एयर इंडिया क्रैश: 38 साल बाद भी क्यों डीएनए रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं यूके के परिवार?
सोचिए, आपका कोई अपना एक हादसे में गुम हो जाए और 38 साल बाद भी आपको यह न पता हो कि वो वाकई मरा या जिंदा है? है न मार्मिक सवाल? 23 जून 1985 को एयर इंडिया फ्लाइट 182 का क्रैश सिर्फ एक विमान हादसा नहीं था – ये तो एक ऐसा जख्म है जो आज तक भरा नहीं। 329 लोगों की मौत, पर कितनों की लाशों की पहचान हुई? शायद आपको यकीन न हो, लेकिन यूके के कई परिवार आज भी डीएनए रिपोर्ट्स का इंतज़ार कर रहे हैं। और हाल में तो उनका गुस्सा साफ देखा जा सकता है।
असल में बात ये है कि ये कोई साधारण क्रैश नहीं था। आतंकवादियों ने विमान को उड़ा दिया था – इतिहास के सबसे भयानक हवाई हादसों में से एक। लेकिन सबसे दुखद क्या है? इतने सालों बाद भी कई शव ‘अनजान’ पड़े हैं। कनाडा और यूके ने डीएनए टेस्टिंग शुरू तो की, पर कामयाबी? वो अभी दूर की कौड़ी लगती है।
तो अब स्थिति क्या है? देखिए, कनाडा वाले कुछ केस सॉल्व कर पाए हैं, मगर यूके में तो लगता है जैसे फाइलें धूल खा रही हैं। परिवार वाले बिल्कुल सही पूछ रहे हैं – भई, इतनी देरी क्यों? उनकी मांग साफ है: पारदर्शिता और तेज रफ्तार। पर सरकारी बाबुओं का जवाब? “प्रोसेस कॉम्प्लेक्स है, टाइम लगेगा।” सच कहूं तो ये जवाब अब पुराना पड़ चुका है।
एक पीड़ित के भाई ने जो कहा, वो दिल दहला देने वाला है: “38 साल… और अभी तक कोई क्लैरिटी नहीं?” है न हृदयविदारक? वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों की रटी-रटाई बातें। फोरेंसिक एक्सपर्ट्स कहते हैं कि टेक्निकल इश्यूज तो हैं ही, मगर कम से कम अपडेट्स तो देते रहना चाहिए। पर ये हो क्यों नहीं रहा?
आगे की बात करें तो यूके सरकार ने अगले कुछ महीनों में नतीजे देने का वादा किया है। मगर परिवार अब सिर्फ वादों से संतुष्ट नहीं होना चाहते। वो तो पूरी जांच चाहते हैं – ये जानने के लिए कि आखिर इतनी देरी क्यों हुई? विशेषज्ञों की राय है कि अब अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा, खासकर जब कनाडा ने कुछ प्रगति दिखा दी है। सवाल ये है कि क्या ये परिवारों को वो न्याय दिला पाएगा जिसके वो 38 साल से हकदार हैं?
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एयर इंडिया क्रैश और डीएनए मैचिंग – क्या आप जानते हैं ये बातें?
1. यूके के परिवारों को क्या-क्या पता चला है अब तक?
सच कहूं तो, यूके के परिवारों को बेसिक जानकारी ही मिली है। जैसे कि रेस्क्यू ऑपरेशन कहां तक पहुंचा है या डीएनए मैचिंग की शुरुआत हो गई है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही और डिटेल्स आएंगी…लेकिन सवाल यह है कि ‘जल्द’ का मतलब क्या है? एक दिन? एक हफ्ता? असल में, ऐसे हादसों में समय लगता ही है।
2. डीएनए मैचिंग में लगने वाला समय – क्यों इतना अलग-अलग?
देखिए, डीएनए मैचिंग कोई मैजिक नहीं है। कभी तो 48 घंटे में रिजल्ट आ जाता है, तो कभी हफ्तों लग जाते हैं। मुख्य बात यह है कि सैंपल्स कैसे हैं – अच्छी क्वालिटी के हैं या नहीं। और हां, लैब की क्षमता भी बड़ा फैक्टर है। मुमकिन है दिल्ली की लैब मुंबई से तेज काम करे! है न मजेदार बात?
3. क्या किसी परिवार को डीएनए रिजल्ट मिला? सच्चाई क्या है?
ईमानदारी से? अभी तक कोई फाइनल रिजल्ट नहीं आया। प्रोसेस चल रहा है, और जैसे ही कुछ कन्फर्म होगा, परिवारों को बता दिया जाएगा। पर सोचिए…इंतज़ार कितना मुश्किल होगा उनके लिए। एक तरफ तो जल्दी पता चल जाए, दूसरी तरफ डर भी लगता होगा न?
4. मुआवज़ा और आर्थिक मदद – क्या मिलेगा पीड़ित परिवारों को?
अभी तक एयर इंडिया या सरकार की तरफ से कोई ऑफिशियल घोषणा नहीं हुई। लेकिन ऐसे केसों में आमतौर पर इंश्योरेंस क्लेम और स्पेशल फंड्स के जरिए मदद दी जाती है। बस एक सवाल – क्या पैसा वाकई इस दर्द का हल है? शायद नहीं। लेकिन ज़िंदगी तो आगे बढ़ती है न…
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com