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बिल माहर ने मानी ट्रम्प के टैरिफ पर गलती – “देश में मंदी नहीं, लोग खुशहाल!”

बिल माहर का U-turn: क्या सच में ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी थी सही? “अर्थव्यवस्था तो मजबूत दिख रही है!”

अरे भाई, राजनीति की दुनिया में तो रोज कुछ न कुछ नया होता रहता है। लेकिन बिल माहर ने जो हाल ही में कहा, वह सुनकर मेरे जैसे कई लोगों की आँखें फटी की फटी रह गईं। सोमवार को अपने पॉडकास्ट “Club Random” में उन्होंने माना कि ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी को लेकर वह गलत थे! सुनकर हैरानी हुई न? माहर ने कहा, “ये मानने में कोई शर्म नहीं कि मैंने ट्रम्प के टैरिफ फैसले को गलत समझा था। देखो न आज हालात – अमेरिकी इकोनॉमी मजबूत है, नौकरियां बढ़ रही हैं, लोगों की जेब में पैसा आ रहा है।” अब ये वही बिल माहर हैं जो ट्रम्प के टाइम में उनकी इकोनॉमिक पॉलिसीज को लेकर सबसे ज्यादा चिल्लाते थे!

असल में बात समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। 2017-2021 के बीच ट्रम्प ने चीन समेत कई देशों के सामान पर भारी-भरकम टैरिफ लगा दिए थे। मकसद था अमेरिकी कारखानों को बचाना और घर में ही नौकरियां पैदा करना। लेकिन उस वक्त तो… हर कोई खिलाफ था! लिबरल्स से लेकर अर्थशास्त्रियों तक सभी चिल्ला रहे थे कि ये तो महंगाई बढ़ाएगा। और बिल माहर? वो तो अपने शो में इसे “इकोनॉमिक सेल्फ-हार्म” बताते नहीं थकते थे। मजेदार बात ये है कि आज वही माहर अपनी गलती मान रहे हैं। क्या कहें – समय का फेर!

अब ये U-turn सोशल मीडिया पर तूफान ला रहा है। माहर ने कहा भी बड़ी साफगोई से – “गलती हो जाए तो उसे मान लेना चाहिए। मैं यहां अपनी भूल स्वीकार कर रहा हूं।” हालांकि उन्होंने ये भी क्लियर कर दिया कि ट्रम्प की बाकी पॉलिसीज पर वो अब भी सवाल उठाएंगे। ट्विटर पर तो मजा आ रहा है – एक तरफ ट्रम्प वाले इसे अपनी जीत बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ लिबरल्स माहर पर “दोगलेपन” का इल्जाम लगा रहे हैं। सच कहूं तो… राजनीति में कुछ भी ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होता।

अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या? एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है। कुछ कहते हैं शॉर्ट टर्म में तो टैरिफ ने काम किया है, लेकिन लॉन्ग टर्म में ये ग्लोबल ट्रेड के लिए ठीक नहीं। वहीं पॉलिटिकल एनालिस्ट्स मानते हैं कि माहर के इस बयान से 2024 इलेक्शन में ट्रम्प की इकोनॉमिक पॉलिसीज पर नई बहस छिड़ सकती है। सोचने वाली बात ये है कि क्या अब डेमोक्रेट्स और मीडिया ट्रम्प के टैरिफ फैसलों को नए सिरे से देखेंगे? और अगर ट्रम्प फिर से आ गए तो… क्या वो इस रास्ते पर और आगे जाएंगे? जवाब तो वक्त ही देगा।

एक बात तो तय है – बिल माहर के इस कबूलनामे ने साबित कर दिया कि राजनीति और अर्थव्यवस्था में कोई भी नीति पूरी तरह गलत या सही नहीं होती। जैसे हमारे यहां कहते हैं – “समय सबसे बड़ा गुरु होता है।” सच ही तो है!

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बिल माहर का ट्रम्प की टैरिफ नीति पर पलटी खाना… सच कहूं तो मुझे ये मोड़ काफी दिलचस्प लगा। है ना? एक तरफ तो ये दिखाता है कि हमारी अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत है कि गलतियां मानने का स्पेस भी है – जैसे आपके पास इतना पैसा हो कि छोटी-मोटी गलतियों का मजाक भी उड़ा सको।

और सच पूछो तो, यही तो असली प्रगति का निशान है। क्योंकि जब तक हम ‘गलती’ शब्द को ही बुरा समझते रहेंगे, तब तक सीखेंगे कैसे? मैं तो यही कहूंगा कि इस पूरे प्रकरण ने हमें एक अच्छा सबक दिया है – economy को लेकर हमारा नजरिया थोड़ा पॉजिटिव होना चाहिए।

पर सच बात तो ये है कि ये सिर्फ शुरुआत है। पूरी कहानी जानने के लिए आगे पढ़ते रहिए!

बिल माहर और ट्रम्प के टैरिफ पर बहस – जानिए पूरी कहानी

बिल माहर ने ट्रम्प के टैरिफ पर क्या गलती मानी? या सच में कोई गलती थी?

देखिए, बिल माहर ने माना कि ट्रम्प की टैरिफ policies ने economy को थोड़ा झटका दिया। पर साथ ही उन्होंने ये भी कहा – और यहां मजा आता है – कि अभी तक मंदी वाले हालात नहीं हैं। लोगों की जेब पर असर नहीं हुआ, कम से कम अभी तक तो नहीं। सच कहूं तो ये एक mixed bag जैसी स्थिति है।

क्या ट्रम्प के टैरिफ ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सच में नुकसान पहुंचाया?

सीधा जवाब? हां। लेकिन पूरी कहानी इतनी सरल नहीं। बिल माहर की बात मानें तो कुछ industries को तो खासा नुकसान हुआ – manufacturing वगैरह। पर हैरानी की बात ये कि overall economy पर उतना बड़ा धमाका नहीं हुआ जितना experts ने भविष्यवाणी की थी। एक तरफ तो नुकसान, दूसरी तरफ economy अभी भी चल रही है। कैसी विडंबना है न?

बिल माहर ने “लोग खुशहाल” क्यों कहा? क्या ये पूरी तरह सच है?

असल में देखा जाए तो उनके पास कुछ सॉलिड points थे। employment rate अच्छी है – ये तो data से साफ पता चलता है। और जब नौकरियां होंगी, तो लोग खर्च करेंगे ही न? purchasing power का यही तो मतलब है। लेकिन यहां एक सवाल – क्या सभी sectors में यही हाल है? शायद नहीं। पर average American के लिए अभी तक स्थिति संतोषजनक है। कम से कम numbers तो यही कहते हैं।

क्या डेमोक्रेट्स ने इस statement पर हंगामा किया? या कुछ सच्चाई भी मानी?

राजनीति है भाई, विरोध तो होगा ही! कुछ डेमोक्रेटिक leaders तो बिल माहर के बयान पर ऐसे टूट पड़े जैसे कोई personal मामला हो। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि कई economists – जो कि आमतौर पर neutral होते हैं – उन्होंने बिल के कुछ points को सही माना है। यानी सच्चाई शायद बीच में कहीं है। है न मजेदार?

Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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