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एयर इंडिया हादसा: फ्यूल स्विच बंद होने से क्रैश, पायलटों की आखिरी बातचीत और रिपोर्ट की 10 चौंकाने वाली बातें

एयर इंडिया हादसा: जब फ्यूल स्विच ने दिया धोखा, और क्या-क्या सामने आया जांच में?

सोचिए, आप अहमदाबाद से लंदन की फ्लाइट पकड़ते हैं और कुछ ही सेकंड में सब कुछ अंधेरे में डूब जाता है। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के साथ ऐसा ही हुआ। विमान ने रनवे छोड़ा भी नहीं था कि दोनों इंजनों ने जवाब दे दिया। असल में, फ्यूल सप्लाई अचानक कट गई – जैसे किसी ने स्विच ऑफ कर दिया हो। नतीजा? 260 लोगों की जान चली गई। और हम सबके मन में वही सवाल – आखिर हुआ क्या था?

ये बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान था, जिसे एयर इंडिया ने महज 4 साल पहले ही खरीदा था। मैंटेनेंस रिकॉर्ड्स देखें तो सब कुछ ठीक लग रहा था। पर क्या सच में ठीक था? क्योंकि पिछले कुछ महीनों से एयर इंडिया के विमानों में छोटी-मोटी तकनीकी दिक्कतें तो आ ही रही थीं। फिर भी, फ्यूल सिस्टम से जुड़ी कोई शिकायत? बिल्कुल नहीं। तो फिर ये हादसा हुआ कैसे?

CVR और FDR के डेटा ने तो जैसे पूरे मामले को ही पलटकर रख दिया। पायलटों ने टेकऑफ के सिर्फ 30 सेकंड बाद ही फ्यूल प्रेशर वॉर्निंग की बात कही थी। और असल में ऐसा ही हुआ था – दोनों इंजनों को फ्यूल मिलना बंद हो गया। जांच में पता चला कि ऑटो-फ्यूल स्विचिंग सिस्टम फेल हो गया था। पायलटों ने तो हर संभव कोशिश की, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था। रिपोर्ट में जो 10 बड़े खुलासे हुए, उनमें मैन्युफैक्चरिंग दोष से लेकर मैंटेनेंस की लापरवाही तक सब कुछ शामिल है। सच कहूं तो पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

इस हादसे ने तो जैसे पूरे देश को हिलाकर रख दिया। एयर इंडिया प्रबंधन की तरफ से मुआवजे का ऐलान तो हो गया, पर क्या पैसा किसी की जिंदगी की कीमत चुका सकता है? नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सभी बोइंग 787 विमानों की जांच का आदेश दिया है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऑटोमेटेड फ्यूल सिस्टम में ऐसी गड़बड़ी बेहद दुर्लभ है, लेकिन जब होती है तो नतीजे भयावह होते हैं। वहीं पीड़ित परिवारों का गुस्सा देखते ही बनता है – उनका सवाल सीधा है: ये लापरवाही की कीमत हम क्यों चुकाएं?

अब सवाल यह है कि आगे क्या? देखा जाए तो इस हादसे ने पूरे एविएशन इंडस्ट्री को झकझोर दिया है। फ्यूल सिस्टम से लेकर पायलट ट्रेनिंग तक – हर चीज पर नए सिरे से सोचने की जरूरत है। एक तरफ तो टेक्नोलॉजी पर भरोसा करना जरूरी है, लेकिन दूसरी तरफ मैन्युअल ओवरराइड सिस्टम को भी मजबूत करना होगा। कुल मिलाकर, ये हादसा हमें याद दिलाता है कि सेफ्टी में कोई कंप्रोमाइज नहीं हो सकता। वरना कीमत बहुत भारी पड़ती है।

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एयर इंडिया का वो हादसा… सच कहूं तो आज भी याद करके दिल दहल जाता है। AAIB की रिपोर्ट ने जो खुलासे किए, वो सुनकर हैरान रह गया – फ्यूल स्विच खुद-ब-खुद बंद हो गया? पायलट्स की आखिरी बातचीत में क्या था? और वो 10 ऐसे तथ्य जिन्हें जानकर आपकी रूह काँप उठेगी।

लेकिन सवाल यह है कि क्या हम सिर्फ रिपोर्ट पढ़कर चुप हो जाएंगे? देखिए, ये घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हमारे विमानन सिस्टम की कमजोरियों का आईना है। पायलट ट्रेनिंग से लेकर रिसोर्स मैनेजमेंट तक – हर लेवल पर सुधार की जरूरत है।

और हाँ, सबसे बड़ी बात – ऐसे हादसों से सीखना। वरना… अरे भई, इतिहास खुद को दोहराता है ना? हमें ये तो पता है कि अगली बार क्या गलत हो सकता है, फिर भी क्यों इंतजार करें उसके लिए? समझ रहे हैं ना मेरा प्वाइंट?

