफ है – यह सिर्फ अमेरिका की नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक सबक है। टेक्नोलॉजी और ऊर्जा के बीच संतुलन बनाना कितना जरूरी है, यह इस घटना से साबित होता है। क्या हम सीखेंगे? वक्त बताएगा।
Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com