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“बांग्लादेश में उथल-पुथल: यूनुस सरकार का ISI कनेक्शन और भारत की चिंताएं | पूरी कहानी”

बांग्लादेश में उथल-पुथल: क्या यूनुस सरकार ISI के साथ खेल रही है? भारत की चिंताएं और पूरी कहानी

दोस्तों, बांग्लादेश में तो इन दिनों राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। प्रधानमंत्री यूनुस की सरकार को अभी एक साल भी नहीं हुआ, और हालात ऐसे बिगड़े कि जैसे किसी ने हॉर्न ऑफ प्लेंटी खोल दिया हो। सच कहूं तो, ढाका से जो खबरें आ रही हैं, वो सिर्फ बांग्लादेश के लिए ही नहीं, हमारे लिए भी चिंता का सबब बन गई हैं। और सबसे बड़ी बात? इन सबके पीछे ISI का हाथ होने की आशंका। जी हां, वही पाकिस्तानी एजेंसी जिसका CV ही खलबली मचाने का है।

पूरी कहानी समझिए

यूनुस साहब ने तो पिछले चुनाव में जीत दर्ज कर ली, मगर ये क्या कि देश की सेना और विपक्ष – दोनों ही उनसे नाराज़ हैं। ऐसे में सरकार चलाना वैसा ही है जैसे किसी तूफान में नाव खेने की कोशिश करना। और फिर वो पुराना दोस्त – ISI – जो पिछले 10 साल से बांग्लादेश में अपनी जड़ें जमा रहा था, अब तो बिल्कुल बेलगाम हो गया लगता है। एक तरफ चीन का दबाव, दूसरी तरफ पाकिस्तान की चालें… भारत के लिए ये स्थिति किसी नाइटमेयर से कम नहीं।

हाल के घटनाक्रम: क्या हुआ, क्या हो रहा है?

असल में देखा जाए तो बांग्लादेश की सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही कच्चे धागे से लटक रही थी। अब सेना और पुलिस के बीच की खींचतान ने तो मानो आग में घी का काम किया है। पिछले हफ्ते ढाका में जो आतंकी हमला हुआ, उसने तो सबको झकझोर कर रख दिया। निर्दोष लोग मारे गए… और सबसे डरावना? सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि ISI समर्थित गुटों का इसमें हाथ हो सकता है। भारत अब खुलकर बांग्लादेश पर दबाव बना रहा है – “भाई, इस खेल को रोको वरना…”

कौन क्या बोला?

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रियाओं का दौर चल निकला है। भारत सरकार का स्टैंड साफ है – “हमें बांग्लादेश में शांति चाहिए, पर ISI का ये खेल बर्दाश्त से बाहर है।” विदेश मंत्रालय ने तो बयान जारी करके साफ कर दिया है। वहीं बांग्लादेश का विपक्ष यूनुस सरकार पर आरोप लगा रहा है कि वो ISI को खुली छूट दे रही है। सुरक्षा एक्सपर्ट्स की चेतावनी और भी डरावनी है – अगर यूं ही चलता रहा, तो हमारे पूर्वोत्तर राज्यों में भी आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है। सोचिए, क्या हम इसके लिए तैयार हैं?

अब आगे क्या?

मेरी निजी राय? हालात और बिगड़ने वाले हैं। भारत दो रास्ते अपना सकता है – या तो बांग्लादेश के साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ने की कोशिश करे, या फिर अपनी सीमाओं को और मजबूत करे। पर एक बात तय है – अगर UN और USA जैसे बड़े खिलाड़ी इस मामले में दखल देने लगे, तो गेम पूरी तरह बदल सकता है।

आखिरी बात: बांग्लादेश में ये राजनीतिक भूचाल और ISI का बढ़ता प्रभाव सिर्फ सीमा पार की समस्या नहीं रह गया है। ये हमारी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। और हां, अगर अभी कुछ नहीं किया गया, तो ये पूरे क्षेत्र के लिए आगे चलकर बड़ा संकट बन सकता है। सोचने वाली बात है, है न?

बांग्लादेश में हलचल: यूनुस सरकार, ISI और भारत की चिंताएं – आपके सवालों के जवाब

अरे भाई, बांग्लादेश में जो कुछ चल रहा है, वो सिर्फ उनका मामला नहीं रहा। हमारे लिए भी ये चिंता की बात है। तो चलिए, बात करते हैं कुछ सवालों की जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगे…

1. यूनुस सरकार और ISI का कनेक्शन – कितना सच, कितना झूठ?

देखिए, अफवाहें तो बहुत उड़ रही हैं। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि यूनुस सरकार ने ISI के साथ मिलकर बांग्लादेश में आग लगाने की कोशिश की। सच्चाई? अभी पूरी तरह साफ नहीं हुई। लेकिन अगर ऐसा है तो समझिए न, ये regional stability के लिए बड़ा खतरा है। जैसे आपके पड़ोसी के घर में आग लगे तो आपको भी खतरा होता है न?

2. भारत को क्यों परवाह है? हमारा क्या जाता है?

असल में बात ये है कि बांग्लादेश में अशांति का मतलब सीधा हमारी security पर असर। सोचिए – अगर ISI वाकई इसमें शामिल है, तो cross-border terrorism बढ़ने का डर तो लगना ही है। और हमारे यहां तो पहले से ही… खैर, आप समझ गए होंगे। एक तरफ सुरक्षा, दूसरी तरफ economic interests – दोनों दांव पर लगे हैं।

3. बांग्लादेश सरकार की क्या कहना है?

अब ये दिलचस्प है। सरकार कहती है “जांच चल रही है”, विपक्ष चिल्ला रहा है “transparency दिखाओ!” कुछ अधिकारियों ने तो इन आरोपों को हवा-हवाई बताया है। पर सच तो ये है कि जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। है न?

4. क्या ये मामला भारत-बांग्लादेश दोस्ती पर पानी फेर देगा?

ईमानदारी से? अभी तक official level पर कोई बड़ा बयान नहीं आया। लेकिन experts की राय है कि अगर ISI का हाथ साबित होता है, तो trust issues तो पैदा होंगे ही। पर एक उम्मीद की किरण – दोनों देशों के बीच जो strong diplomatic relations हैं, वो इस तूफान में नैया पार लगा सकती हैं। वैसे भी, राजनीति में कुछ भी तय नहीं होता, है न?

तो ये थी बात… कुछ सवाल, कुछ जवाब, और बहुत सारी अनसुलझी गुत्थियां। आगे क्या होगा? वक्त ही बताएगा। आपकी क्या राय है इस मामले में?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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