बिहार चुनाव से पहले BJP का बड़ा चाल! क्या VP का ऑफर NDA के लिए गेम-चेंजर साबित होगा?
अरे भई, बिहार की राजनीति में तो मानो नया सीजन शुरू हो गया है! BJP ने अचानक ही नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति (VP) बनाने का प्रस्ताव रखकर सबको चौंका दिया। सोचिए न, ये मूव ऐसे समय पर आया है जब 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू होने वाली हैं। असल में, BJP विधायक हरिभूषण बचौल ने ये आइडिया पब्लिक में रखा, और फिर सुशील मोदी जैसे वरिष्ठ नेता भी इसे “अच्छा विचार” बताकर सपोर्ट करने लगे। लेकिन नीतीश बाबू? उन्होंने तो एकदम साफ़ शब्दों में मना कर दिया – “मैं बिहार से हूँ, बिहार में रहूँगा।” अब सवाल यह है कि BJP की ये चाल आखिर किस दिशा में जाएगी?
NDA में क्यों बढ़ रही है खटास? पूरी कहानी
देखिए, बिहार में तो BJP+JDU की सरकार चल रही है न? पर पिछले कुछ महीनों से दोनों पार्टियों के बीच कुछ ठीक नहीं लग रहा। 2020 के चुनावों के बाद गठबंधन तो बना, लेकिन मतभेद भी कम नहीं हुए। राजनीति के जानकारों का मानना है कि ये VP वाला प्रस्ताव कोई साधारण सुझाव नहीं, बल्कि एक सोची-समझी स्ट्रैटेजी हो सकती है। समझिए न, अगर नीतीश दिल्ली चले गए तो BJP को बिहार में अपनी जड़ें मजबूत करने का पूरा मौका मिल जाएगा। खासकर तब, जब 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। चालाकी भरा मूव है, है न?
Key Developments: कैसे-कैसे बदल गया सीन?
कहानी शुरू हुई BJP विधायक हरिभूषण बचौल के उस बयान से, जब उन्होंने नीतीश को VP बनाने की बात उठाई। फिर सुशील मोदी ने भी इसमें घी डालते हुए इसे “राष्ट्रहित” बताया। पर नीतीश बाबू? उन्होंने तो बिना समय गंवाए साफ़ कर दिया – “मुझे VP पद में कोई इंटरेस्ट नहीं।” अब सवाल यह उठता है कि क्या BJP वाकई NDA को मजबूत करना चाहती है, या फिर ये कोई और ही गेम है? राजनीति के इस चेस बोर्ड पर अगला मूव क्या होगा?
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स और नेता?
इस मामले पर तो हर कोई अपनी-अपनी राय दे रहा है। BJP के अंदर ही दो गुट दिख रहे हैं – एक तरफ वो जो इसे स्ट्रैटेजिक मूव मानते हैं, तो दूसरी तरफ वो जो इसे महज सुझाव कह रहे हैं। वहीं JDU वाले तो इसे खुली आँखों से दिखाई जा रही “साजिश” बता रहे हैं। राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो ये BJP की उस लॉन्ग-टर्म प्लानिंग का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वो बिहार में नीतीश के प्रभाव को कम करना चाहती है। पर क्या ये इतना आसान होगा?
अब क्या? क्या NDA का भविष्य खतरे में?
अब सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आगे क्या होगा? अगर BJP इस मुद्दे को और आगे बढ़ाती है, तो NDA में दरार तो आनी ही है। नीतीश के JDU और BJP के बीच बढ़ती खींचतान का असर बिहार सरकार की स्थिरता पर भी पड़ सकता है। 2024 के चुनावों से पहले ये मामला पूरे समीकरण को बदल सकता है। सच कहूँ तो, ये BJP की तरफ से एक रिस्की मूव है। क्या वो वाकई नीतीश को राज्य की राजनीति से बाहर करना चाहती हैं? या फिर ये सिर्फ़ प्रेशर टैक्टिक्स है? जवाब तो आने वाले दिनों में ही मिलेगा।
तो क्या है फाइनल पिक्चर? BJP का ये कदम निश्चित तौर पर बिहार की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। पर नीतीश के साफ़ इनकार के बाद अब सबकी नज़रें BJP की अगली चाल पर हैं। क्या ये VP प्लान NDA को फायदा पहुँचाएगा? या फिर ये गठबंधन में नई दरार पैदा कर देगा? वक्त ही बताएगा। एक बात तो तय है – बिहार की राजनीति में अगले कुछ महीने बड़े मजेदार होने वाले हैं!
