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12वीं के बाद बैचलर्स या 5 साल का इंटीग्रेटेड कोर्स? जानें कौन सा विकल्प है बेहतर

12वीं के बाद क्या करें? बैचलर्स या 5 साल का इंटीग्रेटेड कोर्स – असली सवाल यह है!

अरे भाई, 12वीं पास करते ही जैसे सारी दुनिया सवालों के घेरे में आ जाती है न? सबसे बड़ा कॉन्फ्यूजन – आगे क्या करें? मेरे एक दोस्त ने तो इतना स्ट्रेस लिया कि पूरे एक महीने बाल झाड़ता रहा! सच कहूं तो आजकल के इस competitive दौर में सही कोर्स चुनना वैसा ही है जैसे PUBG में सही वेपन सिलेक्ट करना – गलत चुनाव और गेम ओवर! तो चलिए, आज बात करते हैं बैचलर्स और इंटीग्रेटेड कोर्सेज की। एकदम बिना फिल्टर के!

बैचलर्स कोर्स – पुराना है पर गोल्ड है!

देखो, बैचलर्स डिग्री वह पहली सीढ़ी है जिस पर हर कोई चढ़ता है। पर सवाल यह है कि क्यों? असल में, यह तीन से चार साल का वह सेफ बेट है जहां आपको अपने interest को समझने का टाइम मिल जाता है। BA, BSc, BCom – ये सब तो हमारे दादा-परदादा के जमाने से चले आ रहे हैं। लेकिन इनकी खासियत क्या है? ये आपको एक field में बेसिक नॉलेज देते हैं, पर साथ ही आगे का रास्ता खुला छोड़ देते हैं। जैसे मेरी कजिन ने BSc की और फिर MBA करके अब गूगल में है। कूल है न?

इंटीग्रेटेड कोर्स – नया ट्रेंड, पर क्या वाकई स्मार्ट चॉइस?

अब ये नए जमाने के इंटीग्रेटेड कोर्सेज… BBA+MBA, BA LLB वगैरह… ये वो फास्ट ट्रैक हैं जहां आप पांच साल में दो डिग्रियां पकड़ लेते हैं। मानो कि बर्गर के साथ फ्रेंच फ्राइज फ्री में मिल गया! पर सच्चाई यह है कि ये कोर्सेज उन्हीं के लिए हैं जिन्हें पता हो कि उन्हें जिंदगी में क्या चाहिए। मेरे एक जूनियर ने बिना सोचे BA LLB जॉइन कर लिया और दो साल बाद पता चला कि उसे तो coding करनी थी! अब बेचारा क्या करे?

तुलना करें तो…?

अब जरा दोनों को आमने-सामने रखकर देखते हैं:
– टाइम: बैचलर्स्स 3-4 साल vs इंटीग्रेटेड 5 साल (यानी वो एक्स्ट्रा साल जब आपके दोस्त पैसे कमा रहे होंगे)
– फीस: इंटीग्रेटेड थोड़े महंगे, पर long term में सस्ते पड़ सकते हैं
– फ्लेक्सिबिलिटी: बैचलर्स जीतते हैं हाथोंहाथ
– प्लेसमेंट: इंटीग्रेटेड कोर्सेज अक्सर बेहतर, खासकर लॉ और मैनेजमेंट में

बैचलर्स के प्लस-माइनस

अच्छा तो… बैचलर्स की बात करें तो सबसे बड़ा फायदा है कि आप ग्रेजुएशन के बाद भी अपना मन बदल सकते हैं। जैसे मेरा एक फ्रेंड BCom करके फिर मास कम्युनिकेशन में गया – और आज बढ़िया जॉब कर रहा है! पर नुकसान? अगर मास्टर्स करना है तो फिर से एडमिशन की टेंशन। और हां, टोटल टाइम और खर्चा ज्यादा हो सकता है।

इंटीग्रेटेड कोर्स – सुनहरा या फिसलन भरा रास्ता?

इंटीग्रेटेड कोर्सेज का सबसे बड़ा मजा? एक बार एडमिशन लिया और पांच साल के लिए टेंशन फ्री! सीधे दो डिग्रियां और अक्सर बेहतर प्लेसमेंट। पर सावधानी! ये कोर्स उन लोगों के लिए हैं जो अपने career path को लेकर क्लियर हैं। वरना पांच साल का लॉन्ग टर्म कमिटमेंट बोझ बन सकता है। जैसे मेरी एक जानकारी ने BBA+MBA किया और तीसरे साल में एहसास हुआ कि उसे तो फैशन डिजाइनिंग में जाना था!

तो फाइनली… क्या चुनें?

सीधी सी बात:
– अगर दिल में पैशन है और गोल क्लियर है – इंटीग्रेटेड कोर्स पर जाएं
– अगर अभी भी ‘क्या करूं’ वाले मूड में हैं – बैचलर्स बेहतर
– लॉ, मैनेजमेंट या टेक्निकल फील्ड्स? इंटीग्रेटेड बढ़िया
– आर्ट्स/साइंस और रिसर्च में इंटरेस्ट? बैचलर्स फिर मास्टर्स

टॉप इंस्टिट्यूट्स की लिस्ट (थोड़ी सी name dropping!)

अगर इंटीग्रेटेड कोर्स की बात करें तो:
– NLUs – लॉ के लिए बेस्ट
– IIMs के इंटीग्रेटेड प्रोग्राम्स – मैनेजमेंट में टॉप
– IISc – साइंस वालों के लिए
– DU, मुंबई यूनिवर्सिटी – बजट फ्रेंडली ऑप्शन्स

आखिरी बात (और सबसे जरूरी)

दोस्तों, एक बात याद रखना – कोई भी डिसीजन फाइनल नहीं होता। मैंने खुद BA किया था और आज टेक फील्ड में हूं! सबसे बड़ी सलाह? अपने दिल की सुनो, कुछ रिसर्च करो, और किसी करीबी से सलाह लो। और हां, ये कोर्स सिर्फ टूल्स हैं – असली मास्टरपीस तो आप खुद बनाते हो!

