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असम-मेघालय सीमा विवाद: 12 क्षेत्रों में 890 किमी लंबी सीमा पर अचानक टेंशन, जानें पूरा मामला

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असम-मेघालय बॉर्डर झगड़ा: 12 इलाकों में 890 KM लंबी सीमा पर तनाव, जानिए क्या है पूरा गोरखधंधा

ये मामला क्या है?

असम और मेघालय के बीच बॉर्डर को लेकर झगड़ा कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह फिर से गर्मा गया है। 890 किलोमीटर लंबी सीमा के 12 हिस्सों में टेंशन बढ़ गया है, जिससे वहां के लोगों की परेशानी बढ़ी है। आज हम आपको इसकी जड़ों से लेकर अब तक के हालात और आगे की संभावनाओं तक सब कुछ बताएंगे।

ये झगड़ा शुरू कैसे हुआ?

इतिहास की बात

साल 1972 में जब मेघालय को असम से अलग कर नया राज्य बनाया गया, तभी से ये मसला शुरू हो गया था। असल में, असम रीऑर्गनाइजेशन एक्ट के तहत तो मेघालय बना दिया गया, लेकिन बॉर्डर लाइन को लेकर क्लियरिटी नहीं दी गई। तभी से ये झगड़ा चला आ रहा है।

दिक्कत क्या है?

इलाके का जंगली और पहाड़ी होना एक बड़ी मुश्किल है। साथ ही, कोयला, लकड़ी और पानी जैसे रिसोर्सेज पर दोनों राज्य अपना हक जताते हैं, जिससे मामला और उलझ जाता है।

कौन-कौन से इलाके हैं विवादित?

ये हैं मुख्य हॉटस्पॉट

असम और मेघालय के बीच 12 ऐसे इलाके हैं जहां झगड़ा चल रहा है। इनमें लंगपी, ब्लॉक 1 और ब्लॉक 2 सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। ये सिर्फ स्ट्रैटेजिक ही नहीं, बल्कि नेचुरल रिसोर्सेज से भी भरपूर हैं।

हालिया हालात

पिछले कुछ महीनों में यहां कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। लोगों और पुलिस के बीच टकराव की खबरें आई हैं। लोकल लोगों का कहना है कि अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं हैं।

सरकार और कोर्ट क्या कर रहे हैं?

केंद्र की भूमिका

केंद्र सरकार ने हाल में दोनों राज्यों को बातचीत के लिए राजी किया है। दोनों सरकारों ने अपने-अपने स्टैंड भी साफ किए हैं, लेकिन अभी तक कोई फाइनल सॉल्यूशन नहीं निकला है।

कोर्ट का रोल

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी इस मामले में दखल दिया है, लेकिन केस लंबा खिंचने से समस्या का हल नहीं निकल पा रहा। Experts की मानें तो अब जल्द ही कोई कड़ा कदम उठाना होगा।

आम लोगों पर क्या असर पड़ रहा है?

लोकल्स की मुश्किलें

इस झगड़े का सबसे ज्यादा असर वहां के आदिवासी और गांव वालों पर पड़ा है। उन्हें अपनी जमीन और रोजी-रोटी को लेकर डर सता रहा है। उनकी रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हुई है।

सुरक्षा का मसला

हाल की हिंसा के बाद सुरक्षा बलों को इन इलाकों में भेजा गया है, पर स्थानीय लोग इसे सिर्फ टेंपरेरी सॉल्यूशन मानते हैं।

आगे का रास्ता क्या हो सकता है?

क्या हो सकता है समाधान?

Experts के मुताबिक, इस मसले का हल सिर्फ बातचीत और कानूनी प्रक्रिया से ही निकल सकता है। मॉडर्न टेक्नोलॉजी और सर्वे की मदद भी ली जा सकती है।

लोगों को कैसे जोड़ें?

शांति समितियां बनाकर और लोकल लोगों को बातचीत में शामिल करके इस झगड़े को सुलझाया जा सकता है। जागरूकता बढ़ाने के लिए भी काम करने की जरूरत है।

आखिर में…

असम-मेघालय बॉर्डर डिस्प्यूट एक पेचीदा मसला है जिसका जल्द हल निकालना जरूरी है। इसके लिए राजनीति, कानून और समाज – तीनों स्तर पर मेहनत करनी होगी। उम्मीद है ये जानकारी आपके काम आएगी।

पाठकों के सवाल (FAQ)

1. ये झगड़ा शुरू कब हुआ?

1972 में जब मेघालय बना था, तभी से ये मसला चला आ रहा है।

2. सबसे ज्यादा टेंशन कहां है?

लंगपी, ब्लॉक 1 और ब्लॉक 2 में स्थिति सबसे ज्यादा गर्म है।

3. सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

केंद्र ने बातचीत शुरू करवाई है और सुप्रीम कोर्ट ने भी केस लिया है।

4. लोकल लोगों को क्या दिक्कत हो रही है?

उन्हें अपनी जमीन और रोजगार को लेकर डर है, साथ ही उनकी नॉर्मल लाइफ भी डिस्टर्ब हुई है।

5. भविष्य में क्या हो सकता है?

Experts कहते हैं कि राजनीतिक बातचीत, कानूनी प्रक्रिया और लोकल लोगों की भागीदारी से ही समाधान निकलेगा।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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