भागवत का बयान: क्या सच में हमारा इतिहास ‘विजेताओं’ ने लिखा है?
अरे भाई, क्या आपने RSS प्रमुख मोहन भागवत के ताज़ा बयान पर गौर किया? उन्होंने तो एक बार फिर हमारे इतिहास लेखन पर सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि हम जो इतिहास पढ़ रहे हैं, वो पश्चिमी नज़रिए से लिखा गया है। और सच कहूँ तो… ये बात बिल्कुल ग़लत भी नहीं लगती। क्या आपको नहीं लगता कि हमारे इतिहास में हमारे अपने योगदान को कम करके दिखाया गया है?
ये बहस नई नहीं, पर अब ज़ोर बढ़ा
देखिए, ये कोई नई बात तो है नहीं। RSS और दूसरे राष्ट्रवादी संगठन सालों से यही कहते आए हैं। मगर अब बात ज़्यादा गंभीर होती दिख रही है। NCERT की किताबों में बदलाव तो होते रहे हैं, पर हर बार ये राजनीतिक आग में घी डालने जैसा हो जाता है। ईमानदारी से कहूँ तो… क्या हम सच में अपने बच्चों को वो इतिहास पढ़ा रहे हैं जो हमारे ही दृष्टिकोण से लिखा गया हो?
भागवत ने क्या कहा? तीन बड़ी बातें
उनके भाषण की मुख्य बातें समझें तो:
1. हमारे वैज्ञानिक, सांस्कृतिक योगदान को दुनिया ने नज़रअंदाज़ किया – जैसे कोई बच्चे की ड्राइंग फ्रिज पर न लगाए!
2. इतिहास ‘विजेताओं’ ने लिखा – यानी जो जीता, उसने अपनी कहानी थोप दी
3. और सबसे ज़रूरी – अब नए सिरे से लिखने की ज़रूरत है
कौन क्या कह रहा है? मतभेद तो हैं ही
अब ज़ाहिर है, इस पर सबकी अपनी-अपनी राय है। कुछ इतिहासकार ताली बजा रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ये सब राजनीति है। बीच का रास्ता? वो ये कि इतिहास को संतुलित तरीके से पढ़ाया जाए। पर सवाल ये है ना कि इस ‘संतुलन’ का मतलब क्या है? किसके मापदंड पर?
आगे क्या होगा? कुछ संभावनाएं
इसके तीन बड़े असर हो सकते हैं:
– NCERT की किताबों में फिर से बदलाव की मांग
– ‘भारतीयकरण’ का दबाव बढ़ेगा
– और हाँ… राजनीति तो होगी ही!
सच पूछो तो, ये बहस खत्म होने वाली नहीं। असली सवाल ये है कि क्या हम सच में अपने अतीत को नए सिरे से देखने के लिए तैयार हैं? या फिर ये सिर्फ़ एक नया विवाद बनकर रह जाएगा?
अंत में एक बात साफ़ है – भागवत ने इस बहस को फिर से जिंदा कर दिया है। अब देखना ये है कि ये सिर्फ़ बहस बनी रहती है या कुछ ठोस बदलाव आते हैं। आपको क्या लगता है?
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com