बिलावल भुट्टो का बड़ा ऐलान: पाकिस्तान हाफिज सईद और मसूद अजहर को सौंपने को तैयार, पर एक शर्त है!
दोस्तों, अभी-अभी एक ऐसी खबर आई है जिसने भारत-पाकिस्तान के पुराने से पुराने दर्द को फिर से हरा दिया है। बिलावल भुट्टो-जरदारी, यानी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के युवा चेयरमैन, ने एक ऐसा बयान दे डाला है जिस पर चर्चा तो होनी ही थी। असल में बात ये है कि उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे बड़े आतंकवादी नेताओं को भारत के हवाले करने को तैयार है। लेकिन… हमेशा की तरह एक ‘लेकिन’ तो होना ही था न? शर्त ये रखी गई है कि भारत को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करनी होगी। अब ये कितना practical है, ये तो वक्त ही बताएगा। खासकर तब, जब दोनों देशों के रिश्तों में जमीन-आसमान का फर्क है।
पहले समझ लें: ये हाफिज सईद और मसूद अजहर आखिर हैं कौन?
अरे भाई, इनके नाम तो आपने सुने ही होंगे। हाफिज सईद, जो JuD (जमात-उद-दावा) का बॉस है, उस पर तो 2008 के मुंबई हमले समेत कितने ही आतंकी हमलों का आरोप है। और मसूद अजहर? ये वही है न जिसने JeM (जैश-ए-मोहम्मद) बनाया और 2001 के संसद हमले से लेकर 2019 के पुलवामा हमले तक में उसका नाम आया है। सच कहूं तो भारत तो बरसों से इन्हें मांग रहा है, पर पाकिस्तान की तरफ से हमेशा ‘नो’ ही सुनने को मिला है। पर अब…? शायद FATF का दबाव काम कर रहा है।
बिलावल की शर्त: कश्मीर पर बातचीत चाहिए!
तो बिलावल साहब ने क्या कहा? सीधी सी बात है – “हम आतंकियों को देने को तैयार हैं, पर बदले में कश्मीर पर बात होनी चाहिए।” ईमानदारी से कहूं तो ये कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान हमेशा से यही चाहता आया है। पर सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ PPP की कोई चाल है या सच में पाकिस्तान सरकार की ओर से कोई गंभीर पेशकश? क्योंकि देखिए न, अभी तक पाकिस्तान सरकार की तरफ से कोई official statement नहीं आया है।
क्या कह रहा है भारत और बाकी दुनिया?
भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई बड़ा बयान नहीं आया है, पर sources के मुताबिक हमारी सरकार इस शर्त पर बात करने से इनकार कर सकती है। और सही भी है न? हम तो हमेशा से कहते आए हैं कि कश्मीर हमारा अभिन्न हिस्सा है। वहीं पाकिस्तान में भी इस बयान पर बवाल मचा हुआ है – कुछ लोग इसे सपोर्ट कर रहे हैं तो कुछ इसे ‘मात्र राजनीति’ बता रहे हैं। एक तरफ तो ये सौदा अगर हो जाए तो ये game-changer साबित हो सकता है, पर दूसरी तरफ… इतना आसान भी नहीं है।
आगे क्या? कुछ predictions और possibilities
मान लीजिए पाकिस्तान सच में ये आतंकी हमें सौंप देता है – ये तो बिल्कुल नया chapter खुल जाएगा भारत-पाक रिश्तों में। पर समस्या ये है कि कश्मीर पर बातचीत की शर्त… ये तो भारत के लिए red line है। और हां, FATF का pressure भी तो है न? पाकिस्तान अभी भी grey list में है, शायद इसीलिए ये move किया गया हो।
अंत में: बिलावल का ये बयान कितना सच्चा है और कितना दिखावा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। पर एक बात तो तय है – अगर ये सौदा हो जाता है, तो ये दक्षिण एशिया के पूरे political scenario को बदल कर रख देगा। अब देखना ये है कि भारत इस पर क्या reaction देता है। क्योंकि दोस्तों, यहां पर हर move का counter-move होता है। बस इंतज़ार कीजिए… और कमेंट में बताइए आपका क्या ख्याल है?
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बिलावल भुट्टो का बड़ा ऐलान: हाफिज सईद और मसूद अजहर को सौंपने की शर्त… पर क्या बोला भारत?
1. बिलावल भुट्टो ने आखिर क्या शर्त रखी है?
देखिए, बात यह है कि बिलावल साहब ने तो यह कह दिया कि “हम सौंपने को तैयार हैं” लेकिन साथ ही एक शर्त भी जोड़ दी। और वो शर्त? भारत को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए राजी होना पड़ेगा। साथ ही human rights violations रोकने की भी बात कही गई है। अब सवाल यह है कि क्या यह सच में एक गंभीर प्रस्ताव है या फिर सिर्फ दिखावा?
2. क्या भारत इस deal पर हामी भरेगा?
ईमानदारी से कहूं तो… मुश्किल लगता है। अभी तक तो केंद्र सरकार की तरफ से कोई official बयान नहीं आया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि भारत शायद ही कभी कश्मीर को bargaining chip की तरह इस्तेमाल होने दे। खासकर पाकिस्तान के साथ तो बिल्कुल नहीं। एक तरफ तो यह प्रस्ताव है, लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड भी तो देखना होगा ना?
3. हाफिज सईद और मसूद अजहर पर आखिर क्या-क्या आरोप हैं?
अरे भई, ये तो बड़े भारी-भरकम नाम हैं आतंकवाद की दुनिया में! हाफिज सईद वही है जिस पर 26/11 के Mumbai attacks का mastermind होने का आरोप है – वो हमला जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। और मसूद अजहर? इस पर तो 2001 Parliament attack से लेकर 2019 Pulwama attack तक के आरोप हैं। सच कहूं तो ये दोनों ही UN की global terrorists की लिस्ट में शामिल हैं। कोई छोटे-मोटे अपराधी तो हैं नहीं!
4. क्या यह पाकिस्तान की असली policy change है या सिर्फ दिखावा?
देखा जाए तो… यह सवाल सबसे ज्यादा अहम है। कुछ analysts तो इसे पाकिस्तान की image सुधारने की कोशिश बता रहे हैं। लेकिन मेरा निजी अनुभव कहता है – जरा इतिहास तो देखो! पाकिस्तान पहले भी ऐसे कितने वादे कर चुका है जिन पर कोई action नहीं हुआ। क्या यह सच में कोई बदलाव है या फिर सिर्फ international pressure के आगे एक diplomatic चाल? आप ही बताइए!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com