रिपोर्ट: ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ में हाउस और सीनेट की जंग – अब क्या होगा?
अमेरिकी सीनेट ने तो बस एक नाटकीय वोटिंग कर दी है – 51-49! बस दो वोटों का फर्क, और ट्रम्प का यह ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ आगे बढ़ गया। पर असल मुश्किल तो अब शुरू होती है। क्यों? क्योंकि हाउस और सीनेट के बिल में जमीन-आसमान का फर्क निकल आया है। और ये मतभेद कोई छोटे-मोटे नहीं, बल्कि ऐसे मुद्दे हैं जो इस बिल का पूरा नक्शा ही बदल सकते हैं। सच कहूँ तो, यह बिल अभी किसी भी दिशा में जा सकता है।
ट्रम्प का सपना या सियासी चाल?
देखिए, यह बिल ट्रम्प के उस दावे का असली टेस्ट केस है जहाँ वो कहते थे कि “अमेरिका फिर से महान बनेगा”। इसमें infrastructure, defense और social welfare पर बड़े-बड़े खर्च का प्रस्ताव है। हाउस वाले वर्जन में तो defense और tax cuts को ही सब कुछ मान लिया गया था। लेकिन सीनेट वालों ने इसमें education और healthcare जैसे मुद्दों को भी घुसा दिया है। और यही तो बवाल की जड़ है!
कहाँ है मुख्य झगड़ा?
एक तरफ हाउस का बिल जहाँ oil और gas industry को सब्सिडी देने की बात करता है, वहीं सीनेट वाले renewable energy में पैसा लगाना चाहते हैं। यानी दोनों के priorities में उलट-फेर। और तो और, tax policies से लेकर government spending तक – हर मुद्दे पर दोनों की सोच अलग-अलग है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिरकार किसकी सुनेगी सरकार?
राजनीति का खेल या असली मुद्दा?
Republicans तो सीनेट के बिल को “अर्थव्यवस्था के लिए जहर” बता रहे हैं। वहीं Democrats का भी पूरा समर्थन नहीं मिल रहा – वो कह रहे हैं कि “यह तो बस शुरुआत है, और सुधार चाहिए”। जनता और experts की राय भी बँटी हुई है। कुछ लोग इसे economy के लिए game-changer मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि यह तो बस 2024 elections से पहले की एक सियासी चाल है।
अब आगे क्या?
अब एक Conference Committee बनेगी जो दोनों versions को मिलाने की कोशिश करेगी। अगर ये लोग समझौता कर लेते हैं, तो बिल फिर से voting के लिए जाएगा। नहीं तो? तो यह बिल या तो लंबे समय तक pending रहेगा, या फिर पूरी तरह reject हो जाएगा। और यहाँ सिर्फ अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया की नज़र इस पर टिकी है। क्योंकि इसका असर global markets पर भी पड़ेगा।
सच तो यह है कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह बिल वाकई में उतना “बिग” और “ब्यूटीफुल” होगा जितना इसका नाम सुनकर लगता है। पर एक बात तय है – यह नाटक अभी और चलेगा!
यह भी पढ़ें:
‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ – हाउस और सीनेट के बीच झगड़े की असली कहानी और समाधान
1. ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ वाली पहेली – क्या है ये और क्यों है दोनों में फर्क?
देखिए, ये ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ नाम तो बड़ा शानदार है, लेकिन असलियत? एक proposed legislation है जो infrastructure, healthcare और education जैसे sectors को boost करने का दावा करती है। अब सवाल ये कि हाउस और सीनेट वाले क्यों लड़ रहे हैं? सच तो ये है कि funding के बंटवारे से लेकर policies तक – हर चीज़ पर इनका नज़रिया अलग है। और हां, compromise तो बनना ही पड़ेगा, वरना…?
2. हाउस vs सीनेट – ये लड़ाई असल में किस बात की है?
असल में बात सिर्फ budget allocation की नहीं है। एक तरफ तो हाउस वाले जनता के direct votes से आते हैं – यानी public pressure ज्यादा। वहीं सीनेट वालों को state-level interests संभालने होते हैं। ईमानदारी से कहूं तो, ये दोनों अपनी-अपनी रोटियां सेक रहे हैं। राजनीति, है न?
3. क्या ये बिल timepass करवाएगा? यानी delay तो नहीं होगी?
अरे भई, major differences हैं तो conference committee बनेगी ही न! समझिए न, जब दो बच्चे झगड़ें तो माँ-बाप को बीच में आना पड़ता है। वैसे ही यहाँ। Compromise version बनाने में time तो लगेगा ही – शायद हफ्ते, शायद महीने। पर सच कहूँ? कभी-कभी delay अच्छी भी होती है।
4. नहीं हुआ समझौता तो? गया काम से?
हाहा! ऐसा तो नहीं होगा (शायद)। असल में दो ही रास्ते हैं – या तो बिल fail हो जाएगा (और फिर revise करके नए अंदाज़ में वापस आएगा), या फिर political pressure के आगे leaders झुक जाएंगे। देखा जाए तो public demand भी बड़ी चीज़ है। मतलब? जनता चाहेगी तो सब compromise कर लेंगे। वैसे भी, politics में nothing is final। सच ना?
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com