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** “BJP का बिहार वाला दांव! उपराष्ट्रपति चुनाव में नीतीश-लालू की मजबूरी?”

BJP का बिहार वाला दांव! क्या नीतीश-लालू फंसेंगे इस जाल में?

अरे भई, जगदीप धनखड़ का इस्तीफा तो ऐसा बम था जिसकी गूंज अभी तक दिल्ली के Power corridors में सुनाई दे रही है। सच कहूं तो, ये सिर्फ उपराष्ट्रपति पद की बात नहीं है…ये तो बिहार की सियासत को हिला देने वाला चेकमेट हो सकता है। और सबसे मजेदार बात? BJP ने अपना प्यादा पहले ही चल दिया – बिहार के Governor आरिफ मोहम्मद खान को मैदान में उतारने की तैयारी। लेकिन क्या ये सच में सिर्फ एक चुनावी चाल है या फिर नीतीश-लालू गठबंधन को तोड़ने का मास्टरप्लान? समझते हैं…

इतना हंगामा क्यों?

देखिए ना, उपराष्ट्रपति पद तो बहाना है। असली खेल तो बिहार के Chessboard पर चल रहा है। आरिफ साहब को उम्मीदवार बनाने का मतलब? एक तो BJP अपने Muslim outreach program को और मजबूत करेगी (जैसे उन्होंने द्रौपदी मुर्मू के साथ किया था)। दूसरा…और ये ज्यादा दिलचस्प है…बिहार में Governor की कुर्सी खाली होगी! अब आप ही बताइए, क्या नीतीश कुमार चाहेंगे कि कोई नया ‘सरकारी बाबू’ उन पर नजर रखे?

और हां, आरिफ मोहम्मद खान की कहानी भी कम रोचक नहीं। Congress से BJP तक का सफर…केरल से बिहार तक का सफर…ये आदमी Political colors का जिंदा example है। पर सवाल ये है कि क्या बिहार की जनता इसे सिर्फ एक Symbolic move समझेगी या फिर Nitish-Lalu की जोड़ी को चुनौती देने वाला दांव?

बिहार का गणित बिगाड़ेगी BJP?

मेरे कुछ Political sources कह रहे हैं कि BJP इस बार बिल्कुल Subtle तरीके से खेल रही है। Governor की कुर्सी खाली होने का मतलब? नई नियुक्ति…और हो सकता है Nitish Kumar पर Soft pressure बनाने का मौका। वैसे भी, 2025 के Assembly elections को देखते हुए ये सब Timing बहुत Suspicious लग रहा है। है ना?

Opposition की तरफ देखें तो…अभी तक सब चुप्पी। RJD के कुछ Young Turks जरूर BJP पर Polarization का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन असली सवाल तो ये है कि Nitish Kumar कब तक मौन धारण किए रहेंगे? उनके Close aides बता रहे हैं कि CM इस पूरे Development को लेकर ‘Alert mode’ में हैं। मतलब साफ है – गद्दी खतरे में!

अब आगे क्या?

Numbers game की बात करें तो BJP के पास Parliament में बहुमत है – ये तो Clear है। लेकिन…और ये बड़ा लेकिन है…क्या Opposition एकजुट हो पाएगा? क्योंकि अगर वोट बंटे तो आरिफ साहब का रास्ता आसान। पर मैं तो ये सोच रहा हूं कि असली मैच तो 2025 में होगा। और तब तक…बिहार की सियासत में नए-नए धमाके देखने को मिल सकते हैं।

आखिरी सवाल तो यही कि – क्या Nitish Kumar इस Political Tsunami को झेल पाएंगे? Governor से लेकर उपराष्ट्रपति तक…BJP ने जो चाल चली है, वो बिहार की राजनीति को Long term में बदल सकती है। और हां, एक बात और – अगर आरिफ साहब जीत गए तो…अगला टारगेट कौन होगा? Guess कर लीजिए!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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