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“एक और महिला प्रधान का घोटाला! पति ने पत्नी को भी शिकायत में शामिल किया, जानें पूरा मामला”

एक और महिला प्रधान का घोटाला! पति ने पत्नी को ही शिकायत में घसीटा, जानिए क्या है पूरा ड्रामा

अब तो हिमाचल के मंडी जिले में भी धमाल मचा हुआ है। सोचिए, जिस पंचायत का प्रधान हो, उसी के पति ने उस पर गबन के आरोप लगा दिए! डोलमा देवी, जो बरस्वाण पंचायत की प्रधान हैं, अब खबरों में हैं – और वो भी ऐसे मामले में जिसमें उनके अपने पति दिनेश कुमार ने ही उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। सच कहूं तो ये केस सिर्फ भ्रष्टाचार की ही नहीं, बल्कि उस सिस्टम की कहानी बयां करता है जहां पैसे के आगे रिश्ते भी फीके पड़ जाते हैं।

पीछे की कहानी: पैसे का खेल या पारिवारिक द्वंद्व?

असल में बरस्वाण पंचायत में पिछले कुछ सालों से काम का नाम पर पैसा खर्च होने की बात चल रही थी। लोगों की शिकायत थी कि fund तो आता है, पर दिखता कुछ नहीं। अब तो प्रधान जी के पति ने ही कह दिया है कि उनकी पत्नी ने न सिर्फ पैसों का गलत इस्तेमाल किया, बल्कि official records में भी छेड़छाड़ की। है न मजेदार बात? आमतौर पर तो लोग अपनों को बचाने में लगे रहते हैं, यहां उल्टा हो रहा है।

अब तक क्या हुआ? जानिए latest update

दिनेश कुमार ने police में एक detailed complaint दर्ज कराई है। उनका दावा है कि ग्राम विकास के नाम पर आए पैसों से खेल हुआ है। fake bills बनाए गए, documents में हेराफेरी हुई। वहीं दूसरी तरफ, डोलमा देवी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रही हैं। उनका कहना है, “ये सब मेरे विरोधियों की राजनीति है।” पर सवाल यह है कि जब अपना ही परिवार विरोध में आ जाए, तो जनता किस पर भरोसा करे?

कौन क्या कह रहा? सुनिए सभी पक्षों की बात

दिनेश कुमार का साफ कहना है: “मैंने सच सामने लाने के लिए ये कदम उठाया। पैसा जनता का है, उसका दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं।” वहीं डोलमा देवी जोर देकर कहती हैं: “मैंने हमेशा सही काम किया है। जांच हो, सच सामने आएगा।” और गाँव वालों का क्या कहना? एक बुजुर्ग ने मुझसे कहा: “जब घर ही में लड़ाई हो गई, तो हम क्या कहें? पूरी तफ्तीश होनी चाहिए।” सच कहूं तो ये केस सुनकर गाँव-गाँव की कहावत याद आती है – “घर का भेदी, लंका ढाए।”

आगे क्या? कुछ अंदाजा लगा पा रहे हैं?

अब सबकी नजरें police investigation पर टिकी हैं। अगर आरोप सही साबित हुए, तो न केवल डोलमा देवी बल्कि शायद और भी लोग फंस सकते हैं। मैं तो यही सोच रहा हूँ – क्या इस घटना के बाद local panchayat elections पर असर पड़ेगा? क्या जनता अब ऐसे उम्मीदवारों को वोट देगी? एक बात तो तय है – ये मामला सिर्फ एक घोटाले से कहीं बड़ा सवाल खड़ा करता है: क्या हमारी स्थानीय संस्थाओं में सचमुच कोई जवाबदेही है?

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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