एयर इंडिया हादसा: क्या सच में एक खराब पुर्जा था ज़िम्मेदार?
दोस्तों, एयर इंडिया के उस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे की जांच में एक नया ट्विस्ट आया है। और सुनकर हैरानी होगी – शुरुआती रिपोर्ट्स कह रही हैं कि विमान का एक फॉल्टी पार्ट इसकी वजह हो सकता है। अब जांच एजेंसियों ने मलबे को उन्हीं OEMs के पास भेज दिया है जिन्होंने ये पार्ट बनाया था। असल में, यहाँ से ही पता चलेगा कि गड़बड़ी कहाँ हुई। पर सच्चाई सामने आने में अभी कुछ हफ्ते और लगेंगे – इंतज़ार कीजिए!
पूरा मामला क्या है?
याद है न वो हादसा? [तिथि] को [स्थान] के पास हुआ था, जिसमें एयर इंडिया का [विमान का मॉडल] शामिल था। अब देखिए न, पहले भी तो कुछ टेक्निकल गड़बड़ियाँ रिपोर्ट हुई थीं, पर इतनी बड़ी नहीं। DGCA की पिछली जाँच में भी कुछ छोटी-मोटी खामियाँ निकली थीं, जिन्हें ठीक करने को कहा गया था। लेकिन ये नया केस तो पूरी मेंटेनेंस प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर रहा है। सोचने वाली बात है, है न?
अभी तक की जांच क्या कहती है?
जाँचकर्ताओं को कुछ टेक्निकल ग्लिचेस मिले हैं, खासकर विमान के एक खास हिस्से में। अब OEMs वाली जाँच से पता चलेगा कि ये दोष तो नहीं जो मैन्युफैक्चरिंग के वक्त ही आ गया था? या फिर बाद में मेंटेनेंस में कोई चूक हुई? कुछ एक्सपर्ट्स तो साफ कह रहे हैं – अगर एयरलाइन ने प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किए, तो मेंटेनेंस की लापरवाही भी बड़ा फैक्टर हो सकती है। सच क्या है? वक्त बताएगा।
कौन क्या बोल रहा है?
एयर इंडिया वालों का कहना है, “हम पूरी कोऑपरेट कर रहे हैं, सेफ्टी हमारी टॉप प्रायॉरिटी है।” स्टैंडर्ड स्टेटमेंट! वहीं एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं – अगर OEM पार्ट में ही दोष निकला, तो सिर्फ एयर इंडिया ही नहीं, पूरे एविएशन सेक्टर के लिए बड़ी मुसीबत हो सकती है। और तो और, पीड़ित परिवारों ने सरकार से सख्त एक्शन की मांग कर दी है। फेयर डिमांड, है न?
आगे क्या हो सकता है?
अगर OEM पार्ट में दोष साबित हुआ, तो हो सकता है ग्लोबल रिकॉल की नौबत आ जाए – क्योंकि यही पार्ट तो दूसरी एयरलाइन्स के प्लेन्स में भी लगा होगा! DGCA नए सेफ्टी नियम ला सकता है। और सबसे बड़ी बात – एयर इंडिया की इमेज और शेयर प्राइस पर भी बुरा असर पड़ सकता है। बुरी खबर है यार!
तो क्या सीख मिलती है?
ये केस सिर्फ एयर इंडिया ही नहीं, पूरे एविएशन इंडस्ट्री के लिए वेक-अप कॉल है। जब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आती, सबको अलर्ट रहना होगा। और सबसे बड़ी सीख? एविएशन सेफ्टी में थोड़ी सी भी लापरवाही… जानलेवा हो सकती है। बिल्कुल वैसे ही जैसे एक छोटी सी स्पार्क पूरे जंगल को जला देती है।
फाइल फोटो
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एयर इंडिया हादसा: क्या सच में जानते हैं आप पूरी कहानी?
1. क्या सिर्फ एक खराब पुर्जा पूरे विमान का दुश्मन बन सकता है?
जांच की शुरुआती रिपोर्ट तो यही कह रही है – विमान का कोई एक पुर्जा शायद ठीक से काम नहीं कर रहा था। पर सवाल ये है कि क्या सच में एक छोटा सा component इतनी बड़ी तबाही का कारण बन सकता है? असल में, ये वही सवाल है जो 2018 में उस बोइंग 737 मैक्स हादसे के वक्त भी उठा था। OEMs (Original Equipment Manufacturers) के पास अब मलबे के samples भेजे गए हैं, जो इस पहेली को सुलझाने में मदद करेंगे।
2. मलबा विदेश क्यों भेजा? क्या भारत में जांच नहीं हो सकती थी?
देखिए, ये कोई नई बात नहीं है। जब भी कोई बड़ा एविएशन हादसा होता है, तो मलबे के samples उन्हीं कंपनियों के पास भेजे जाते हैं जिन्होंने विमान के पुर्जे बनाए हैं। क्यों? क्योंकि उनके पास सबसे एडवांस्ड टेस्टिंग लैब्स होती हैं। सच कहूं तो ये प्रक्रिया उतनी ही जरूरी है जितना कि हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स ढूंढना।
3. फाइनल रिपोर्ट का इंतज़ार: कब तक और क्यों इतना वक्त?
अभी अधिकारी “जल्द ही” जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पर हम सभी जानते हैं कि एविएशन जांचें महीनों, कभी-कभी तो सालों भी ले लेती हैं। 2010 के मंगलौर एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे की फाइनल रिपोर्ट को ही ले लीजिए – पूरे 10 महीने लग गए थे! इस बार शायद थोड़ा कम वक्त लगे, पर एक सही तारीख बताना अभी मुश्किल है।
4. सेफ्टी पर सवाल: क्या एयर इंडिया अब भी सुरक्षित है?
सच बताऊं? हर हादसे के बाद ये सवाल उठता ही है। एक तरफ तो एयर इंडिया के safety protocols काफी सख्त हैं, पर दूसरी तरफ ये हादसा हमें याद दिलाता है कि मेंटेनेंस और पुर्जों की क्वालिटी पर नज़र रखना कितना ज़रूरी है। क्या आप जानते हैं कि 2022 में DGCA ने एयर इंडिया पर 1.1 करोड़ का जुर्माना लगाया था मेंटेनेंस नियमों को लेकर? सोचने वाली बात है ना?
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com