एयर डिफेंस सिस्टम ज़रूरी है, मगर क्या ये फाइटर जेट्स की कमी का हल हो सकता है?
देखिए, भारतीय वायुसेना की हालत कुछ वैसी ही है जैसे आपके घर में दो गार्ड हों, मगर चोरों से लड़ने के लिए कोई न हो! स्क्वाड्रन की कमी तो बिल्कुल साफ़ है। ऑपरेशन सिंदूर में S-400, Akash और Akashteer ने जो धमाल मचाया, उसके बाद तो ये सवाल और भी ज़ोर से उठने लगा है – क्या ये सिस्टम असल में विमानों की कमी को पूरा कर सकते हैं? या फिर ये सिर्फ एक ‘जुगाड़’ है जो कुछ समय के लिए काम चला लेगा?
हवाई सुरक्षा का हाल: नंबर गेम खतरनाक है
अब थोड़ा गंभीर हो जाएं। हमारे पास अभी 30-32 स्क्वाड्रन हैं, जबकि ज़रूरत है कम से कम 42 की। हां, राफेल, तेजस और सुखोई जैसे बेस्ट्स आ रहे हैं, मगर गिनती अभी भी कम है। ऐसे में S-400 और Akashteer जैसे सिस्टम को हम किसी ‘मेसिया’ की तरह देखने लगे हैं। पर क्या सच में ये इतने जादुई हैं? ऑपरेशन सिंदूर में इनका परफॉरमेंस तो शानदार रहा, मगर…
एयर डिफेंस: शील्ड है, तलवार नहीं
चीन बॉर्डर पर S-400 ने कमाल किया, ये बात सच है। नई Akashteer प्रणाली तो खैर ऑटोमैटिक ही खतरों को भांप लेती है। बिल्कुल, ये सिस्टम हमारी सुरक्षा को नए लेवल पर ले जा रहे हैं। पर एक कड़वा सच ये भी है – ये सिर्फ डिफेंसिव हैं। क्या आप कभी शील्ड से हमला कर सकते हैं? एक्सपर्ट्स की मानें तो ये शॉर्ट-टर्म फिक्स से ज़्यादा कुछ नहीं।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं? सुनिए
वायुसेना के एक बड़े अधिकारी ने तो साफ़ कह दिया – “ये सिस्टम हमारी मुट्ठी को मज़बूत करते हैं, मगर ये मुक्का नहीं बन सकते।” एक डिफेंस एनालिस्ट ने तो और सीधे शब्दों में कहा – “हमें और फाइटर जेट्स चाहिए, ये सिस्टम तो बस दीवार की तरह हैं।” सरकार भी मान चुकी है कि विमानों के प्रोडक्शन और खरीद पर फोकस बढ़ाना होगा।
आगे का रास्ता: बैलेंस चाहिए
अब हम AMCA (5वीं जनरेशन के फाइटर) और अधिक राफेल्स पर सीरियसली काम कर रहे हैं। साथ ही एयर डिफेंस और फाइटर जेट्स को इंटीग्रेट करने की प्लानिंग भी चल रही है। समझदारी की बात है। नहीं तो… अरे भई, अगर विमानों की कमी ऐसे ही रही तो हमारी सुरक्षा में छेद हो जाएगा न!
आखिरी बात: संतुलन ज़रूरी
एयर डिफेंस सिस्टम बिल्कुल ज़रूरी हैं, मगर ये अकेले काम नहीं कर सकते। सरकार को दोनों हाथों से काम करना होगा – एक तरफ़ एयर डिफेंस को मज़बूत करो, दूसरी तरफ़ फाइटर जेट्स की संख्या बढ़ाओ। तभी जाकर हमारी हवाई सुरक्षा पूरी तरह से मज़बूत हो पाएगी। वरना… खैर, उसकी कल्पना भी न करें तो बेहतर!
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एयर डिफेंस सिस्टम vs लड़ाकू विमान – कुछ जरूरी सवाल और उनके जवाब
1. क्या एयर डिफेंस सिस्टम लड़ाकू विमानों की कमी को पूरा कर सकता है?
देखिए, एयर डिफेंस सिस्टम बेशक एक effective solution है – पर क्या यह पूरी तरह से विमानों की जगह ले सकता है? मेरा जवाब है: बिल्कुल नहीं। ऐसा समझ लीजिए, यह वैसा ही है जैसे आप घर की सुरक्षा के लिए सिर्फ CCTV लगा लें, लेकिन गार्ड न रखें। एक defensive है, दूसरा offensive भी। और असल में, युद्ध के मैदान में दोनों की अपनी-अपनी भूमिका है।
2. भारत के पास कौन-कौन से advanced एयर डिफेंस सिस्टम हैं?
अब यह दिलचस्प है! हमारे पास S-400 है – जिसे दुनिया का सबसे खतरनाक एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। फिर हैं हमारे देसी नायक – Akash और Barak-8। ये सभी systems किसी भी enemy aircraft, missile या drone को पलक झपकते ही निशाना बना सकते हैं। पर सच कहूँ? अभी भी हमें और ज्यादा की जरूरत है।
3. क्या एयर डिफेंस सिस्टम हमेशा 100% effective होते हैं?
अरे भाई, अगर ऐसा होता तो फिर तो युद्ध ही नहीं होते! सच तो यह है कि आजकल की stealth technology और electronic warfare tactics के सामने कोई भी system पूरी तरह safe नहीं है। मिसाल के तौर पर, 2019 के बालाकोट स्ट्राइक को याद कीजिए। तो हाँ, इसीलिए लड़ाकू विमानों की अहमियत कभी कम नहीं होगी।
4. भारत को और ज्यादा लड़ाकू विमानों की जरूरत क्यों है?
सीधी सी बात है – हमारे पड़ोस को देखिए न! एक तरफ China है जो लगातार अपनी air force को मॉडर्नाइज कर रहा है, दूसरी तरफ Pakistan… खैर, उसके बारे में ज्यादा कहने की जरूरत नहीं। ऐसे में Rafale और Tejas जैसे विमान हमारे लिए उतने ही जरूरी हैं जितना कि एक गर्मी के दिन में ठंडा पानी। और हाँ, सिर्फ quantity नहीं, quality भी मायने रखती है।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com