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“SC में बिहार वोटर लिस्ट मामला गरमाया, भोपाल के सर्पीला ओवरब्रिज पर भी सवाल!”

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SC में बिहार वोटर लिस्ट का मामला गरमा गया, और भोपाल का सर्पीला ओवरब्रिज भी चर्चा में!

देखा जाए तो आज दो मामलों ने देश की राजनीति को हिला दिया है। एक तरफ तो सुप्रीम कोर्ट में बिहार की वोटर लिस्ट को लेकर बवाल मचा हुआ है, तो दूसरी तरफ भोपाल का नया ‘सर्पीला ओवरब्रिज’ लोगों की नींद उड़ा रहा है। सच कहूं तो, मुख्य चुनाव आयुक्त ने वोटर लिस्ट अपडेट करने की बात कही है, लेकिन क्या यह इतना आसान होगा? शायद नहीं।

पूरा माजरा क्या है?

बिहार की वोटर लिस्ट तो पिछले कई महीनों से राजनीति का गर्मागर्म मुद्दा बनी हुई है। विपक्ष वालों का कहना है कि लिस्ट में जमकर खेल हुआ है – फर्जी नाम, गायब नाम, सब कुछ! हालांकि चुनाव आयोग ने पुनरीक्षण शुरू कर दिया है, पर सवाल तो अभी भी खड़े हैं। और भोपाल वाला मामला? अरे भई, वहां तो एक नहीं दो-दो ओवरब्रिज लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। पहले वाला 90 डिग्री का खतरनाक मोड़ वाला फ्लाइओवर तो पहले ही कई हादसों का कारण बन चुका है, अब इस नए सर्पीला ओवरब्रिज ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है।

अभी तक क्या हुआ?

बिहार वाले मामले में तो SC ने चुनाव आयोग से तुरंत जवाब मांग लिया है। राजनीतिक दल वाले तो मानो जैसे एक-दूसरे पर टूट पड़े हैं। और भोपाल? वहां के लोग और इंजीनियरिंग एक्सपर्ट्स दोनों ही इस ओवरब्रिज की डिजाइन को लेकर आगबबूला हैं। अच्छी बात यह है कि प्रशासन ने अब सुरक्षा समीक्षा कराने का ऐलान कर दिया है। देखते हैं आगे क्या होता है!

किसने क्या कहा?

राजनीति वालों की बात करें तो विपक्ष वाले तो मानो आग उगल रहे हैं – “सरकार वोटर लिस्ट में हेराफेरी कर रही है!” वहीं सत्ता पक्ष वालों का कहना है, “ये सब बेबुनियाद आरोप हैं।” सच्चाई क्या है? यह तो समय ही बताएगा। भोपाल वाले मामले में स्थानीय लोगों की बात सुनिए – “यह ओवरब्रिज तो मौत का जाल है! रोज नए-नए हादसे हो रहे हैं।” इंजीनियरिंग एक्सपर्ट्स भी इसकी डिजाइन को लेकर सिर पकड़े बैठे हैं।

आगे क्या हो सकता है?

बिहार वाले केस में SC का फैसला तो अब आना ही है, और यह फैसला पूरे राज्य के चुनावी समीकरण को बदल सकता है। कुछ लोग कह रहे हैं कि चुनाव आयोग को नई गाइडलाइन जारी करनी पड़ सकती है। भोपाल वाले मामले में अगर तकनीकी समीक्षा में डिजाइन की गंभीर खामियां निकलीं, तो शायद पूरे ओवरब्रिज को ही दोबारा बनाना पड़े। ये दोनों ही मामले बेहद अहम हैं – एक लोकतंत्र की बुनियाद से जुड़ा है, तो दूसरा आम लोगों की सुरक्षा से। आने वाले दिनों में इन पर क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

एक बात तो तय है – देश में राजनीति और प्रशासन दोनों ही मोर्चों पर कुछ बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। और इन सवालों के जवाब जल्द मिलने चाहिए। सच कहूं तो!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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