बिहार का खतरनाक गैंगस्टर डब्लू यादव अब इतिहास! STF ने यूपी में ढहाया 50 हजार के इनामी को
क्या आपको याद है वो पुरानी बॉलीवुड फिल्में जहां पुलिस अंत में बड़े खलनायक को ढेर कर देती थी? असल में, यूपी STF ने आज कुछ ऐसा ही कर दिखाया। बिहार का नामी गैंगस्टर डब्लू यादव – जिस पर 50 हजार का इनाम था – अब यूपी के एक गुप्त ठिकाने पर पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो चुका है। और हां, ये कोई साधारण अपराधी नहीं था। 24 से ज़्यादा केस… हत्या, डकैती, रंगदारी – नाम लो तो वारदात मौजूद!
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। यादव का असली अड्डा था बिहार का बेगूसराय। साहेबपुर कमाल इलाके में तो लोग उसके नाम से काँपते थे। सुनकर हैरानी होगी कि सिर्फ इसी थाने में उसके खिलाफ 22 केस दर्ज थे! बलिया और मुंगेर में भी उसकी ‘पहुँच’ थी। सालों से चल रहा था ये सिलसिला – बिहार से यूपी, यूपी से बिहार… पुलिस को चकमा देता फिरता था ये गैंग लीडर।
पर इस बार STF को सटीक खबर मिल गई। सूत्रों के मुताबिक, यादव यूपी के किसी गाँव में छिपा था। जब पुलिस ने घेरा, तो इस बदमाश ने आत्मसमर्पण करने की बजाय… गोलियाँ चला दीं! नतीजा? एक तरफ तो STF के जवान सुरक्षित, दूसरी तरफ यादव का अंत। और मिले क्या? अवैध हथियार – जो इसके अपराधी करियर का सबूत थे।
अब स्थानीय लोगों की बात करें तो… राहत की सांस! एक ग्रामीण ने बताया, “सालों से इसके आतंक में जी रहे थे। अब जाकर चैन मिला।” बिहार पुलिस भी खुश – उनका कहना है कि ये अपराधियों के लिए स्पष्ट संदेश है। हालांकि, राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ मिश्रित रहीं। कुछ नेताओं ने तारीफ़ की, तो कुछ ने जाँच की माँग उठा दी। सच कहूँ तो, ये तो होना ही था!
पर सवाल ये है कि अब आगे क्या? यादव तो चला गया, लेकिन उसका गैंग अभी मौजूद है। खबरों के मुताबिक, पुलिस अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है। एक अच्छी बात ये हुई कि बिहार-यूपी पुलिस का सहयोग बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। सीमा पर निगरानी भी तेज़ होगी। परिवार और सहयोगियों पर भी नज़र रखी जा रही है – कहीं बदले की आग न भड़क जाए!
अंत में बस इतना कि डब्लू यादव का अंत तो हो गया, पर ये सिर्फ एक लड़ाई का अंत है। पूरी जंग तो अभी बाकी है। पर एक बात तो तय है – जब दो राज्यों की पुलिस मिलकर काम करे, तो अपराधियों के लिए छिपने की जगह कम ही होती है। क्या पता, ये केस दूसरे गैंग्स के लिए भी सबक बन जाए!
डब्लू यादव का एनकाउंटर… हालांकि कुछ लोग इसे ‘एनकाउंटर’ कहेंगे, कुछ ‘मुठभेड़’। लेकिन सच तो यह है कि UP STF के लिए यह बड़ी जीत है। सोचिए, जब ऐसे खतरनाक अपराधी का पर्दाफाश होता है, तो दूसरे गैंगस्टर्स के दिल में क्या चलता होगा? एक तरह से यह साफ संदेश है – भागो मत, क्योंकि कानून तुम्हें ढूंढ ही लेगा।
बिहार का यह नामी गिरामी अपराधी अब इतिहास बन चुका है। और सच कहूं तो, यह सिर्फ एक अपराधी का अंत नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए राहत की खबर है। पर सवाल यह है कि क्या सच में यह सिस्टम की जीत है?
देखा जाए तो इस पूरे केस में दो चीजें काम आईं – पुलिस की एक्टिविटी और सही समय पर मिली जानकारी। यही वो मंत्र है जो अपराध रोक सकता है। लेकिन… हमेशा एक लेकिन होता है न? अब बिहार-UP के बॉर्डर पर क्या होगा? क्या दूसरे गैंगस्टर्स डर जाएंगे या फिर और हिंसक हो उठेंगे?
एक बात तो तय है – यह केस पुलिस और STF के लिए एक बेंचमार्क जरूर बनेगा। पर असली चुनौती अब शुरू होती है।
*(थोड़ा कड़वा सच: ऐसे एनकाउंटर्स से अपराध कम होते हैं या सिर्फ हेडलाइन्स बनती हैं? सोचने वाली बात है…)*
बिहार का ‘डब्लू यादव’ एनकाउंटर – जानिए पूरी कहानी और उससे जुड़े सवाल
डब्लू यादव कौन था? और क्यों था पुलिस की नजर में?
सुनिए, डब्लू यादव कोई छोटा-मोटा गुंडा नहीं था। बिहार के उन ‘नामचीन’ अपराधियों में से एक था जिनके नाम से ही लोगों की रूह काँप जाती थी। हत्या? है। अपहरण? है। Extortion? वो तो उसका रोज का धंधा था! सरकार ने तो उसके सिर पर 50 हजार का इनाम भी रखा था – पर क्या फायदा जब वो खुद ही पुलिस के हाथ लग गया!
STF ने पकड़ा कैसे? पूरी कहानी!
असल में ये कोई एक दिन की बात नहीं थी। UP STF महीनों से intelligence inputs पर काम कर रही थी। और फिर एक दिन… बस! यूपी-बिहार बॉर्डर के पास मौका मिलते ही encounter हो गया। कहते हैं न, ‘जैसे को तैसा’ – शायद यही हुआ।
क्या अकेले था डब्लू? या कोई बड़ा गैंग?
अरे भई, ऐसे लोग अकेले कहाँ चलते हैं! जितनी रिपोर्ट्स आ रही हैं, उनके मुताबिक वो बिहार के एक बड़े criminal network का हिस्सा था। दो-तीन राज्यों में उसके गुनाहों का सिलसिला था। सच कहूँ तो, ऐसे लोग तो पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करते हैं न?
अब क्या होगा? क्या कम होगा crime?
देखिए, experts तो यही कह रहे हैं कि ये एनकाउंटर दूसरे अपराधियों के लिए एक सबक होगा। पर सच बताऊँ? जब तक पूरा गैंग नहीं टूटता, तब तक… खैर, उम्मीद तो यही है कि बिहार-यूपी में थोड़ी शांति होगी। वैसे भी, ‘एक तोता तेल से नहीं मरता’ – ये तो आप भी जानते ही होंगे!
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