बिहार अध्यक्ष का बयान: ‘इंडिया’ गठबंधन एकजुट है, पर सवाल यह है कि कब तक?
बिहार की राजनीति में तो हमेशा से ही नए-नए मोड़ आते रहते हैं, है न? अब देखिए, कांग्रेस के बिहार प्रमुख राजेश कुमार ने आज एक बयान देकर साफ कर दिया कि ‘इंडिया’ गठबंधन में सब ठीक-ठाक है। मतलब सीट बंटवारे को लेकर कोई झगड़ा नहीं, नेतृत्व को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं। लेकिन सच कहूं तो ये बयान आया है एक बड़ी मीटिंग से ठीक पहले – जिसमें राहुल गांधी और शरद पवार जैसे भारी-भरकम नेता बिहार की चुनावी रणनीति पर बात करने वाले हैं। अब आप ही बताइए, इतने बड़े नेताओं की मीटिंग से पहले ऐसा बयान आना क्या सचमुच सबकुछ ठीक होने का संकेत है?
गठबंधन की कहानी: एकता का दिखावा या असली मजबूती?
‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर तो बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। 2024 की लड़ाई के लिए ये विपक्षी दलों का सबसे बड़ा गठजोड़ बताया जा रहा है। बिहार में तो कांग्रेस, RJD और कुछ छोटे दल मिलकर ये खेल खेल रहे हैं। पर असलियत क्या है? पिछले कुछ महीनों से सीट बंटवारे को लेकर तो खूब चर्चाएं हो रही थीं – किसे कितनी सीटें मिलेंगी, कौन कहां से लड़ेगा। और नेतृत्व को लेकर तो अफवाहों का बाजार गर्म था। ऐसे में राजेश कुमार का ये बयान एक तरह से ‘ऑल इज वेल’ का सिग्नल तो देता है, पर क्या ये गठबंधन वाकई में इतना मजबूत है?
बैठक से पहले ये बयान क्यों?
अब यहां दिलचस्प बात ये है कि राजेश कुमार ने साफ-साफ कह दिया कि सभी दल एकमत हैं। मतलब चुनावी रणनीति पर सहमति बनाने की प्रक्रिया चल ही रही है। पर सच पूछो तो ये बयान थोड़ा अजीब लगता है। आखिर बैठक से पहले ही ऐसा क्यों कहा जा रहा है? क्या ये दिखाने की कोशिश है कि सबकुछ अंडर कंट्रोल है? वैसे बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में राहुल, शरद पवार और तेजस्वी यादव जैसे नेता बिहार के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय करेंगे। और हां, CM पद का चेहरा चुनाव के बाद तय होगा – यानी अभी से कुर्सी की लड़ाई शुरू नहीं हुई है। कम से कम ऑफिशियली तो नहीं!
दूसरे दल क्या कह रहे हैं?
RJD वालों ने तो तुरंत ही कह दिया कि वो गठबंधन के सभी फैसलों के साथ हैं। मतलब तेजस्वी यादव की पार्टी ने अपनी तरफ से साफ कर दिया है। लेकिन भाजपा वालों ने तो इस पूरे मामले को ही ‘विपक्ष की फजीहत’ बता दिया है। उनका कहना है कि ये गठबंधन सिर्फ दिखावा है और नेतृत्व को लेकर भ्रम अभी भी कायम है। अब देखना ये है कि राजनीतिक एक्सपर्ट्स की ये भविष्यवाणी सही साबित होती है या नहीं कि अगर ये गठबंधन सच में एकजुट रहा तो बिहार में भाजपा को मुश्किल हो सकती है।
अब आगे क्या?
अगले कुछ दिनों में तो ये गठबंधन अपनी चुनावी रणनीति पर फाइनल टच दे देगा। सीट बंटवारा हो जाएगा और फिर संयुक्त रैलियों का दौर शुरू होगा। पर असली सवाल ये है कि क्या ये गठबंधन वाकई में टिकाऊ साबित होगा? क्योंकि बिहार की राजनीति में तो अक्सर ऐसा होता है कि आज का दोस्त कल का दुश्मन बन जाता है। फिलहाल तो राजेश कुमार के बयान से एकता का संकेत मिलता है, लेकिन आने वाले दिनों में होने वाली मीटिंग्स ही असली तस्वीर साफ करेंगी। एक बात तो तय है – बिहार की सियासत अब और दिलचस्प होने वाली है!
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बिहार अध्यक्ष के बयान पर वो सवाल जो आप भी पूछना चाहते हैं
बैठक से पहले बिहार अध्यक्ष ने क्या कहा था? असल में क्या चल रहा है?
देखिए, बिहार अध्यक्ष ने ‘इंडिया एकजुट’ का जिक्र करके एक बड़ा बयान दे दिया। अब ये सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि पार्टी की एकता और आगे की रणनीति को लेकर क्लियर संदेश है। हालांकि, मीडिया वालों की नज़र तो उनके चेहरे के भावों पर भी है – शायद वो कुछ और ही कह रहे हैं?
‘इंडिया एकजुट’…ये है क्या बला?
सीधे शब्दों में कहें तो, ये विपक्षी दलों का गठजोड़ है। पर सच पूछो तो ये उतना ही सरल है जितना कि दिखता है, और उतना ही पेचीदा भी! एक तरफ तो ये साथ काम करने की कोशिश है, लेकिन दूसरी तरफ ये आने वाले चुनावों की तैयारी का भी संकेत देता है। समझ गए न?
क्या राहुल-शरद पवार की बैठक में कुछ खास हुआ?
अभी तक तो ऑफिशियल तौर पर कुछ भी नहीं बताया गया। पर यार, इतना बड़ा मीटिंग सिर्फ चाय पीने के लिए थोड़े ही होता है! ये बैठक तो ऐसी है जैसे किसी बड़े गेम से पहले की वार रूम स्ट्रैटेजी। आने वाले दिनों में कुछ बड़ा होने वाला है, ये तो तय है।
इस बयान से राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
सुनिए, बिहार की राजनीति तो हमेशा से ही दिलचस्प रही है। ये बयान ऐसा है जैसे चेस बोर्ड पर नया चाल। एक तरफ तो ये विपक्षी एकता का संदेश देता है, लेकिन दूसरी तरफ ये सवाल भी खड़ा करता है – क्या सच में सब एक साथ हो पाएंगे? बिहार से लेकर दिल्ली तक, हर कोई इसका जवाब ढूंढ रहा है।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com