गुजरात का वो दर्दनाक हादसा: गंभीरा ब्रिज ढहा, 2 लोगों की जान चली गई
सोमवार की सुबह… वो भी आणंद-वडोदरा हाईवे पर… जब अचानक महिसागर नदी पर बना गंभीरा ब्रिज का एक हिस्सा धंस गया। सच कहूं तो मेरा दिल दहल गया जब यह खबर पढ़ी। भारी बारिश के बीच चार वाहन पुल पार कर रहे थे – और फिर वही हुआ जिसका डर लोगों को सालों से था। दो कारें, एक बाइक और एक ट्रक… सब कुछ पल भर में नदी की गहराई में समा गया। NDRF की टीमें रात-दिन मेहनत कर रही हैं, लेकिन अब तक सिर्फ दो शव ही मिल पाए हैं। बाकी? अभी भी लापता। है ना दिल दुखाने वाली बात?
क्या यह सिर्फ एक “हादसा” था? या फिर…
देखिए, गंभीरा ब्रिज कोई कल का बना हुआ नहीं था। दशकों से यह आणंद-वडोदरा का मुख्य रास्ता था। स्थानीय लोग तो कह रहे हैं – पिछले कुछ सालों से यह पुल धीरे-धीरे मर रहा था। कंक्रीट के टुकड़े गिरना? आम बात। दरारें? उन पर तो किसी ने कभी ध्यान ही नहीं दिया। शिकायतें भेजी गईं… पर सरकारी तंत्र ने सिर्फ चिप-चिप पैचवर्क करके काम चला दिया। और इस बार की भीषण बारिश? बस… आखिरी कील साबित हुई। सच तो यह है कि यह कोई अचानक हुई त्रासदी नहीं, बल्कि लापरवाही का नतीजा है।
रेस्क्यू ऑपरेशन: हर पल की जंग
घटना के बाद NDRF की टीमें हेलिकॉप्टर से मौके पर पहुंची। स्थानीय लोग भी मदद के लिए आगे आए। लेकिन स्थिति बेहद मुश्किल है। अब तक जिन दो शवों की पहचान हुई है – 35 साल के राहुल पटेल (जो बाइक से ऑफिस जा रहे थे) और 42 साल की मीनाक्षी शाह (जो अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जा रही थीं)। सोचिए, कैसे एक सुबह उनकी जिंदगी का आखिरी दिन बन गया। घटनास्थल से 500 मीटर का एरिया पूरी तरह सील कर दिया गया है। ट्रैफिक? वैकल्पिक रास्तों से जा रहा है… पर उन लोगों का क्या जो वापस नहीं आए?
नेताओं के बयान… पर क्या कार्रवाई?
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तो “दुर्भाग्यपूर्ण” कहकर 4 लाख के मुआवजे की घोषणा कर दी। विपक्ष? सरकार पर उंगली उठा रहा है। पर सच पूछो तो… क्या यह सब पर्याप्त है? सिविल इंजीनियर डॉ. अमित देसाई सही कह रहे हैं – “यह प्राकृतिक आपदा नहीं, सिस्टम की फेल्योर है।” हमारे यहां पुलों की नियमित जांच होती ही नहीं। और जब तक कोई बड़ा हादसा न हो… कोई हरकत नहीं। क्या यही विकास है?
अब क्या? क्या कुछ सीखेंगे हम?
गुजरात सरकार ने तो सभी पुराने पुलों की समीक्षा का आदेश दे दिया है। केंद्र सरकार भी नए नियम बनाने की बात कर रही है। पर सवाल यह है कि – क्या यह सब दिखावा है? या फिर सच में कुछ बदलेगा? हमारे देश में ऐसे सैकड़ों पुल हैं जो खतरनाक हालात में हैं। क्या अगला हादसा होने तक इंतजार करेंगे? या फिर अब जागेंगे?
एक बात तो तय है – राहुल और मीनाक्षी की जान तो नहीं लौट सकती। लेकिन उनकी मौत कम से कम एक सबक तो बने। वरना… अगली बार किसकी बारी होगी? आपकी? मेरी? किसी और की? सोचने वाली बात है…
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आणंद-वडोदरा ब्रिज हादसा: क्या हुआ, क्यों हुआ और अब क्या?
1. आणंद-वडोदरा ब्रिज हादसा – पूरी कहानी
सुनकर दिल दहल गया… गुजरात के आणंद-वडोदरा ब्रिज का एक हिस्सा अचानक ढह गया। सोचो, सुबह-सुबह लोग अपने दफ्तर जा रहे होंगे और अचानक ये हालात! कई vehicles सीधे माही नदी में जा गिरे। अफसोस की बात ये है कि अभी तक 2 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और rescue operations पूरे जोर-शोर से चल रहे हैं। लेकिन डर इस बात का है कि ये आंकड़े और बढ़ सकते हैं।
2. ये हादसा हुआ कहाँ? जानिए लोकेशन डिटेल्स
देखिए, ये bridge गुजरात के दो अहम शहरों – आणंद और वडोदरा को जोड़ता है। असल में ये माही नदी पर बना एक बेहद व्यस्त रूट है। रोजाना हजारों vehicles इस पर से गुजरते हैं। और हैरानी की बात ये कि ये कोई पुराना bridge नहीं था! सच कहूं तो इसी बात से डर लगता है – अगर यहाँ ऐसा हुआ तो कहीं भी हो सकता है।
3. Casualties का सही आंकड़ा क्या है?
अभी तक की reports के मुताबिक 2 लोगों की जान जा चुकी है। पर यकीन मानिए, ये आंकड़ा पूरी तरह से clear नहीं है। क्यों? क्योंकि rescue teams अभी भी मलबे में फंसे लोगों को ढूंढ रही हैं। और एक बात – जब ऐसे हादसे होते हैं तो initial reports हमेशा underreported ही होती हैं। सच्चाई कुछ और ही निकलकर आती है।
4. सरकार ने क्या कदम उठाए? एक नजर response पर
तो सरकार की तरफ से क्या हुआ? गुजरात सरकार ने तुरंत NDRF और स्थानीय authorities को मौके पर भेज दिया। CM ने ट्वीट करके दुख जताया है – जो कि अब एक standard procedure बन चुका है। Compensation का वादा भी किया गया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये काफी है? क्योंकि जानें तो जा चुकी हैं न… और वो वापस नहीं आएंगी।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com