बिहार SIR विवाद: चुनाव आयोग के 3 सवालों ने क्यों मचाया इतना हंगामा?
बिहार में इन दिनों SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) का मामला गर्मा गया है। सच कहूं तो, मतदाता सूची का यह ड्राफ्ट राजनीति की गर्म हवाओं को और तेज कर रहा है। RJD के तेजस्वी यादव से लेकर कांग्रेस के राहुल गांधी तक – सभी इस पर आग बबूला हैं। उनका दावा? लाखों मतदाताओं के नाम ‘सिस्टमैटिकली’ हटाए जा रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने बिना नाम लिए तीन ऐसे सवाल दागे हैं जिन्होंने पूरे मामले को और पेचीदा बना दिया है।
असली मसला क्या है? समझते हैं…
SIR प्रक्रिया तो असल में एक अच्छी पहल है – मतदाता सूचियों की सफाई के लिए। पर बिहार में यह क्यों विवादों में घिर गई? देखिए, विपक्ष को लग रहा है कि यह सिर्फ डुप्लीकेट नाम हटाने की बात नहीं, बल्कि खास समुदायों को टारगेट करने का तरीका है। वहीं आयोग का कहना है – “भई, अभी तो ड्राफ्ट है! ऑब्जेक्शन दर्ज कराने का पूरा मौका मिलेगा।” तो फिर इतना बवाल क्यों? शायद इसलिए कि 2024 के चुनावों की छाया पहले से ही लंबी हो रही है।
आयोग के वो 3 सवाल जिन्होंने तापमान बढ़ा दिया
चुनाव आयोग ने जो तीन सवाल पूछे, वो सीधे-सीधे विपक्ष को चुनौती देने वाले थे। पहला तो बिल्कुल सही – “ड्राफ्ट अभी जारी हुआ है, अफवाहों का तूफान क्यों?” दूसरा सवाल तो और भी तीखा – “क्या यह जान-बूझकर मतदाताओं को कन्फ्यूज करने की साजिश है?” लेकिन तीसरा सवाल… वाह! सीधा पंच – “क्या विपक्ष ने आधिकारिक प्रक्रिया का इंतजार क्यों नहीं किया?”
और फिर क्या था? विपक्ष तो जैसे आग बबूला हो गया। तेजस्वी यादव ने तो सीधे ‘लोकतंत्र पर हमला’ का नारा दे डाला। राहुल गांधी? उन्होंने तो ट्विटर पर NDA को ‘डरपोक’ तक कह डाला। सच कहूं तो, यह सब 2024 की जंग का पहला स्कर्मिश लगता है।
राजनीति के गलियारों में क्या चल रहा है?
BJP-JDU की तरफ से जवाब? “ये सब बेबुनियाद आरोप हैं।” नीतीश कुमार ने तो संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाने का आरोप लगा दिया। पर CSDS के प्रो. संजय कुमार की बात भी गौर करने लायक है – “SIR प्रक्रिया तो ठीक है, पर विपक्ष की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।” एक तरफ तो पारदर्शिता का दावा, दूसरी तरफ शक के बादल। समझना मुश्किल है न?
अब आगे क्या? कुछ अंदाजा लगाइए!
अगले 15 दिनों में आयोग जनता से आपत्तियां मांगेगा। फिर फाइनल लिस्ट आएगी। पर राजनीतिक जानकारों की मानें तो… अगर विपक्ष के दावे सही निकले, तो बिहार में सामुदायिक तनाव बढ़ सकता है। और 2024 से पहले ‘लोकतंत्र बनाम सरकार’ की यह बहस तो और गर्म होगी ही।
अभी तो यह मामला पूरी तरह खुला हुआ है। आने वाले दिनों में और ट्विस्ट आ सकते हैं। एक बात तो तय है – चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर यह सवाल लंबे समय तक चर्चा में रहने वाला है। क्या आपको नहीं लगता?
बिहार SIR विवाद – जानिए क्या है पूरा माजरा और क्यों है ये इतना चर्चा में?
1. बिहार SIR विवाद: असल मुद्दा क्या है और क्यों हर कोई इसकी बात कर रहा है?
देखिए, मामला कुछ ऐसा है – Election Commission ने बिहार सरकार के SIR पोर्टल को लेकर तीन सीधे-सीधे सवाल दाग दिए। और ये कोई मामूली सवाल नहीं थे भाई! बात चल रही है students के personal data की सुरक्षा की, जिसने social media पर आग लगा दी। सोचिए, अगर आपका या मेरा डेटा unsafe हाथों में पहुंच जाए? डरावना लगता है ना?
2. चुनाव आयोग के वो तीन सवाल जिन्होंने बिहार सरकार की नींद उड़ा दी
अब जरा इन सवालों को देखिए:
– क्या SIR पोर्टल को vote bank बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है? (और हम सब जानते हैं कि ऐसा होता है…)
– क्या students का डेटा गलत हाथों में जा सकता है?
– क्या ये पूरा सिस्टम election rules को तोड़ रहा है?
सच कहूं तो, ये सवाल इतने सीधे थे कि सरकार के पसीने छूट गए। और अब तो पूरा बिहार इसी की चर्चा कर रहा है।
3. अब सवाल यह है कि इसका राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
मेरा मानना है कि opposition parties इस मौके को हाथ से जाने नहीं देंगी। Election से पहले ऐसा विवाद? भई, ये तो उनके लिए वरदान से कम नहीं! अगर सरकार इन सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई, तो ये उनके लिए बड़ा image crisis बन सकता है। हालांकि, अभी तो कुछ कहा नहीं जा सकता।
4. हम सबके लिए इस विवाद से क्या सीख निकालनी चाहिए?
एक तो ये कि भूलकर भी अपना personal data किसी को बिना सोचे-समझे न दें। मतलब, आजकल तो हर कोई फॉर्म भरवा रहा है – scholarship हो, admission हो या फिर कोई scheme। दूसरी बात? सरकारी योजनाओं के पीछे की राजनीति को समझना बेहद जरूरी है। वैसे भी, digital India में हमें और सतर्क रहने की जरूरत है। सही कहा ना?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com