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Apple पर ब्रसेल्स का दबाव! App Store को लेकर आखिरी वक्त की बातचीत, जुर्माने से बचने की कोशिश

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Apple पर EU का दबाव! App Store को लेकर तनातनी, भारी जुर्माने का खतरा

क्या चल रहा है?

देखिए न, Apple और EU के बीच जंग चल रही है। डिजिटल मार्केट्स एक्ट (DMA) के नए नियमों को लेकर ब्रसेल्स ने Apple पर जोर डालना शुरू कर दिया है। बातचीत का आखिरी दौर चल रहा है, जहाँ Apple को App Store के नियम बदलने होंगे वरना ग्लोबल टर्नओवर का 10% तक जुर्माना झेलना पड़ सकता है। बड़ी मुश्किल में फंसा है सेब वाला कंपनी!

DMA आखिर है क्या?

यूरोप की चाल

असल में EU चाहता है कि टेक दिग्गजों (जिन्हें गेटकीपर्स कहते हैं) का दबदबा कम हो। DMA बनाया गया है ताकि Apple, Google जैसी कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ा जा सके। सीधे शब्दों में कहें तो – अब तीसरे पक्ष के पेमेंट सिस्टम और ऐप स्टोर को मौका मिलेगा।

Apple के लिए मुसीबत

इसका मतलब? Apple को अपने App Store के सख्त नियम ढीले करने पड़ेंगे। यूरोप के Users को alternative app stores से apps डाउनलोड करने की आजादी मिलेगी। पर Apple का कहना है कि इससे उनके प्लेटफॉर्म की security और privacy खतरे में पड़ जाएगी।

दोनों पक्षों की चालें

Apple की चिंता

Apple का डर सही भी है। उनका पूरा business model ही closed ecosystem पर चलता है। अगर developers को direct payment options देने लगे या third-party app stores allow करें, तो उनका 30% commission (जिसे ‘Apple Tax’ भी कहते हैं) डूबने का खतरा है।

EU का स्टैंड

वहीं EU अपनी जिद पर अड़ा है। उनका कहना है कि competition बढ़ेगा तो users को सस्ते और बेहतर options मिलेंगे। साथ ही छोटे developers को भी फायदा होगा। पर Apple के लिए ये सब मानना आसान नहीं।

जुर्माने का तलवार

कितना भारी पड़ सकता है?

अगर Apple नियम नहीं मानता तो? तो जुर्माना हो सकता है उनके global revenue का 10% तक! सालाना आंकड़ा देखें तो ये 40 बिलियन डॉलर के आसपास बैठता है। इसके अलावा daily fines का भी प्रावधान है। सोचिए, हर दिन लाखों डॉलर की चूक!

Apple की चुपके चाल

पर Apple भी बैठा नहीं है। वो चुपके से App Store में कुछ बदलाव कर रहा है ताकि technically तो DMA comply हो जाए, पर उनका business model ज्यादा प्रभावित न हो। Smart move है, पर EU कितना मानेगा, ये तो वक्त ही बताएगा।

आगे क्या?

अभी तो Apple की बारी है, पर जल्द ही Google, Meta और Microsoft भी इसी तरह के दबाव में आ सकते हैं। Users के लिए ये अच्छी खबर हो सकती है – more choices, better prices। पर क्या tech giants अपना control छोड़ने को तैयार होंगे? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो Apple और EU की ये टेंशन देखने लायक है!

Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com

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