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“BJP को 5 स्टार दफ्तरों का शौक, लेकिन स्कूलों की बदहाली पर खामोश! सिसोदिया का बड़ा हमला”

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BJP को 5-star दफ्तरों का शौक है, पर स्कूलों की हालत देखकर दिल दहल जाता है!

देखिए न, दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और AAP के बड़े नेता मनीष सिसोदिया ने फिर से BJP पर जमकर तीखा हमला बोला है। और सच कहूं तो, इस बार उनकी बात में दम भी दिखता है। उनका सीधा सा सवाल है – “BJP शासित राज्यों में सरकारी स्कूलों की बदहाली पर चुप्पी क्यों? जबकि 5-star दफ्तर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते!” राजस्थान और UP में हाल में स्कूलों की छतें गिरने की घटनाओं को याद करके तो मन ही दुख जाता है। क्या सच में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा इनकी प्राथमिकता में नहीं?

पूरा माजरा क्या है?

असल में बात ये है कि पिछले कुछ हफ्तों से राजस्थान और UP के सरकारी स्कूलों से ऐसी खबरें आ रही हैं जो रोंगटे खड़े कर देती हैं। जर्जर इमारतें, गिरती छतें, और students व teachers की जान को खतरा – ये सब किसी विकसित राज्य के हालात नहीं लगते। सिसोदिया, जो खुद दिल्ली में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं, इसे लेकर खासे गुस्से में हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि जहां दिल्ली ने अपने government schools को world-class बनाया, वहीं BJP शासित राज्यों में तो बुनियादी ढांचा ही ध्वस्त हो चुका है। और सच कहूं तो, आंकड़े भी यही बताते हैं।

सिसोदिया का ट्वीट – एक तीखा सच

सोशल मीडिया पर सिसोदिया का ट्वीट तो जैसे नाखूनों से खरोंचने वाला था – “करोड़ों रुपये 5-star दफ्तरों पर उड़ा दो, पर बच्चों के सिर पर छत न हो तो कोई फर्क नहीं पड़ता?” अरे भई, ये सवाल तो हर माँ-बाप के मन में उठ रहा होगा! उन्होंने UP और राजस्थान सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग भी की। और सबसे मजेदार बात? अभी तक BJP की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। शायद जवाब देने लायक कुछ बचा ही नहीं?

राजनीति का खेल या सच्चाई?

AAP के अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सिसोदिया का पूरा साथ दिया है। पर BJP वाले तो इसे ‘राजनीतिक प्रोपेगैंडा’ बता रहे हैं। हालांकि, सच्चाई ये है कि जब शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता भी सरकार को कोस रहे हों, तो समझ लीजिए कुछ तो गड़बड़ जरूर है। एक तरफ तो दिल्ली के स्कूलों की तारीफ होती है, दूसरी ओर BJP शासित राज्यों के स्कूलों की हालत पर सवाल। क्या ये दोहरी नीति नहीं?

अब आगे क्या?

अब तो लगता है ये मुद्दा आने वाले चुनावों में जोर पकड़ेगा। अगर जल्दी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो शिक्षक और अभिभावक सड़कों पर उतर सकते हैं। और फिर… देखना ये है कि BJP सरकारें इस पर कितनी गंभीरता से काम करती हैं। वैसे भी, जब तक कोई बड़ा हादसा न हो, हमारे नेता जागते कब हैं?

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिल्ली का मॉडल अच्छा लगता है, पर क्या बाकी राज्यों को भी इससे सीख नहीं लेनी चाहिए? आने वाले दिनों में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये मुद्दा सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहता है या फिर वास्तव में कोई बदलाव आता है। वैसे, मेरा तो यही मानना है – जब तक जनता दबाव न बनाए, तब तक कुछ होने वाला नहीं!

सिसोदिया का यह बयान सीधा-सादा नहीं है, बल्कि सरकार के कामकाज पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाता है। सोचिए, एक तरफ तो स्कूलों की छतें गिर रही हैं, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है… और दूसरी तरफ सरकार 5-star दफ्तरों में लाखों रुपये खर्च कर रही है। क्या यह सचमुच हमारी प्राथमिकताओं का सही चित्रण है?

ईमानदारी से कहूं तो, यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है। असल में, यह हमारे समाज के भविष्य का सवाल है। अगर आज हम शिक्षा को नजरअंदाज करेंगे, तो कल कोई डॉक्टर, इंजीनियर या शिक्षक कहां से आएगा?

हालांकि, सिर्फ आलोचना करना काफी नहीं। सरकार को चाहिए कि वह अपनी नीतियों पर फिर से गौर करे। वैसे भी, असली विकास तो तभी होगा जब हमारे स्कूलों की हालत सुधरेगी। बाकी सब तो… बस दिखावा है। सच कहूं?

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BJP के 5-स्टार दफ्तर vs स्कूलों की बदहाली – क्या सच में हैं priorities गड़बड़?

1. सिसोदिया का BJP पर वार – कितना सच, कितना झूठ?

देखिए, सिसोदिया ने BJP को लेकर एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि सरकार luxury offices बनाने में तो crores पानी की तरह बहा रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों की हालत देखो – जर्जर buildings, टूटे शौचालय, और teachers की किल्लत। सच कहूं तो ये आरोप कुछ-कुछ सही लगते हैं। पर सवाल यह है कि क्या सच में priorities गड़बड़ हैं? या फिर दोनों चीजें साथ-साथ चल सकती हैं?

2. BJP का जवाब – या फिर कोई जवाब ही नहीं?

अब BJP की तरफ से official तौर पर तो कोई बयान नहीं आया। लेकिन social media पर कुछ नेताओं ने ट्वीट कर दिया कि “हम education और infrastructure दोनों पर काम कर रहे हैं।” पर भईया, ये तो वही बात हुई न – “सब कुछ चल रहा है”। असल में जवाब कहीं नहीं है। कम से कम अभी तक तो नहीं।

3. सरकारी स्कूलों की हकीकत – क्या आप जानते हैं?

ईमानदारी से कहूं तो हालात कुछ जगहों पर बेहद खराब हैं। Reports बताती हैं कि कई स्कूलों में basic facilities तक नहीं। पीने का पानी नहीं, शौचालय टूटे हुए, क्लासरूम की छतें लीक करतीं। हालांकि, कुछ states में सुधार भी हुआ है। गुजरात और MP में तो स्थिति बेहतर है। पर सवाल यह है कि क्या ये काफी है?

4. 5-स्टार दफ्तरों पर खर्च – कितना जायज?

अब ये तो सच है कि नए government offices पर खूब पैसा खर्च हुआ है। Media reports के मुताबिक, कुछ bhavans तो वाकई luxury hotels जैसे लगते हैं – high-tech facilities, designer furniture, वगैरह-वगैरह। Opposition तो हमेशा से इसे लेकर निशाना साधती रही है। पर सवाल यह है कि क्या ये खर्च सच में जरूरी था? या फिर ये पैसा education sector में लगना चाहिए था?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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