भैरों सिंह शेखावत: वो 5 गजब की बातें जिनसे बन गए थे ‘लोगों के बाबोसा’
अरे भई, राजस्थान की राजनीति की बात हो और भैरों सिंह शेखावत का जिक्र न आए? ये नाम सुनते ही दिल में एक अजीब सा भाव आ जाता है न? BJP के संस्थापक सदस्य और राजस्थान के इस सपूत को लोग आज भी ‘बाबोसा’ कहकर याद करते हैं। सच कहूं तो, ये प्यारा सा उपनाम ही बता देता है कि जनता के दिलों में उनकी क्या जगह थी। चलिए, आज उन्हीं की पांच खास बातों पर नजर डालते हैं जिन्होंने उन्हें असली जननेता बना दिया।
पहले थोड़ा पीछे चलते हैं…
1923 में सीकर में जन्मे इस शख्स ने राजनीति में वो मुकाम हासिल किया जो आज भी मिसाल है। तीन बार CM बने, उपराष्ट्रपति भी रहे – पर है न दिलचस्प बात? वो अपने आप में एक इंस्टीट्यूशन थे। ‘किसानों का मसीहा’ कहलाना कोई इन्हीं के बस की बात थी। असल में देखा जाए तो, उनकी राजनीति जनता के दरबार से शुरू होकर जनता के दरबार में ही खत्म होती थी।
वो पांच सीक्रेट जिनसे बनाया कनेक्शन
1. जनता से वो कनेक्शन: सुनिए, आजकल तो नेता सिर्फ चुनाव के वक्त दिखते हैं। लेकिन शेखावत जी? वो तो हमेशा जनता के बीच रहते थे। समस्याएं सुनना और फौरन एक्शन लेना – ये उनकी आदत थी। शायद यही वजह थी कि लोग उन्हें अपना समझते थे।
2. सादगी की मिसाल: अब ये बात तो बिल्कुल साफ थी। राजनीति में रहकर भी वो एकदम साधारण जीवन जीते थे। भ्रष्टाचार से कोसों दूर। क्या आज के दौर में ऐसा संभव है? शायद नहीं।
3. किसानों का असली हीरो: यहां तो उनका जलवा देखते ही बनता था। कृषि सुधारों को लेकर उनका जुनून ही उन्हें ग्रामीण राजस्थान का सुपरस्टार बना देता था। सच कहूं तो, उनके लिए किसान सिर्फ वोट बैंक नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य थे।
4. बात करने का अंदाज: अब ये तो बिल्कुल अलग लेवल की बात है। विपक्षियों से भी इतने अदब से बात करते थे कि सुनने वाला हैरान रह जाता। आज तो… खैर, छोड़िए।
5. ‘बाबोसा’ मैजिक: ये नाम ही काफी था। इसमें छिपा था प्यार, सम्मान और एक अजीब सा भावनात्मक जुड़ाव। शायद यही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी।
लोग क्या कहते हैं?
वसुंधरा राजे ने एक बार कहा था – “शेखावत जी ने राजनीति को नया अर्थ दिया।” गहलोत जी भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाते। पर सबसे दिलचस्प है सीकर के रामस्वरूप शर्मा जी की बात: “वो हमारे लिए भगवान से कम नहीं थे।” सुनकर दिल गर्व से भर आता है न?
आगे का सफर
आज BJP उनकी विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। पर सवाल ये है कि क्या कोई दूसरा ‘बाबोसा’ बन पाएगा? राजस्थान में तो लोग आज भी उनके नाम पर योजनाएं चाहते हैं। सच तो ये है कि उनका जनता से जुड़ाव आज भी एक सबक है।
आखिर में: भैरों सिंह शेखावत सिर्फ एक नेता नहीं, एक फिलॉसफी थे। उनकी सीख – सादगी, ईमानदारी और जनता से सीधा रिश्ता – आज भी उतनी ही जरूरी है। ‘बाबोसा’ का ये किस्सा तो हमेशा याद रखा जाएगा। है न?
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com