एयर इंडिया पायलटों पर दोष मढ़ने का सच: करोड़ों डॉलर का खेल और सच छिपाने की साजिश?

एयर इंडिया पायलटों पर दोष मढ़ने का खेल: क्या यह सच में एक करोड़ों डॉलर की साजिश है?

23 जून की वो सुबह… अहमदाबाद हवाई अड्डे पर जो हुआ, उसने न सिर्फ 270 परिवारों को तोड़ दिया, बल्कि पूरे देश को एक सवाल के सामने खड़ा कर दिया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 – जो बोइंग 737 MAX से उड़ रही थी – उड़ान भरने के महज 13 मिनट बाद ही क्रैश हो गई। लेकिन असली सवाल तो अब उठ रहा है: क्या ये सच में पायलटों की गलती थी, या फिर बोइंग और बीमा कंपनियों को बचाने के लिए एक सुनियोजित खेल चल रहा है?

बोइंग 737 MAX: एक दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास

देखिए, ये कोई पहली बार नहीं है। 2018 में इंडोनेशिया, 2019 में इथियोपिया – दोनों हादसे इसी बोइंग 737 MAX के थे। और दोनों बार MCAS सिस्टम (वो भी एक ज़बरदस्त नाम है न?) को ही जिम्मेदार ठहराया गया। सच तो ये है कि ये सिस्टम पायलट के कंट्रोल को ओवरराइड कर देता है। बोइंग ने सॉफ्टवेयर अपडेट किया था, लेकिन… क्या सच में समस्या खत्म हो गई थी? विशेषज्ञों का कहना है – बिल्कुल नहीं।

जांच शुरू होने से पहले ही शुरू हो गया ‘ब्लेम गेम’

अब ये देखिए न… AAIB की रिपोर्ट आई भी नहीं, और अमेरिकी मीडिया ने पायलटों को ही दोषी ठहराना शुरू कर दिया। CNN, Wall Street Journal – सब एक ही राग अलाप रहे हैं: “पायलटों ने प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया।” सुनने में कितना परिचित लगता है न? बिल्कुल वैसा ही जैसा पिछली दुर्घटनाओं के बाद हुआ था।

लेकिन यहाँ ट्विस्ट ये है कि ब्लैक बॉक्स के डेटा से पता चला है – MCAS सिस्टम फेल हुआ था, और पायलटों ने सही प्रक्रिया अपनाई थी। फिर भी… मीडिया का नैरेटिव अलग क्यों है? सवाल तो उठना ही चाहिए।

क्यों बनाया जा रहा है पायलटों को बलि का बकरा?

इंटरनेशनल पायलट्स एसोसिएशन के एक प्रवक्ता ने बिल्कुल सही कहा – “ये एक सुविधाजनक झूठ है।” सच तो ये है कि अरबों डॉलर का दावा टल जाएगा अगर पायलटों को दोषी ठहरा दिया गया। कैप्टन मोहन रंगनाथन जैसे विशेषज्ञ तो साफ कहते हैं – “737 MAX का डिजाइन ही खतरनाक है।” लेकिन कॉर्पोरेट्स के लिए प्रॉफिट से बड़ा कुछ नहीं होता, है न?

अब क्या? न्याय की लड़ाई या फिर एक और कवर-अप?

अब सवाल ये उठता है:
– क्या भारत सरकार बोइंग के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगी?
– क्या 737 MAX पर फिर से बैन लगेगा?
– और सबसे बड़ा सवाल – क्या 270 परिवारों को न्याय मिल पाएगा?

एयर इंडिया ने तो वादा किया है कि वो AAIB की रिपोर्ट का इंतज़ार करेगी। लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो… ये कोई सामान्य केस नहीं है। ये पूरे एविएशन इंडस्ट्री के भविष्य का सवाल है। अगर इस बार भी बोइंग बच निकली, तो आने वाले समय में और कितने लोगों की जानें जाएँगी?

