बिहार चुनाव 2025: क्या तेजस्वी यादव सच में बायकॉट करेंगे? नीतीश vs तेजस्वी – पूरा ड्रामा समझिए
अरे भई, बिहार की सियासत में फिर से मसाला लग गया है! राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव ने ऐसा बयान दे मारा है कि पूरे राज्य की राजनीति गरमा गई। उन्होंने संकेत दिया है कि विपक्ष 2025 के चुनाव को बायकॉट भी कर सकता है। सच कहूं तो ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब नीतीश कुमार और तेजस्वी के बीच की टेंशन आसमान छू रही है। अब सवाल ये है कि क्या ये सच में बहिष्कार होगा, या फिर ये सिर्फ नीतीश सरकार पर दबाव बनाने की चाल है? समझिए पूरा मामला…
नीतीश-तेजस्वी की जंग: एक कहानी बदले हुए गठजोड़ की
देखिए, बिहार की राजनीति में ये दोनों नेता कब से एक-दूसरे के गले पड़े हैं – ये तो सब जानते हैं। 2020 में तो ये दोनों महागठबंधन में साथ-साथ थे, लेकिन 2022 में नीतीश कुमार ने अचानक U-टर्न लेकर NDA में घुस गए। उसी दिन से तेजस्वी का गुस्सा शुरू। भ्रष्टाचार के आरोप, जनविरोधी नीतियों पर हमले – सब चल रहा है। पर असली मसला ये है कि अब विपक्ष के भीतर ही एकता नहीं दिख रही। और यही इस पूरे ड्रामे को और भी spicy बना रहा है!
“बहिष्कार पर विचार हो सकता है”: तेजस्वी का बम बयान
पिछले हफ्ते तेजस्वी ने एक press conference में क्या कहा? सीधे शब्दों में – “हम चुनाव बहिष्कार पर विचार कर सकते हैं, लेकिन पहले सभी विपक्षी दलों से बात होगी।” यानी साफ-साफ धमकी! पर सच पूछो तो राजद के भीतर ही इस पर मतभेद हैं। कुछ कह रहे हैं – “हां भई, बहिष्कार करो!” तो कुछ का कहना है कि ये तो political suicide होगा। अब देखना ये है कि तेजस्वी अपनी इस रणनीति पर अड़ेंगे या फिर पीछे हटेंगे।
राजनीतिक गलियारों में क्या चल रहा है?
इस बयान पर तो सबके अपने-अपने reactions आ रहे हैं। जदयू वाले तो मजा ले रहे हैं – “अरे, डर गए न चुनाव से!” भाजपा वालों का तो कहना है कि “राजद को हार का डर सता रहा है।” कांग्रेस? वो तो हमेशा की तरह diplomatic response दे रही है – “अभी तो कोई official discussion ही नहीं हुई।” मतलब साफ है – विपक्ष अभी तक एकमत नहीं है। और यही इस पूरे खेल का सबसे दिलचस्प पहलू है!
अब आगे क्या? 3 संभावित सिनारियो
तो अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या होगा? मेरे हिसाब से तीन possibilities हैं:
1. विपक्ष एक होकर सच में बहिष्कार कर दे (पर chances कम ही लगते हैं)
2. चुनाव लड़ें, लेकिन NDA के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाएं
3. सब अपनी-अपनी राह चलें – जैसा अक्सर होता आया है
एक बात तो तय है – अगर विपक्ष चुनाव नहीं लड़ेगा, तो NDA के लिए जीतना मामूली बात होगी। लेकिन क्या ये लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत होगा? शायद नहीं।
आखिरी बात: बिहार की सियासत अगले कुछ महीनों में और भी रोमांचक होने वाली है। तेजस्वी का ये move राजनीति का chess game है – अब देखना ये है कि ये चाल काम करती है या उल्टा पड़ जाती है। आपकी राय क्या है? कमेंट में जरूर बताइएगा!
बिहार चुनाव 2025 की बात करें तो अभी से ही राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। और इसमें तेजस्वी यादव का बायकॉट तो जैसे पूरे खेल को ही पलट देने वाला मोड़ लग रहा है। सच कहूँ तो, नीतीश कुमार के साथ उनकी यह टकराव की स्थिति और RJD की अभी तक साफ़ नज़र न आने वाली रणनीति… ये सब मिलाकर स्थिति को और भी दिलचस्प बना रहे हैं। अब देखना यह है कि ये सियासी चालें आखिरकार बिहार को किस ओर ले जाएंगी। क्योंकि जैसा कि हम सभी जानते हैं, बिहार की राजनीति में कुछ भी तय नहीं होता – एक पल में सब कुछ बदल सकता है!
वैसे अगर ईमानदारी से कहूँ तो, ये सारे घटनाक्रम उतने हैरान करने वाले भी नहीं हैं। आखिरकार, बिहार की राजनीति तो अपने अप्रत्याशित मोड़ों के लिए ही मशहूर है न? लेकिन इस बार का खेल वाकई कुछ ज़्यादा ही रोमांचक लग रहा है। क्या आपको नहीं लगता?
बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी vs नीतीश – जानिए क्या होगा अगला मूव?
1. क्या सच में तेजस्वी यादव 2025 का चुनाव बायकॉट कर देंगे?
सच कहूं तो अभी तक कुछ पक्का नहीं है। Official confirmation तो दूर की बात है, लेकिन RJD और JDU के बीच जो तनातनी चल रही है, उसे देखकर लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है। तेजस्वी ने तो नीतीश सरकार को लेकर इतने सवाल उछाले हैं कि अब ये अटकलें भी जायज लगने लगी हैं। पर सवाल ये है – क्या वाकई ऐसा हो पाएगा?
2. असली झगड़ा किस बात पर है? पावर शेयरिंग या कुछ और?
देखिए, मामला सिर्फ पावर शेयरिंग तक सीमित नहीं है। एक तरफ तो करप्शन के आरोप-प्रत्यारोप हैं, तो दूसरी तरफ बिहार के विकास को लेकर अलग-अलग नजरिए। और हां, कास्ट इक्वेशन्स और पार्टी के अंदर कौन बॉस है – ये सवाल भी तो है ही! बात-बात पर टकराव हो रहा है।
3. मान लो तेजस्वी ने बायकॉट कर दिया, तो RJD का गेम क्या होगा?
अरे भई, RJD को लेकर इतना निराश क्यों हो रहे हो? उनके पास अभी भी यूथ और मुस्लिम-यादव वोट बैंक तो है ही। अगर तेजस्वी नहीं तो कोई और चेहरा आगे आ जाएगा – शायद तेजस्वी की मां राबड़ी देवी या फिर कोई और। या फिर बिना गठबंधन के ही मैदान में उतर जाएंगे। चालाकी तो यही है न?
4. क्या BJP इस झगड़े का फायदा उठा पाएगी?
सुनिए, JDU-RJD की इस लड़ाई से BJP को फायदा मिल सकता है – खासकर अगर महागठबंधन टूटता है तो। पर एक बात समझ लीजिए – BJP को सिर्फ इसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्हें अपनी स्ट्रैटेजी पर काम करना होगा और लोकल इश्यूज पर फोकस करना होगा। वरना… आप समझ गए न?
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