ASML का दावा: ट्रम्प के टैरिफ का असर ‘उतना बुरा नहीं’, पर चिपमेकिंग इंडस्ट्री के लिए क्या मतलब?
दोस्तों, डच टेक्नोलॉजी कंपनी ASML ने अपने ताज़ा नतीजे जारी किए हैं – और सच कहूं तो, ये काफी अच्छे हैं। लेकिन यहाँ एक ‘लेकिन’ ज़रूर है। कंपनी ने साफ किया है कि डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ प्लान और बढ़ती राजनीतिक उठापटक उनके भविष्य के ग्रोथ को डिस्टर्ब कर सकती है। अब सवाल यह है कि अगर ASML को उम्मीद से कम नुकसान होगा, तो पूरी चिपमेकिंग इंडस्ट्री पर इसका क्या असर पड़ेगा? समझने की कोशिश करते हैं।
ASML: जिसके बिना चिप्स बनाना मुश्किल, और ट्रम्प का नया खेल
ASML को अगर सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का ‘गॉडफादर’ कहें तो गलत नहीं होगा। ये वही कंपनी है जो TSMC, Intel और Samsung जैसे दिग्गजों को वो जादुई मशीनें देती है जिनसे आज के सुपर-एडवांस्ड चिप्स बनते हैं। पर अब ट्रम्प साहब ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ के नाम पर चीन और यूरोप पर नए टैरिफ की बात छेड़ दी है। और भईया, ये ASML जैसी ग्लोबल कंपनियों के लिए सिरदर्द बन सकता है।
Q2 रिजल्ट्स: नंबर्स तो धमाकेदार, पर डर क्यों?
ASML ने इस क्वार्टर में €7.2 बिलियन का राजस्व कमाया – जो विश्लेषकों के अनुमान से कहीं बेहतर है। ये तो एकदम ज़बरदस्त। सच में। लेकिन कंपनी का कहना है कि ट्रम्प के टैरिफ का फौरी असर तो कम होगा, पर लंबे समय में ग्लोबल सप्लाई चेन उलट-पुलट हो सकती है। शायद इसीलिए ASML ने 2025 के अपने प्रोजेक्शन में थोड़ा ब्रेक लगा दिया है।
इंडस्ट्री क्या कह रही है? एक मिक्स्ड रिएक्शन
ASML के CEO पीटर वेनिंक का सीधा सा मैसेज है: “डिमांड अभी भी स्ट्रॉंग है, पर राजनीति सब खराब कर सकती है।” और सच मानिए, ये बयान आग में घी का काम कर गया। Intel के एक अधिकारी ने तो साफ कह दिया कि टैरिफ से चिप्स की कीमतें बढ़ेंगी – और ये सीधा आपके और मेरे जेब पर वार करेगा। वहीं विश्लेषकों का मानना है कि ASML की टेक्नोलॉजी लीडरशिप उसे सेफ रखेगी, पर इन्वेस्टर्स को अलर्ट रहना होगा।
2024 का बड़ा सवाल: अगर ट्रम्प वापस आए तो?
असल में मामला ये है कि अगर ट्रम्प फिर से व्हाइट हाउस पहुँच गए, तो पूरी इंडस्ट्री को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है। पहला – सप्लाई चेन का चैन उखड़ना, और दूसरा – प्रोडक्शन कॉस्ट का बढ़ना। इसीलिए ASML ने R&D पर और जोर देने का फैसला किया है। क्योंकि टेक्नोलॉजी रेस में पीछे रहना उनके लिए कोई ऑप्शन ही नहीं है।
तो दोस्तों, नतीजा क्या निकला? ASML का परफॉरमेंस तो शानदार है, पर राजनीतिक अनिश्चितता एक बड़ा क्लाउड है। और ये सिर्फ ASML की नहीं, पूरी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री की चिंता का विषय है। आने वाले दिनों में कंपनियों को और फ्लेक्सिबल बनना होगा – वरना गेम बदल सकता है।
ASML और ट्रम्प के टैरिफ का चिप इंडस्ट्री पर असर – जानिए पूरी कहानी
अरे भाई, आजकल तो हर कोई ASML और ट्रम्प के नए टैरिफ को लेकर बातें कर रहा है। पर सच क्या है? आइए समझते हैं, बिना किसी जटिल भाषा के।
1. ASML ने टैरिफ को ‘उम्मीद से कम खराब’ क्यों बताया?
देखिए, ASML की बात सुनकर लगता है जैसे उन्होंने चुपके से कंधे उचकाए हों! असल में, उनका कहना है कि उनके high-tech semiconductor equipment की मांग इतनी ज़बरदस्त है कि टैरिफ से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। सोचिए न, जब आपके पास कोई competition ही नहीं है, तो customers को तो आपके पास आना ही पड़ेगा, है न? लेकिन यहां एक पेंच है – क्या वाकई alternatives बिल्कुल नहीं हैं? शायद अभी नहीं, पर future में?
2. क्या चिप इंडस्ट्री को नुकसान होगा? सच्चाई क्या है?
ऐसा लगता है जैसे short-term में थोड़ी उथल-पुथल होगी। पर हम भारतीय तो इसके आदि हैं न? जैसे traffic jam में भी हम रास्ता निकाल ही लेते हैं। Long-term में industry adjust कर लेगी – क्योंकि chips की भूख तो दुनिया भर में है। Supply chain थोड़ी complex ज़रूर है, पर impossible नहीं। एक तरफ तो टैरिफ का डर, दूसरी तरफ demand का दबाव। किसकी जीत होगी?
3. ASML असल में करता क्या है? यह कंपनी इतनी खास क्यों?
अरे यार, समझिए ना – ASML वो मास्टरमाइंड है जिसके बिना आपका प्यारा smartphone भी अधूरा है! वो advanced lithography machines बनाते हैं जो chips बनाने के लिए ज़रूरी हैं। सच कहूं तो, इनके बिना high-end chips बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जैसे बिना गेहूं के रोटी नहीं बनेगी, वैसे ही बिना ASML के chips नहीं बनेंगे। पर सवाल यह है – क्या कोई इसका विकल्प ढूंढ पाएगा?
4. क्या भारत की semiconductor योजनाएं प्रभावित होंगी?
सीधे-सीधे तो नहीं, पर… हमेशा एक परंतु होता है न? अगर global supply chain पर दबाव बढ़ा, तो हमारे देश के semiconductor manufacturing plans को थोड़ा झटका लग सकता है। पर हम भारतीय हैं न! हमारी local manufacturing policies कुछ हद तक तो बचाव कर ही लेंगी। थोड़ा delay होगा शायद, पर रुकेंगे नहीं। जैसे हमारी local trains – धीमी चलें, पर पहुंच जाती हैं मंजिल पर!
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com