AI171 प्लेन क्रैश: वो अस्पताल का फोन जिसने दिल को फिर से दहला दिया
सोचिए, आप धीरे-धीरे उस दर्दनाक हादसे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं जहां आपने अपनों को खो दिया… और फिर अचानक अस्पताल से फोन आता है। अहमदाबाद के AI-171 प्लेन क्रैश के शिकार यात्रियों के परिजनों के साथ ऐसा ही हुआ है। क्रैश साइट से मिले नए अवशेषों की DNA रिपोर्ट आने के बाद उन्हें फिर से बुलाया गया है। सच कहूं तो, ये खबर सुनकर किसका दिल नहीं दहल जाएगा? खासकर तब, जब आप 7 मई 2023 की उस काली सुबह को भूलने की कोशिश कर रहे हों जब ये फ्लाइट अहमदाबाद के पास जमीन से टकरा गई थी।
कहानी उस दिन से शुरू होती है…
याद है आपको वो दिन? 7 मई 2023… जब AI-171 का क्रैश होते ही पूरा देश सन्न रह गया था। सभी यात्री और crew members की मौत… बस इतनी सी बात नहीं है। असल में, rescue operation के बावजूद कुछ शवों के अवशेष नहीं मिल पाए थे। और अब? मलबा हटाते समय कुछ और टुकड़े मिले हैं। Forensic टीम को भेजे गए ये अवशेष परिजनों के लिए नई मुसीबत लेकर आए हैं। क्योंकि जख्म भरने में वक्त लगता है, खुरचने में नहीं।
अब तक क्या हुआ?
DNA टेस्ट की रिपोर्ट आ चुकी है। परिजनों को बुलाकर बताया जा रहा है कि किसके किसके अवशेष मिले हैं। मगर सोचिए… जिन परिवारों ने महीनों पहले अपनों का अंतिम संस्कार कर दिया, उनके लिए ये प्रक्रिया कितनी कठिन होगी? सरकारी अधिकारी psychological support की बात कर रहे हैं, पर क्या कोई counseling इस दर्द को कम कर सकती है? शायद नहीं।
लोग क्या कह रहे हैं?
परिजनों की आवाज़ सुनिए तो लगता है जैसे वक्त थम सा गया है। “हर बार फोन की घंटी बजते ही दिल धड़कने लगता है,” एक परिजन ने बताया। Psychiatrists का कहना है कि ऐसे में emotional support ही एकमात्र सहारा है। वहीं एयरलाइन और प्रशासन transparency का राग अलाप रहे हैं। पर सच्चाई? जब तक आप खुद इस दर्द से न गुजरें, समझ नहीं सकते।
आगे का रास्ता
अब DNA मैचिंग के बाद बचे हुए अवशेष परिजनों को सौंपे जाएंगे। पर कुछ परिवारों को अभी तक पूरा compensation भी नहीं मिला है। जांच अभी जारी है, और final report आने के बाद नए safety guidelines आ सकते हैं। असल में, ये पूरा मामला एक सवाल छोड़ जाता है – क्या हादसों के बाद की प्रक्रियाएं इंसानियत के नजरिए से बनाई जाती हैं? या सिर्फ files में टिक मारकर काम चला लिया जाता है?
इन परिजनों के लिए ये वक्त बेहद मुश्किल है। उम्मीद है प्रशासन सिर्फ financial help नहीं, बल्कि दिल से सहारा भी देगा। क्योंकि कागजों पर claim settle कर देना एक बात है, और दिल के जख्मों को भरना दूसरी। इस त्रासदी ने हम सभी को सिखाया है कि disaster management में सिर्फ procedure नहीं, empathy भी जरूरी है। सच कहूं तो।
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com