अमित शाह ने जयशंकर का बचाव क्यों किया? और क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है?
देखिए, मामला कुछ ऐसा है – अमित शाह ने हाल ही में एक जनसभा में जयशंकर के लिए जोरदार पैरवी की। और साफ शब्दों में कह दिया कि जो लोग विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं करते, वे असल में देश की foreign policy को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि यह बयान अचानक क्यों? शायद इसलिए क्योंकि विपक्ष ने हाल में चीन और रूस को लेकर भारत की नीतियों पर सवाल उठाए थे।
असल में तो यह पूरा विवाद काफी समय से चल रहा है। कुछ नेताओं को लगता है कि जयशंकर चीन के मामले में थोड़े soft रुख अपना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, रूस-यूक्रेन वॉर में भारत के neutral स्टैंड को लेकर भी सवाल उठे। लेकिन यह पहली बार है जब कैबिनेट के इतने बड़े नेता ने सीधे तौर पर जयशंकर के लिए इतना मजबूत बयान दिया है।
अमित शाह ने क्या कहा? उनका कहना था – “जो जयशंकर जी पर भरोसा नहीं करते, वे सिर्फ एक capable leader पर शक नहीं कर रहे, बल्कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं।” और यहीं नहीं रुके – उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 साल में मोदी जी के नेतृत्व में भारत की foreign policy पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई है। और इसमें जयशंकर का बहुत बड़ा योगदान है। बस, यह बयान देते ही दिल्ली की राजनीति गरमा गई!
अब देखिए प्रतिक्रियाएं क्या आईं। भाजपा वालों ने तो एकजुट होकर अमित शाह का समर्थन किया। उनका कहना है कि विपक्ष सिर्फ देशहित के कामों में रोड़ा अटकाना चाहता है। वहीं कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया – “सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना हमारा अधिकार है।” सच कहूं तो, कुछ experts का मानना है कि यह 2024 के चुनावों से पहले सरकार की एकता दिखाने की रणनीति हो सकती है।
तो अब क्या होगा? राजनीतिक experts की मानें तो इसके बाद संसद और मीडिया में foreign policy पर बहस और तेज हो सकती है। विपक्ष शायद अगले संसद सत्र में इस मुद्दे को उठाए। हालांकि, जयशंकर के रुख में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा – क्योंकि टॉप लीडरशिप का उन्हें पूरा सपोर्ट मिल रहा है।
आखिर में क्या कहें? अमित शाह के इस बयान से दो बातें साफ हैं – एक तो सरकार को अपनी foreign policy पर पूरा भरोसा है। और दूसरा, BJP किसी भी internal difference को बाहर आने से रोकने के लिए पूरी तरह serious है। पर सच तो यह है कि इससे राजनीति में नई गर्मी आ सकती है। अब देखना यह है कि विपक्ष इस नए development पर क्या political strategy अपनाता है। क्या वे इसे जनता तक ले जाएंगे? यह तो वक्त ही बताएगा।
अमित शाह और जयशंकर प्रसाद का विवाद – सच्चाई क्या है?
अमित शाह ने जयशंकर प्रसाद का बचाव क्यों किया? असल में क्या चल रहा है?
देखिए, मामला सीधा-साधा है। अमित शाह ने जयशंकर जी का समर्थन इसलिए किया क्योंकि… अरे भई, आप भी मानेंगे कि विदेश मंत्री के तौर पर उनका काम काफी स्ट्रॉन्ग रहा है। चीन से लेकर अमेरिका तक – हर मोर्चे पर भारत की आवाज़ मजबूती से उठाई है। और सरकार का यह बयान साफ कहता है – “हम अपने लोगों के साथ खड़े हैं।” बस, इतना ही।
जयशंकर प्रसाद पर आरोप लगाने वाले असल में कौन थे?
सुनिए ना… कुछ विपक्षी नेताओं और वो जो हमेशा सरकार को टारगेट करते रहते हैं, उन्होंने जयशंकर जी पर उंगली उठाई थी। उनका कहना था कि कुछ इंटरनेशनल मुद्दों पर हमारा स्टैंड क्लियर नहीं था। मगर सच्चाई? अमित शाह ने इन बातों को एक ही झटके में खारिज कर दिया। और सही भी किया, है न?
अमित शाह का बयान – सिर्फ समर्थन या कुछ और?
अब यहां थोड़ा गहराई से सोचिए। यह बयान सिर्फ “हम साथ हैं” कहने से ज्यादा है। एक तरफ तो यह मोदी सरकार की अंदरूनी एकता दिखाता है… दूसरी तरफ विपक्ष को यह मैसेज भी देता है कि “बेवजह की राजनीति बंद करो।” और सबसे बड़ी बात? आम जनता के दिलों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ाना। काफी स्मार्ट मूव, सही कहा न?
क्या यह बयान राजनीति को बदल देगा?
सीधा जवाब – हां, पर असर धीरे-धीरे दिखेगा। इससे सरकार के अंदर तो एकजुटता आएगी ही… साथ ही विपक्ष को भी अपनी रणनीति पर फिर से सोचना पड़ेगा। और जनता? वो तो पहले से ही जयशंकर जी के काम से इंप्रेस्ड है। तो यह बयान सिर्फ चेरी ऑन द केक जैसा है। एकदम पर्फेक्ट टाइमिंग!
लेकिन याद रखिए… राजनीति में कुछ भी फाइनल नहीं होता। चलिए, देखते हैं आगे क्या होता है। आपकी क्या राय है?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com