बिहार चुनाव में BJP की यह नई चाल… देखिए न, कितनी दिलचस्प है! VP प्लान और नीतीश कुमार के साथ हाथ मिलाना – ये NDA के लिए एक बड़ा Game Changer हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सब काम करेगा? असल में, यह Strategy सिर्फ गठजोड़ नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरण को भी ध्यान में रखकर बनाई गई है। समझिए न, जैसे शतरंज में बिसात बिछाई जाती है, वैसे ही।
हालांकि, राजनीति तो राजनीति है। आज कल की बात नहीं। जनता का मूड क्या कहता है? वही तो फैसला करेगा। आने वाले दिन दिखाएंगे कि यह Political Move कितना पानी पीता है। एकदम ज़बरदस्त मोर्चा। सच कहूं तो, चुनावी मैदान में सब कुछ पलट सकता है। है न?
बिहार चुनाव और BJP की रणनीति – कुछ सवाल जो आपके दिमाग में भी आ रहे होंगे
1. BJP का ये VP प्लान आखिर है क्या? और NDA को इससे फायदा कैसे होगा?
देखिए, BJP का ये VP प्लान यानी “Vote Partnership Plan” कोई नई चीज़ तो नहीं है, लेकिन इसे लेकर काफी बातें हो रही हैं। असल में, ये एक चालाक चाल है जिसमें BJP ने बिहार के छोटे-मोटे दलों और उन नेताओं को साथ लिया है जिनकी स्थानीय पकड़ मजबूत है। अब सवाल ये है कि ये NDA को कैसे फायदा पहुंचाएगा? सीधी बात है – जाति और क्षेत्र के हिसाब से वोट बटोरने में मदद मिलेगी। पर क्या ये काम करेगा? वो तो वक्त ही बताएगा।
2. क्या VP प्लान BJP को पिछली बार से ज़्यादा सीटें दिला पाएगा?
ईमानदारी से कहूं तो… हां, मुमकिन है। पर एक शर्त के साथ – अगर ये प्लान सही तरीके से चला तो। आप समझिए न, जब छोटे दल और स्थानीय नेता अपना वोट बैंक लेकर आएंगे, तो NDA का केक बड़ा हो जाएगा। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये सब दल एक साथ काम भी कर पाएंगे या नहीं। राजनीति है भाई, कुछ भी हो सकता है!
3. बिहार में BJP के सामने सबसे बड़ी मुश्किलें क्या हैं?
लिस्ट तो लंबी है, लेकिन मुख्य तीन चुनौतियां हैं:
– पहली और सबसे बड़ी – RJD और JDU की जोड़ी जो इस बार मजबूत दिख रही है
– दूसरी – जातिगत समीकरण… ये तो बिहार की राजनीति का ABC है
– तीसरी – युवा वोटर्स को समझाना जो बेरोजगारी और इकोनॉमी को लेकर नाराज़ हैं
और हां, एक और बात – बिहार में चुनावी माहौल बड़ा ही अनपेडिक्टेबल होता है। कल क्या हो जाए, कौन कह सकता है?
4. क्या OBC और EBC वोटर्स VP प्लान की वजह से BJP के साथ आएंगे?
अच्छा सवाल पूछा! दरअसल, BJP ने इस प्लान को लॉन्च करते वक्त खासतौर पर OBC और EBC लीडर्स को टार्गेट किया है। सोच समझकर। क्योंकि बिहार में ये दोनों कम्युनिटीज किसी भी पार्टी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं। पर यहां दिक्कत ये है कि सिर्फ नेताओं को जोड़ लेने से काम नहीं चलता। ग्राउंड लेवल पर काम करना पड़ता है। और हां, जैसा मैंने पहले भी कहा – आखिरी फैसला तो मतदाता ही करेगा, है न?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com