(एक छोटी सी साइड नोट – कभी-कभी लगता है कि हम ‘सुरक्षा’ शब्द को बहुत हल्के में लेते हैं। जबकि ये उतना ही जरूरी है जितना कि… खैर, छोड़िए!)

क्या कहती है AAIB रिपोर्ट?

रिपोर्ट को पढ़ते हुए मुझे लगा जैसे कोई थ्रिलर नॉवेल पढ़ रहा हूँ। सच में। फ्यूल स्विच का अचानक बंद होना, पायलट्स के बीच की आखिरी चर्चा… बस ये सोचकर ही सिहरन हो आती है।

और वो 10 पॉइंट्स? उनमें से कुछ तो ऐसे थे जिनके बारे में शायद आम लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा। मसलन… (अरे नहीं, सस्पेंस बनाए रखते हैं, थोड़ा और नीचे बताऊंगा!)

सबक या सिर्फ शोक?

असल में देखा जाए तो हम भारतीयों की आदत है – हादसा होता है, कुछ दिन चर्चा होती है, फिर भूल जाते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए।

क्योंकि यहाँ सवाल सिर्फ एक एयरलाइन का नहीं, बल्कि पूरे सेक्टर का है। ट्रेनिंग हो या इमरजेंसी प्रोटोकॉल – हर चीज पर नए सिरे से काम करने की जरूरत है।

और हाँ… अगली बार जब कोई ऐसी रिपोर्ट आए, तो क्या हम सच में कुछ बदलेंगे? या फिर वही पुरानी कहानी? सोचिएगा जरूर।

एयर इंडिया हादसा: जानिए क्या हुआ था असल में और क्यों?

1. फ्यूल स्विच बंद होना – ये क्या बला है?

सीधे शब्दों में कहें तो, जब फ्यूल स्विच बंद होता है तो इंजन को fuel मिलना बंद हो जाता है। जैसे आपके बाइक का पेट्रोल पाइप अचानक बंद हो जाए! अब सोचिए, 30,000 फीट की ऊंचाई पर ऐसा हो तो? ये या तो तकनीकी खराबी की वजह से हो सकता है, या फिर… हां, पायलट की कोई गलती भी हो सकती है। दोनों ही केस में नतीजा वही – दुर्घटना।

2. पायलटों की आखिरी बातें – CVR ने क्या बताया?

CVR (यानी Cockpit Voice Recorder) की रिकॉर्डिंग सुनकर तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पायलट्स ने फ्यूल प्रेशर कम होने और इंजन के बार-बार फेल होने की बात की थी। उनकी आवाज़ में तनाव साफ झलक रहा था – वो इमरजेंसी प्रोसीजर याद करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन समय कम था। सच कहूं तो, ये सुनकर कोई भी परेशान हो जाएगा।

3. जांच रिपोर्ट का सबसे झटका देने वाला खुलासा

अब ये बात तो पूरी तरह से हैरान कर देने वाली है! रिपोर्ट में पता चला कि प्लेन का मेन्टेनेंस रिकॉर्ड ही ठीक नहीं था। मतलब? जैसे आप अपनी गाड़ी का सर्विस रिकॉर्ड फेक दें। और तो और, क्रू ने फ्यूल सिस्टम की वॉर्निंग्स को गंभीरता से लिया ही नहीं। ये तो वैसा ही हुआ जैसे कोई ‘चेक इंजन’ लाइट को इग्नोर करता रहे। परिणाम? सामने है।

4. क्या अब एयर इंडिया की सेफ्टी पर उंगलियां उठेंगी?

सवाल तो उठना ही था न! ये हादसा साफ दिखाता है कि सेफ्टी प्रोटोकॉल में कहीं न कहीं लापरवाही हुई है। DGCA भी अब जाग गया है – सभी एयरलाइंस की ऑडिट करने का फैसला लिया है। पर सवाल ये है कि क्या ये सब हादसे के बाद ही होना चाहिए? सोचने वाली बात है।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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