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BJP-Sena में तनाव बढ़ा: मोS मिसाल और मंत्री शिरसाट में अधिकार को लेकर तकरार, फडणवीस ने संभाला मामला

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भाजपा-शिवसेना का टकराव: ‘Modi Mileage’ को लेकर झगड़ा, फडणवीस ने संभाली कमान

अरे भई, महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से माजरा गरम हो गया है! भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच मंत्रियों के अधिकारों को लेकर नई खींचतान शुरू हो गई है। असल में, पूरा मामला केंद्र सरकार की ‘Modi Mileage’ योजना और मंत्री उदयनराजे शिरसाट की भूमिका को लेकर है। हालात यहां तक बिगड़े कि देवेंद्र फडणवीस को बीच-बचाव करना पड़ा। सच कहूं तो, यह कोई नई बात नहीं – गठबंधन सरकारों में ऐसे झगड़े तो चलते ही रहते हैं।

आखिर चर्चा किस बात पर है?

देखिए, सारा झगड़ा शुरू हुआ ‘Modi Mileage’ योजना को लेकर। ये केंद्र की एक flagship scheme है जिसमें गरीबों को सस्ते दामों पर ration मिलता है। अब समस्या ये हुई कि महाराष्ट्र में इसकी जिम्मेदारी शिवसेना (शिंदे गुट) के मंत्री उदयनराजे शिरसाट को मिली। और यहीं से शुरू हुआ तूतू-मैंमैं। भाजपा वाले बोले – “अरे, केंद्र की योजना है तो हमारे मंत्रियों को ही संभालनी चाहिए न?”

लेकिन बात सिर्फ योजना तक सीमित नहीं है। प्रोटोकॉल को लेकर भी दोनों पार्टियों में खटपट चल रही है। मसलन, सरकारी कार्यक्रमों में शिवसेना के नेताओं को उनका हक नहीं मिल पा रहा। ऐसे में गठबंधन में तनाव तो स्वाभाविक है।

हालिया घटनाएं: किसने क्या कहा?

पिछले कुछ दिनों में तो मामला और भी गरमाया हुआ है। शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने साफ-साफ आरोप लगा दिए कि भाजपा सब कुछ अपने हाथ में लेना चाहती है। एक वरिष्ठ नेता (जिनका नाम तो मैं नहीं लूंगा) ने कहा – “हम साथ बैठकर सरकार चला रहे हैं, लेकिन हमारी भूमिका को लगातार कम किया जा रहा है।”

वहीं भाजपा प्रवक्ता का जवाब था – “हम तो बिल्कुल नियमों के अनुसार चल रहे हैं। पर केंद्र की योजनाओं को जमीन पर उतारने में हमारे कार्यकर्ताओं की मेहनत को नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता न?”

राजनीति के जानकारों की मानें तो यह पूरा विवाद दिखाता है कि गठबंधन सरकार में तालमेल की कितनी कमी है। मुंबई के एक senior political analyst ने मुझे बताया – “अगर जल्दी हालात नहीं संभाले गए, तो यह सरकार के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।” सच कहूं तो, बात में दम तो है।

फडणवीस ने उठाया कदम… पर क्या होगा आगे?

इस झगड़े को सुलझाने के लिए फडणवीस ने emergency meeting बुलाई है। मेरे सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर स्पष्ट नियम बनाने की कोशिश हुई है।

पर सवाल यह है कि क्या यह काफी होगा? अगर हालात नहीं सुधरे, तो मुख्यमंत्री शिंदे को खुद आगे आना पड़ सकता है। और अगर यह तनाव बना रहा, तो महाराष्ट्र सरकार की स्थिरता पर सवाल उठने लगेंगे।

अंत में बस इतना कहूंगा – महाराष्ट्र की राजनीति का यह नया अध्याय एक बार फिर दिखा रहा है कि गठबंधन सरकारें कितनी मुश्किल से चलती हैं। अब देखना यह है कि क्या दोनों पार्टियां अपने-अपने ego से ऊपर उठ पाएंगी… या फिर यह झगड़ा और बढ़ता जाएगा। क्या आपको नहीं लगता कि यह सब देखना दिलचस्प होने वाला है?

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Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com

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