FAQs (वो सवाल जो हर कोई पूछता है)

इंटीग्रेटेड कोर्स के बाद पीएचडी हो सकती है?
हां बिल्कुल! बस कोर्स UGC से मान्यता प्राप्त होना चाहिए। मेरे एक सीनियर ने BA LLB के बाद सीधे पीएचडी की और अब प्रोफेसर हैं।

इंटीग्रेटेड कोर्स की फीस कितनी होती है?
यार, ये तो बिल्कुल शादी के खर्चे जैसा है! गवर्नमेंट कॉलेज में 50k-2 लाख सालाना, प्राइवेट में 1-5 लाख तक। कुछ तो 10 लाख सालाना भी लेते हैं – ये सुनकर मेरे तो होश उड़ गए थे!

क्या स्कॉलरशिप मिलती है?
मिलती है भाई! मेरिट के आधार पर तो खूब मिलती है। कुछ स्टूडेंट्स को तो पूरी फीस माफ हो जाती है। गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों तरफ से ऑप्शन्स हैं।

यह भी पढ़ें:

12वीं के बाद क्या करें? यह सवाल हर स्टूडेंट के दिमाग में आता है। Bachelor Degree या 5 साल का Integrated Course – दोनों के अपने फायदे हैं, लेकिन सही चुनाव आपके Career Goals और Interests पर निर्भर करता है। अब सवाल यह है कि आपको क्या चाहिए?

Bachelor Degree की बात करें तो यह थोड़ी फ्लेक्सिबिलिटी देती है। एक तरफ तो आप किसी एक फील्ड में स्पेशलाइज़ कर सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ आगे के ऑप्शन्स भी खुले रहते हैं। मान लो, आपको बीच में ही कोई और इंटरेस्ट आ जाए – तो बैचलर डिग्री के साथ शिफ्ट करना आसान होता है।

लेकिन Integrated Course? देखा जाए तो यह टाइम-सेवर है। 5 साल में ही Bachelor + Master हो जाता है, और ज्ञान भी डेप्थ में मिलता है। पर यहाँ एक चीज़ ध्यान रखनी होगी – इसमें रास्ता फिक्स्ड होता है, बीच में बदलाव मुश्किल।

तो फैसला कैसे करें? ईमानदारी से कहूँ तो Entrance Exams, Scope और Opportunities को अच्छी तरह रिसर्च करो। सिर्फ ट्रेंड के चक्कर में न पड़ें – अपनी रुचि और Future Plans को सबसे ऊपर रखो। सही विकल्प चुनोगे, तो Successful Career की नींव अपने आप पक्की हो जाएगी! एकदम सच।

12वीं के बाद बैचलर्स vs इंटीग्रेटेड कोर्स: भाई, Confusion हटाओ एकदम!

अरे भई, 12वीं के बाद का वो phase ही कुछ और होता है न? दिमाग में बस एक ही सवाल घूमता रहता है – आगे क्या? तो चलो, आज इसी confusion को दूर करते हैं।

1. बैचलर्स और इंटीग्रेटेड कोर्स में फर्क समझो जरा

देखो, बात सीधी है। बैचलर्स (BA, BSc, BCom वगैरह) तो वो पुराना भरोसेमंद तरीका है – 3 साल, डिग्री हाथ में, फिर आगे देखेंगे। वहीं इंटीग्रेटेड कोर्स… ये तो जैसे express train है! 5 साल में graduation और post-graduation दोनों पक्के। सीधा admission, दो डिग्रियां – क्या बात है न? लेकिन… हमेशा एक ‘लेकिन’ तो होता ही है।

2. Career के लिए क्या सही? ये तो तुम्हारे ऊपर है!

असल में ये कोई one-size-fits-all वाली बात नहीं। अगर तुम्हारा plan है जल्दी नौकरी पकड़ना और कमाना शुरू करना, तो भाई 3 साल की डिग्री ही भली। पर… अगर तुम्हारा दिल research में है या higher studies का सपना देख रहे हो, तो इंटीग्रेटेड कोर्स समय और पैसे दोनों बचाएगा। सोचो जरा – 5 साल में master’s तक पहुंच जाओगे। बढ़िया न?

3. PhD का सपना? इंटीग्रेटेड कोर्स के बाद तो बिल्कुल!

हां जी! यहां तो मजा आ गया। BA+MA या BSc+MSc जैसे कोर्स करके तुम सीधे PhD के लिए eligible हो जाते हो। बस… UGC के marks criteria पूरे करने होंगे। मतलब? तुम्हारा रास्ता छोटा हो गया। पर एक बात – PhD करनी है तो पढ़ाई से प्यार होना चाहिए। वरना… खैर, तुम समझदार हो!

4. बीच में मन बदलना चाहो तो? हां, थोड़ा टेढ़ा हो सकता है

यार, इंटीग्रेटेड कोर्स तो जैसे शादी जैसा है – commitment चाहिए! बीच में stream change करना… उफ्फ, मुश्किल। क्योंकि ये fixed menu की तरह designed होते हैं। वहीं अगर regular बैचलर्स करो तो MA/MSc में नया subject choose करने की आजादी रहती है। तो सोच लो… क्या तुम निश्चित हो अपने decision पर? नहीं? तो शायद…

खैर, अंत में एक ही बात – कोई गलत चुनाव नहीं होता। बस अपने interest और goals को समझो। बाकी… जो होगा अच्छा होगा! क्या कहते हो?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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