अनुच्छेद 67(A) क्या है? और क्यों जगदीप धनखड़ का इस्तीफा इतना बड़ा मुद्दा बन गया?
20 जुलाई 2024 का दिन भारतीय राजनीति के लिए कोई सामान्य दिन नहीं था। अचानक ही खबर आई कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। स्वास्थ्य कारण बताया गया, लेकिन क्या सच में यही एकमात्र वजह है? देखा जाए तो यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत दिया गया – जो कि उपराष्ट्रपति के त्यागपत्र से जुड़ा वही प्रावधान है जिसके बारे में शायद ही कोई जानता था! है न मजेदार बात? इस्तीफे में मोदी सरकार के प्रति आभार जताया गया, लेकिन असल में यह फैसला तो राजनीति की चाय की दुकानों पर गर्मागर्म चर्चा का विषय बन गया।
पीछे की कहानी: धनखड़ का सफर और वह अनुच्छेद जिसे अचानक याद किया गया
याद है न 2022 में जब धनखड़ साहब 15वें उपराष्ट्रपति बने थे? पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके इस वरिष्ठ नेता ने अब अचानक इस्तीफा दे दिया। और हैरानी की बात यह कि इसके लिए अनुच्छेद 67(ए) को उछाला गया। सच कहूं तो, हम में से ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं था कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान है! इसके मुताबिक, उपराष्ट्रपति बस राष्ट्रपति को लिखित इस्तीफा भेजकर पद छोड़ सकते हैं – बिना किसी ज्यादा सवाल-जवाब के। सीधी सी बात है न? लेकिन असल मसला यह है कि इसके साथ ही राज्यसभा के सभापति का पद भी खाली हो गया। क्यों? क्योंकि यह तो उपराष्ट्रपति का अतिरिक्त काम होता है। राजनीति का ऐसा पेंच जिस पर शायद ही कभी ध्यान जाता है!
अब तक क्या हुआ? इस्तीफे के बाद का ड्रामा
अब स्थिति यह है कि राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। और अब? अब तो नए उपराष्ट्रपति के चुनाव का दौर शुरू होगा। लेकिन यहां मजा तो विपक्ष की प्रतिक्रिया में है! कांग्रेस समेत अन्य दल तो मानो आग बबूला हो गए हैं – राजनीतिक दबाव का आरोप लगाते हुए। और तो और, अविश्वास प्रस्ताव की धमकी तक दे डाली! हालांकि, अभी तक यह सब बातें ही हैं। असल में क्या होगा? वह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। पर इतना तो तय है कि संसद का अगला सत्र काफी ‘मसालेदार’ होने वाला है!
किसने क्या कहा? राजनीति का पारा चढ़ा
इस मामले पर तो सभी ने अपनी-अपनी रोटियां सेकनी शुरू कर दी हैं। भाजपा वाले धनखड़ के फैसले का सम्मान कर रहे हैं, स्वास्थ्य की दुआएं दे रहे हैं। वहीं राहुल गांधी जी तो सीधे-सीधे सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगा बैठे। और ममता दीदी? उनका तो स्टाइल ही अलग है – ट्वीट करके सीधा सवाल दागा: “इस्तीफे की असली वजह क्या है?” सोशल मीडिया पर तो #DhankharResignation ट्रेंड कर ही रहा है। कुछ लोग इसे सही बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि यह सिर्फ एक ‘छुपा हुआ राजनीतिक खेल’ है। आप क्या सोचते हैं?
अब आगे क्या? राजनीति का नया अध्याय
अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि नया उपराष्ट्रपति कौन बनेगा। संसद के सदस्य मिलकर यह फैसला करेंगे। और इस बीच राज्यसभा का काम चलाने के लिए कोई अस्थायी सभापति भी नियुक्त हो सकता है। पर सच पूछो तो, असली मसला तो यह है कि क्या विपक्ष वाकई अविश्वास प्रस्ताव लाएगा? अगर हां, तो यह सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को नए स्तर पर ले जाएगा। एक बार फिर संवैधानिक पदों की स्वतंत्रता पर बहस छिड़ गई है। और हम? हम तो बस पॉपकॉर्न लेकर बैठे हैं – अगले एपिसोड का इंतज़ार करने के लिए!
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अनुच्छेद 67(A) है क्या बला? और हमें इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए?
देखिए, हमारे संविधान का ये अनुच्छेद Vice President के इस्तीफे या हटाए जाने के नियमों को बताता है। सीधे शब्दों में कहें तो, ये वो कानूनी रास्ता है जिससे कोई VP चला जाए तो उसकी कुर्सी खाली हो जाए। अब सवाल ये कि ये इतना important क्यों है? क्योंकि बिना इसके तो कोई भी आकर VP बन जाए और मनमानी करे – और ये तो हम चाहेंगे नहीं, है ना?
जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया – पर सच क्या है?
सच? ईमानदारी से कहूं तो कोई नहीं जानता! असल में तो उन्होंने कोई official कारण नहीं बताया। लेकिन आप और मैं जानते हैं कि राजनीति में कुछ भी बिना वजह नहीं होता। Political experts की मानें तो ये सब current government से मतभेद और विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की वजह से हुआ। पर सच तो शायद वक्त ही बताएगा।
अविश्वास प्रस्ताव? ये क्या चीज है भला?
अरे भई, ये तो संसद का एक जबरदस्त हथियार है! No-Confidence Motion के नाम से मशहूर ये प्रस्ताव विपक्ष सरकार के खिलाफ लाता है। अगर majority साथ दे दे तो सरकार को बॉय-बॉय करना पड़ता है। एक तरह से लोकतंत्र का सबसे दिलचस्प ड्रामा। सच कहूं तो हमारे देश में ये कम ही कामयाब होता है, लेकिन show तो बनता ही है!
क्या धनखड़ का इस्तीफा और अनुच्छेद 67(A) का कोई नाता है?
बिल्कुल! देखिए ना, जब भी कोई VP इस्तीफा देता है तो ये अनुच्छेद ही तो उसे कानूनी रूप से valid बनाता है। धनखड़ के मामले ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया है। एकदम सही वक्त पर याद दिला दिया कि हमारा संविधान कितना सटीक है। है ना मजेदार बात?
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