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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बड़ा बदलाव! DU के नक्शेकदम पर 4 ईयर डिग्री प्रोग्राम की शुरुआत

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का बड़ा फैसला: अब DU जैसी 4 साल की डिग्री!

क्या आपको पता है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने एक ऐसा फैसला लिया है जो यहां के छात्रों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है? जी हां, 2025-26 से यहां भी अब 4-year degree program शुरू हो रहा है! असल में, ये फैसला कोई अचानक नहीं लिया गया। NEP 2020 के बाद से ही इसकी तैयारी चल रही थी। और अब एकेडमिक काउंसिल ने हरी झंडी दे दी है। सच कहूं तो, ये सिर्फ एक कोर्स बदलाव नहीं, बल्कि पूरी पढ़ाई की सोच में बदलाव है।

परिवर्तन की कहानी: DU से सीख, इलाहाबाद में अपनाया

देखिए, इसकी जड़ें तो NEP 2020 में हैं ही, लेकिन DU ने जो 2022 में शुरू किया था, वो एक तरह से रोल मॉडल बन गया। और अब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भी उसी राह पर चल पड़ी है। है न दिलचस्प बात?

1887 से शिक्षा का मंदिर रही इस यूनिवर्सिटी के लिए ये कदम कितना बड़ा है, ये समझना मुश्किल नहीं। एक तरफ तो परंपरा है, दूसरी तरफ आधुनिकता की जरूरत। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन का मानना है कि ये बदलाव छात्रों को रोजगार के लिए ज्यादा तैयार करेगा। और सच्चाई यही है कि आज के दौर में ये बदलाव जरूरी भी था।

क्या खास होगा नए कोर्स में?

तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस नए प्रोग्राम में ऐसा क्या खास होगा? सबसे पहली बात तो ये कि multiple exit options। मतलब अगर कोई छात्र 1 साल बाद ही छोड़ना चाहे तो certificate, 2 साल बाद diploma और 3 साल में regular degree लेकर निकल सकता है। पूरे 4 साल करने वालों के लिए तो खास ही है – research-based study का ऑप्शन! जो आगे पीएचडी करना चाहते हैं, उनके लिए तो ये वरदान जैसा है।

और हां, कोर्सेज में भी बड़ा बदलाव आएगा। अब सिर्फ एक ही विषय में ज्ञान नहीं, बल्कि multidisciplinary approach। मतलब साइंस वाला भी अर्थशास्त्र पढ़ सकेगा, आर्ट्स वाला कंप्यूटर साइंस सीख सकेगा। एकदम ज़बरदस्त। सच में।

क्या कह रहे हैं लोग?

इस फैसले पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है। कुलपति साहब तो बिल्कुल खुश हैं – उनका कहना है कि ये NEP 2020 को फॉलो करने का सही तरीका है। लेकिन छात्र नेता आदित्य सिंह थोड़े चिंतित भी हैं। उनका सवाल है – “पुराने कोर्स वाले छात्रों का क्या?” न्याय तो सबको मिलना चाहिए न?

शिक्षाविद प्रो. अर्चना मिश्रा तो मानो खुशी से झूम उठीं! उनका कहना है कि अब भारतीय छात्र global level पर compete कर पाएंगे। और सच कहूं तो, आज के competitive market में ये बदलाव छात्रों के लिए वरदान साबित हो सकता है।

आगे क्या?

अब सबकी निगाहें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पर टिकी हैं। अगर यहां ये मॉडल सफल रहा, तो देखते-देखते दूसरी यूनिवर्सिटीज भी इसे अपनाने लगेंगी। हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। नए syllabus बनाने से लेकर टीचर्स को ट्रेनिंग देना – सबकुछ तो करना होगा।

Industry experts की मानें तो 4 साल की डिग्री वालों को जॉब मार्केट में ज्यादा तवज्जो मिलेगी। क्योंकि इनमें न सिर्फ ज्ञान ज्यादा होगा, बल्कि practical skills भी बेहतर होंगे। और जो लोग research में जाना चाहते हैं, उनके लिए तो ये और भी फायदेमंद है।

सच कहूं तो, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का ये फैसला सिर्फ एक यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं रहने वाला। ये तो भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा दे सकता है। और हम सबकी तरह, मैं भी उत्सुकता से इंतज़ार कर रहा हूं कि आने वाले सालों में ये कैसे रंग लाता है!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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