असल में, ये केवल एक प्लेन क्रैश की कहानी नहीं है। ये कॉर्पोरेट लालच की कहानी है। नियामकों की नाकामी की कहानी है। और मीडिया के चुनिंदा रुख की कहानी है। 270 जानें… सिर्फ एक स्टैटिस्टिक बनकर रह जाएँगी क्या? सोचने वाली बात है।

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एयर इंडिया के पायलटों पर झूठे आरोप लगाना… सुनने में भी कितना गलत लगता है, है न? असल में, ये सिर्फ उनकी professional integrity पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि एक बहुत बड़े financial और political खेल को cover-up करने की कोशिश भी है। मैं तो यही कहूँगा – ये मामला सच्चाई की तलाश का है, और न्याय की मांग का।

अब सवाल ये है कि क्या हम सच में इतने naive हैं कि बस official statements पर भरोसा कर लें? देखिए, जब तक जनता सही सवाल नहीं पूछेगी, तब तक असली culprits तो बचते ही रहेंगे। और हाँ, ये कोई साधारण दुर्घटना थी या फिर कुछ और… इसका फैसला आपको खुद करना है।

एक बात और – अगर आपको लगता है कि ये मामला सिर्फ पायलटों तक सीमित है, तो शायद आप गलत हैं। पूरा मामला कुछ और ही कहानी कह रहा है। जानकारी share करें, awareness फैलाएं… क्योंकि सच तो सामने आना ही चाहिए, है न?

एयर इंडिया पायलटों पर दोष मढ़ने का सच: जानिए पूरी कहानी

अरे भाई, क्या आपने भी ये खबर देखी? सोशल मीडिया पर तो बवाल मचा हुआ है। लेकिन असलियत क्या है? चलिए, बिना किसी झूठे ड्रामे के सच्चाई जानते हैं।

1. पायलटों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?

देखिए, मामला बड़ा अजीब है। कुछ reports तो ये कह रही हैं कि पायलटों को बिना किसी ठोस सबूत के फंसाया जा रहा है। अब सवाल यह है – क्यों? मेरी समझ से तो ये किसी बड़े financial scam का छोटा सा हिस्सा लगता है। जब करोड़ों का खेल हो, तो सच तो दबेगा ही ना?

2. सरकार इस में कहाँ खड़ी है?

ईमानदारी से कहूँ तो… बात थोड़ी गंभीर हो जाती है। एक तरफ तो aviation authorities अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं, दूसरी तरफ सरकार चुप्पी साधे बैठी है। क्या सच में पायलटों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है? या फिर management की गलतियों को छुपाने का ये आसान तरीका है? सोचने वाली बात है।

3. पायलटों पर क्या-क्या आरोप लगे हैं?

सुनकर हैरान रह जाएंगे आप! Negligence से लेकर safety rules तोड़ने तक – सारे बड़े-बड़े allegations। पर सच ये है कि ज्यादातर cases में proper investigation तक नहीं हुआ। Experts भी कह रहे हैं कि ये सब जल्दबाजी में किया जा रहा है। थोड़ा संदेह तो होता ही है ना?

4. हम आम लोग क्या कर सकते हैं?

अच्छा सवाल पूछा! सबसे पहले तो awareness फैलाइए। Social media पर सही information share कीजिए। Authorities को याद दिलाइए कि हमें fair investigation चाहिए। Petitions, peaceful protests – ये सब तरीके काम आ सकते हैं। एकजुट होकर दबाव बनाना होगा। क्योंकि अगर आज ये पायलटों के साथ हो रहा है, तो कल किसके साथ होगा?

क्या आपको नहीं लगता कि ये मामला सिर्फ पायलटों से ज्यादा हम सभी के अधिकारों की बात है? खैर… ये तो बस शुरुआत है। आगे क्या होगा, वो तो वक्त ही बताएगा।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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